10 जुलाई 2009 रिज़र्व बैंक ने दि कटकोल को-ऑपरेटिव बैंक लि.,कटकोल, कर्नाटक का लाइसेंस रद्द किया इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि कटकोल को-ऑपरेटिव बैंक लि.,कटकोल, कर्नाटक के अर्थक्षम नहीं रह जाने और कर्नाटक सरकार के साथ परामर्श से उसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 03 जुलाई 2009 को कारोबार की समाप्ति के बाद उक्त बैंक का लाइसेंस रद्द करने के आदेश जारी किए। निबंधक, सहकारी समितियां, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त बैंक को बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए 09 नवंबर 1987 को लाइसेंस दिया गया था। बैंक के 31 मार्च 2005 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि उसके समक्ष नकदी की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। नकदी की गंभीर स्थिति तथा निरीक्षण के दौरान पाई गई अन्य कमियों को ध्यान में रखते हुए जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए बैंक को 03 अगस्त 2006 को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेशाधीन कर दिया गया था। बैंक के 31 मार्च 2006 तथा 31 मार्च 2007 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए बाद के सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति में आगे और गिरावट हुई है। चूँकि यह सूचना दी गई थी कि किसी सुदृढ़ बैंक के साथ उसके विलय का प्रस्ताव विचाराधीन है इसलिए विशिष्ट विलय प्रस्ताव की प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया गया। अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2008 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति में आगे और भी गिरावट हुई है और उसकी स्थिति चिंताजनक है। उसके बाद बैंक को 11 फरवरी 2009 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया था कि बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए उन्हें दिया गया लाइसेंस क्यों न रद्द कर दिया जाए। बैंक द्वारा प्रस्तुत उत्तर पर विचार करने तथा उसके पुनर्जीवन के सभी विकल्पों की जांच करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में उसका लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द हो जाने तथा परिसमापन की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही दि कटकोल को-ऑपरेटिव बैंक लि., कटकोल, कर्नाटक के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम के अनुसार बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस रद्द हो जाने के परिणामस्वरूप दि कटकोल को-ऑपरेटिव बैंक लि.,कटकोल, कर्नाटक पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती अनिता भट्टाचार्य, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, बेंगलूर से संपर्क कर सकते हैं। श्रीमती भट्टाचार्य का विवरण नीचे दिया गया है: डाक पता: 10/3/8, नृपतुंग मार्ग, बंगलूर-560001, टेलीफोन सं. (080) 22291696, फैक्स सं. (080) 22293668/22210185, ई-मेल पता: anitabhattacharya@rbi.org.in जे.डी.देसाई सहायक प्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/51 |