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रिज़र्व बैंक ने दि ओनके ओबव्वा महिला को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) का लाइसेन्स रद्द किया

16 मई 2006

रिज़र्व बैंक ने दि ओनके ओबव्वा महिला को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) का लाइसेन्स रद्द किया

दि ओनके ओबव्वा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) के अर्थक्षम नहीं रह जाने, कर्नाटक सरकार के परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने और सतत अनिश्चितता के चलते जमाकर्ताओं को हो रही असुविधाओं के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 12 मई 2006 को जारी किया। सहकारी समितियों के पंजीयक, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 1,00,000/- रुपये की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियां वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 31 मार्च 2003 की स्थिति के संदर्भ में की गई बैंक की लेखा बहियों की संवीक्षा से पता चला कि बैंक के समक्ष नकदी का गंभीर संकट था। उसकी चुकता पूंजी और प्रारक्षित निधि का वसूलीयोग्य मूल्य ऋणात्मक था तथा जमाराशियों का 27.82 प्रतिशत तक क्षरण हो गया था। इसकी असंतोषजनक वित्तीय स्थिति को देखते हुए 11 सितम्बर 2003 को कारोबार की समाप्ति से इसे बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेशों के अधीन रखा गया और जमाराशियों का आहरण प्रति जमाकर्ता 1000 रुपये तक सीमित कर दिया गया। दिनांक 30 जून 2004 को इसकी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए निरीक्षण से पता चला कि इसकी चुकता पूंजी और प्रारक्षित निधि के वसूली योग्य मूल्य में और क्षरण हुआ है और यह इसकी कुल जमाराशियों के 39.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसके बाद रिज़र्व बैंक ने 12 जनवरी 2005 को बैंक को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द कर दिया। कारण बताओ नोटिस के उत्तर में दिखाई देने योग्य सुधार लाने के लिए बैंक ने छह माह का समय मांगा, जो उसे स्वीकृत किया गया। इसके बाद बैंक द्वारा 31 मार्च 2005 की स्थिति के संदर्भ में किए गए निरीक्षण से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति और बिगड़ गई है और उसकी कुल जमाराशियों के 62.9 प्रतिशत तक इसकी जमाराशियों का क्षरण हो गया। चूंकि बैंक की चुकता पूंजी और प्रारक्षित निधियां ऋणात्मक हो चुकी थीं और बैंक के पास पुनरुज्जीवन की किसी व्यवहार्य योजना के अभाव में उसके पुनरुज्जीवित होने की बहुत ही कम गुंजाईश को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी विकल्पों को परखने के बाद बैंक जमाकर्ताओं के हित में इस बैंक का लाइसेंस रद्द करने संबंधी पराकोटि का निर्णय लिया। इसका लाइसेंस रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार दि ओनके ओबव्वा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के जमाकर्ताओं की बीमाकृत राशि की अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में दि ओनके ओबव्वा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित ‘बैंकिंग कारोबार’ करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री आर.जी.के.पिल्लै, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बेंगलूर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

 

डाक पता: 10/3/8, नृपथुंगा रोड,
बेंगलूर-560001.
टेलीफोन नंबर : (080) 22275020.
फैक्स नंबर: (080) 22293668/22210185.
ई-मेल पता:
uubdbangalore@rbi.org.in

 

अल्पना किल्लावाला

मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/1472

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