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रिजर्व बैंक ने दि कोंकण प्रांत सहकारी बैंक लिमिटेड; मुंबई, (महाराष्‍ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

15 अक्‍टूबर 2013

रिजर्व बैंक ने दि कोंकण प्रांत सहकारी बैंक लिमिटेड; मुंबई, (महाराष्‍ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि कोंकण प्रांत सहकारी बैंक लि., मुंबई,(महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 01 अक्‍टूबर 2013 को कारोबार की समाप्ति के बाद से लागू रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समिति के पंजीयक, महाराष्ट्र से भी बैंक के परिसमापन के लिए और परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 17 जून 1988 को बैंक को बैंकिंग कारोबार आरंभ करने के लिए लाइसेंस प्रदान किया था। 31 मार्च 2009, 31 मार्च 2011 और 31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थिति के अनुसार बैंक के मुख्य वित्तीय सूचक अनुलग्नक में दिए गए हैं।

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के अनुसार किए गए गई साविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि निवल संपत्ति (–) 1084.95 लाख है, मूल्‍यांकित सीआरएआर (–) 34.0% पर है और जमाराशि का 19.8% तक जमा का ह्रास हुआ है। उक्‍त निरीक्षण के दौरान अन्‍य बातों के साथ-साथ यह भी पाया गया है कि (i) बैंक ने परिपक्‍व मीयादी जमाराशि पर ब्‍याज का भुगतान नहीं किया है। (ii) एनडीटीएल का 16.6% हिस्‍सा ही एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश किया गया है जबकि इनका हिस्‍सा 25% रखा जाना अपेक्षित है। (iii) बैंक के निवेश पोर्टफोलियो की संगामी लेखापरीक्षा नहीं कराई गई है। (iv) बैंक में क्रेडिट मूल्‍यांकन की प्रणाली और उसकी गुणवत्ता प्रभावी नहीं है और ऋणों की मंज़ूरी के उपरांत निगरानी की कोई प्रणाली विद्यमान नहीं है, (v) मूल्‍यांकित सकल और निवल अनर्जक अस्तियों में काफी बढ़ोतरी हुई है। (vi) बैंक में अनर्जक आस्तियों का पता लगाने और उनकी रिपोर्टिंग की कोई प्रणाली नहीं है। (vii) बैक ने आईआरएसी मानदंड का पालन नहीं किया है। (viii) बोर्ड का कार्यनिष्‍पादन संतोषजनक नहीं रहा जिसका पता उच्‍च स्‍तर के सकल व निवल अनर्जक आस्तियां, मूल्‍यांकित हानि, ऋणात्‍मक सीआरएआर आदि से चला है, (ix) आंतरिक लेखा रखरखाव संतोषजनक नहीं है।

उपर्युक्‍त अनियमितताओं/ कमियों को देखते हुए तथा बैंक की खराब वित्तीय स्थिति और 19.8% का जमा ह्रास पर विचार करते हुए बैंक पर 06 अगस्‍त 2012 के निदेश सं. शबैंवि.केंका.बीएसडी-।/डी-04/12.22.114/2012-13 के माध्‍यम से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35क के अंतर्गत 07 अगस्‍त 2012 को कार्यसमाप्ति के बाद से लागू रूप में सर्वसमावेशी निदेश जारी किए गए। बैंक को दिए गए कई निदेशों के अंतर्गत नए सिरे से जमा राशि स्‍वीकार करने और उधार देने तथा प्रति जमाकर्ता को 1000/- तक अधिकतम जमाराशि तक ही अदा करने के लिए प्रतिबंधित करते हुए भी निदेश शामिल किए गए हैं। वर्तमान निदेशों की वैधता को समय-समय पर बढ़ा दिया गया है।

31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से बैंक की और खराब वित्तीय स्थिति का पता चला है। मूल्‍यांकित निवल संपत्ति (-) 1347.34 लाख है, मूल्‍यांकित सीआरएआर (–) 44.3% पर है और 24.2% तक का जमाराशि में गिरावट हुई है। उक्‍त निरीक्षण के दौरान अन्‍य बातों के साथ-साथ यह भी पता चला है कि (i) बैंक ने ऐसे 16 ऋण मंज़ूर किए हैं जिनमें निदेशक शामिल हुए हैं। (ii) बैंक ने आईआरएसी मानदंड़ का पालन नहीं किया है, (iii) कुल अग्रिमों में सकल अनर्जक आस्तियों का हिस्‍सा 52.0% के उच्‍चतम स्‍तर पर बना रहा, (iv) बैंक ने एकल उधारकर्ता के लिए निर्धारित सीमा का उल्‍लंघन किया है, (v) बैंक ने अपने स्‍टाफ सदस्‍यों के उपादान और छुट्टी की भुनाई की व्‍यवस्‍था नहीं की है, (vi) बैंक ने परिपक्‍व मीयादी जमाराशि पर ब्‍याज का भुगतान करने की व्‍यवस्‍था नहीं की है। (vii) बैंक ने बचत बैंक जमाराशि पर देय ब्‍याज की गणनी दैनिक आधार पर नहीं की है। (viii) एनडीटीएल का 16.3% हिस्‍सा ही एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश किया गया है जबकि इनका हिस्‍सा 25% रखा जाना अपेक्षित है, (ix) बैंक के निवेश संविभाग की संगामी लेखापरीक्षा नहीं कराई गई है, (x) बोर्ड ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित समीक्षा कार्यक्रम का सख्‍ती से पालन नहीं किया है, (xi) बैंक ने डीआईसीजीसी प्रीमियम की अदायगी में जमाराशि पर देय ब्‍याज को हिसाब में नहीं लिया है।

