भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि कित्तूर रानी चन्नम्मा महिला पत्तना सहकारी बैंक नियमित, हुबली, कर्नाटक का लाइसेंस रद्द किया जाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि कित्तूर रानी चन्नम्मा महिला पत्तना सहकारी बैंक नियमित, हुबली, कर्नाटक का लाइसेंस रद्द किया जाना
25 जुलाई 2007
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि कित्तूर रानी चन्नम्मा महिला पत्तना सहकारी
बैंक नियमित, हुबली, कर्नाटक का लाइसेंस रद्द किया जाना
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि कित्तूर रानी चन्नम्मा महिला पत्तना सहकारी बैंक नियमित, हुबली, कर्नाटक अर्थक्षम नहीं रह गया है और कर्नाटक सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने जुलाई 19, 2007 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के निबंधक, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 01 जून 1995 को लाइसेंस जारी किया गया था। बैंक के 30 जून 2004 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति में 31 मार्च 2003 की स्थिति के अनुसार किए गए पिछले निरीक्षण के निष्कर्षों की तुलना में गिरावट आई है।
उसके बाद 31 मार्च 2005 तक की वित्तीय स्थिति के संबंध में किए गए बैंक के निरीक्षण में यह उल्लेख किया गया था कि बैंक की वित्तीय स्थिति में आगे भी गिरावट हुई है। बैंक की प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के कारण बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत 17 जुलाई 2006 के पत्र के माध्यम से निदेशाधीन कर दिया गया था जिसके द्वारा प्रति जमाकर्ता रु. 1000/- की जमाराशि की आहरण सीमा निर्धारित करते हुए बैंक परिचालनों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। बैंक को 14 सितंबर 2006 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। बैंक द्वारा कारण बताओ नोटिस का दिया गया उत्तर अस्पष्ट था जिसमें उसे पुनरुजीवन करने के लिए कोई ठोस कार्य योजना नहीं थी और वह संतोषजनक नहीं था। फिर भी, यह निर्णय लिया गया था कि अगले निरीक्षण के निष्कर्श के आधार पर बैंक की स्थिति की समीक्षा की जाए।
31 मार्च 2006 तक की वित्तीय स्थिति के संबंध में किए गए बैंक के अगले निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति में और गिरावट आईद है। तथापि, बैंक के अनुरोध पर उसे अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए 31 मार्च 2007 तक का समय दिया गया।
31 मार्च 2007 तक की वित्तीय स्थिति के संबंध में किए गए बैंक के अद्यतन निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति गंभीर हो गई है। यह भी पता चला कि पिछले निरीक्षण रिपोर्टों में पाई गई अनियमितताएं जारी हैं।
बैंक द्वारा प्रस्तुत उत्तर पर विचार करने तथा उसके पुनरुज्जीवन के सभी विकल्पों की जांच करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में उसका लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द होने तथा परिसमापन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम (डीआईसीजीसी एक्ट) के अनुसार बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी ।
लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि कित्तूर रानी चन्नम्मा महिला पत्तना सहकारी बैंक नियमित, हुबली, कर्नाटक पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में यथापरिभाषित "बैंकिंग कारोबारा" करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उनकी चुकौती भी शामिल है।
इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री एस.नीलकंठन, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, बेंगलूर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्योरा निम्न प्रकार है :
डाक पता: 10/3/8, नृपतुंगा मार्ग, बंगलूर-560001, टेलीफोन सं. (080) 22291696, फैक्स सं. (080) 22293668 / 22210185, ई-मेल
जी.रघुराज
उप महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/122