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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि रायचूर जिला महिलापट्टना सहकारी बैंक नियामिता, रायचूर, कर्नाटक का लाइसेंस रद्द किया

4 फरवरी 2010

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि रायचूर जिला महिलापट्टना सहकारी बैंक नियामिता, रायचूर, कर्नाटक का लाइसेंस रद्द किया

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि रायचूर जिला महिलापट्टना सहकारी बैंक नियामिता, रायचूर, कर्नाटक अर्थक्षम नहीं रह गया है और कर्नाटक सरकार के साथ सघन परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 29 जनवरी 2010 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के निबंधक, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त बैंक को बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए 16 मार्च 1995 को लाइसेंस जारी किया गया था। रिज़र्व बैंक द्वारा 31 मार्च 2005 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए उक्त बैंक के सांविधिक निरीक्षण में उसकी कार्य पद्धति में कुछ अनर्हतकारी लक्षणों का पता चला। इसलिये जबतक बैंक सीआरआर/एसएलआर आवश्यकताओं को बनाये न रखें तबतक बैंक पर कतिपय प्रतिबंधों सहित नए ऋण और अग्रिम मंजूर करने संबंधी प्रतिबंध लगाया हे। इसके बाद 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए उक्त बैंक के सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि उस वर्ष के दौरान बैंक की वित्तीय स्थिति और अधिक नाजुक हुई है और उसके बोर्ड की कार्य पद्धति में भी अनियमितता पायी गयी। इसलिये बोर्ड का अधिक्रमण किया गया और 11 अप्रैल 2007 के आदेश के अनुसार सहकारी समितियों के निबंधक, कर्नाटक द्वारा एक प्रशासक की नियुक्ति की गयी।

उसके बाद 31 मार्च 2007 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए निरीक्षण से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति में आगे और भी गिरावट हुई है। इसलिये प्रतिबंधों को आगे भी जारी रखा गया। 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए अद्यतन निरीक्षण से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति नाजुक हो गयी थी। नकदी की अत्यधिक समस्या तथा बैंक की कार्यपद्धति में पायी गयी कमियों को ध्यान में रखते हुए जनता तथा जमाकर्ताओं के हित में, अधिमानी भुगतान से बचने के लिए तथा बैंक की परिसंपत्तियों को बचाए रखने के लिए 4 सितंबर 2009 के निदेश के माध्यम से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत बैंक को निदेशाधीन किया गया था जिसके द्वारा बैंक को ऋण तथा अग्रिम मंज़ूर/नवीकृत करने, निवेश करने, उधार देने और नई जमाराशि स्वीकार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। जमाराशि के आहरण पर प्रति जमाकर्ता रु. 1000/- की उच्चतम आहरण सीमा निर्धारित की गई थी।बाद में लाइसेंस रद्द करने के संबंध में उक्त बैंक को 17 सितंबर 2009 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। कारण बताओ नोटिस के उत्तर में बैंक ने उसके पुनरुज्जीवन की कोई भी व्यवहार्य योजना प्रस्तुत नही की।

उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए तथा बैंक के पुनर्जीवन के सभी विकल्पों की जांच करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में उसका लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द होने तथा परिसमापन की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम (डीआईसीजीसी एक्ट) के अनुसार बीमित राशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी

लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि रायचूर जिला महिलापट्टना सहकारा बैंक नियामिता, रायचूर, कर्नाटक पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है।

इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री इद्रनील चक्रबर्ती, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, बेंगलूर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क विवरण नीचे दिया गया है:

डाक पता:10/3/8, नृपतुंगा मार्ग, बंगलूर-560001 टेलीफोन सं. :(080) 22291696 फैक्स सं. :(080)22293668/22210185 ई-मेल करें।

जे.डी.देसाई
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1082

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