31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थिति के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को 4 अप्रैल 2013 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस(एससीएन) जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए 17 जून 1988 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए तथा बैंक का परिसमापन क्यों न किया जाए। 2 और 3 मई 2013 के पत्रों के माध्यम से कारण बताओ नोटिस हेतु बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी लेकिन वह संतोषजनक नहीं पाया गया। बैंक ने 15 जून 2013 के पत्र के माध्‍यम से यह सूचित किया है कि प्रशासक पांच बैंकों के साथ विलयन की संभावना पर विचार कर रहे हैं और कुछ बैंकों ने विलयन प्रक्रिया की सैद्धांतिक मंज़ूरी दी है। बैंक ने विलयन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 15 जुलाई 2013 तक समय मांगी थी जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्‍वीकार किया था। बैंक ने 15 जुलाई 2013 और 30 जुलाई 2013 के अपने पत्रों के माध्‍यम से यह सूचित किया था कि उनके प्रशासक नागपुर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, नागपुर के साथ विलयन के लिए विचार विमर्श कर रहे हैं और इसके लिए बैंक ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पुन: अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। यद्यपि बैंक को 15 जुलाई 2013 तक समय दिया गया, फिर भी, किसी सहकारी बैंक से अब तक कोई उपयुक्‍त विलयन प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।

उक्त से अंतिम रूप में यह स्थापित होता है कि

  1. बैंक अपने वर्तमान और भविष्य के जमाकर्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।

  2. बैंक के कार्यकलाप जमाकर्ताओं के हित के विरुद्ध हो रहे हैं।

  3. बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11(1), 22(3) (क), 23(3)(ख) का अनुपालन नहीं किया जा रहा है

  4. बैंक की वित्तीय स्थिति में पुनरुद्धार के लिए कोई गुंजाइश नहीं रह गई है।

  5. यदि बैंक को बैंकिंग कारोबार करने की अनुमति दी जाए तो वह जमाकर्ताओं के हित के विपरीत होगा।

इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया है। लाइसेन्स रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से दि कोंकण प्रांत सहकारी बैंक लिमिटेड; मुंबई, (महाराष्‍ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम,1961 के अंतर्गत बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रक्रिया निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन प्रारंभ किया जाएगा।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में दि कोंकण प्रां‍त सहकारी बैंक लिमिटेड; मुंबई, (महाराष्‍ट्र) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत परिभाषित 'बैंकिंग' कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती सुचित्रा मौर्या, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई से सपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

डाक पता : शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, दूसरी मंजिल, गारमेंट हाऊस, डॉ ए बी रोड, वरली, मुंबई–400018; टेलीफोन नंबर : (022) 24932035 फैक्स नंबर : (022) 24935495; ई-मेल

अनुलग्नक

दि कोंकण प्रांत सहकारी बैंक लि., मुंबई, (महाराष्ट्र) के मुख्य वित्तीय सूचक

( लाख में)                     

मद

31.03.09 के अनुसार

31.03.11 के अनुसार

31.03.12 के अनुसार

निवल संपत्ति

361.18

(-)1084.95

(-)1347.34

सीआरएआर

11.4%

(-)34.0%

(-)44.3%

निवल लाभ/ हानि

17.70

(-)1382.97

(-)621.43

सकल एनपीए राशि प्रतिशत

295.23
(10.1%)

1841.51
(58.2%)

1848.37
(52.0%)

निवल एनपीए राशि प्रतिशत

124.24
(4.5%)

679.72
(34.0%)

462.91
(21.3%)

जमा में ह्रास

शून्‍य

19.8%

24.2%

जमा

4096.07

5489.68

5566.43

अग्रिम

2908.84

3163.45

3555.92

उधार

शून्‍य

शून्‍य

318.77

(वर्तमान नीति के अनुसार 31 मार्च 2010 की वित्‍तीय स्थिति के संबंध में बैंक का निरीक्षण नहीं किया गया है।)

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/787

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