रिज़र्व बैंक ने श्रीराम सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक (महाराष्ट्र) का लाइसेन्स रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने श्रीराम सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक (महाराष्ट्र) का लाइसेन्स रद्द किया
15 जून 2006
रिज़र्व बैंक ने श्रीराम सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक (महाराष्ट्र) का लाइसेन्स रद्द किया
श्रीराम सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक, महाराष्ट्र के अर्थक्षम नहीं रह जाने, और महाराष्ट्र सरकार के परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के चलते जमाकर्ताओं को असुविधा का सामना करने के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 13 जून 2006 को पूवाह्न 10.30 बजे जारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 1,00,000/- रुपये की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने जमाकर्ताओं के हित की सुरक्षा के लिए बैंक के पुनरुज्जीवन हेतु सभी विकल्पों की जांच करने के बाद अंतिम कदम के रूप में श्रीराम सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक, महाराष्ट्र का लाइसेन्स रद्द करने का निर्णय लिया। 30 सितंबर 2004 को बैंक के आर्थिक स्थिति के निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की आर्थिक स्थिति असंतोषजनक है। इसलिए 25 अक्तूबर 2004 को कारोबार की समाप्ति से बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेशों के अधीन रखा गया। इसके पश्चात् बैंक की 31 मार्च 2005 की वित्तीय स्थिति संबंधी निरीक्षण में उसकी वित्तीय स्थिति में और गिरावट पायी गयी। उसकी जमाराशियां चुकता पूंजी और प्रारक्षित निधि का वसूलीयोग्य मूल्य ऋणात्मक होने से क्षीण हो गयी है। बैंक ने 25 अक्तूबर 2004 के रिज़र्व बैंक के निदेशों का भी उल्लंघन किया था। अतः 19 अगस्त 2005 के रिज़र्व बैंक के अनुरोध के आधार पर बैंक के कारोबार में सकल अव्यवस्था के लिए सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट द्वारा बैंक के निदेशक बोर्ड का अधिक्रमण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 10 नवंबर 2005 को बैंक को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ भी जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। चूंकि बैंक के पास पुनरुज्जीवित होने संबंधी कोई व्यवहार्य योजना नहीं थी और उसके पुनरुज्जीवित होने की गुंजाईश बहुत ही कम थी, अतः रिज़र्व बैंक ने बैंक जमाकर्ताओं के हित में इस बैंक का लाइसेंस रद्द करने संबंधी पराकोटि का निर्णय लिया। इसका लाइसेंस रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार श्रीराम सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं की बीमाकृत राशि की अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।
लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में श्रीराम सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक, महाराष्ट्र, पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री एस. सेन, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार हैः
डाक पता : शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाऊस, ए.बी.रोड, वरली, मुंबई-400018; टेलीफोन नंबर : (022) 24939930-49; सीधी लाइन - (022) 2492 8052; फैक्स नंबर : (022) 24935495; ई-मेल पता :ssen@rbi.org.in
अल्पना किल्लावाला
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/ 1628