भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिद्दपुर, जिला-उत्तर कन्नडा (कर्नाटक) का लाइसेंस रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिद्दपुर, जिला-उत्तर कन्नडा (कर्नाटक) का लाइसेंस रद्द किया
30 अक्तूबर 2007
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिद्दपुर,
जिला-उत्तर कन्नडा (कर्नाटक) का लाइसेंस रद्द किया
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिद्दपुर, जिला-उत्तर कन्नडा (कर्नाटक) अर्थक्षम नहीं रह गया है और कर्नाटक सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 27 अक्तूबर 2007 को बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहयोग आयुक्त तथा सहकारी समितियों के निबंधक, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।
बैंक को पुनरुज्जीवित किए जाने के सभी विकल्पों की जाँच करने के बाद और जमाकर्ताओं की हितों रक्षा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अंतिम उपाय के रूप में दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिद्दपुर, जिला-उत्तर कन्नडा (कर्नाटक) का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। 31 मार्च 2004 तक की वित्तीय स्थिति के संबंध में बैंक के निरीक्षण से यह पता चला कि इसकी वित्तीय स्थिति अत्यंत कमजोर थी। बैंक की खराब वित्तीय स्थिति की दृष्टि से तथा जमाकर्ताओं के हितों के रक्षा के लिए 6 जनवरी 2005 के आदेश के अनुसार परिचालनों को प्रतिबंधित करते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत बैंक को निर्देश जारी किए गए। साथ-ही-साथ सहकारी समितियों के निबंधक (आरसीएस), कर्नाटक से निदेशक बोर्ड को अधिक्रमित करने और एक प्रशासक नियुक्त करने के लिए कहा गया। तदनुसार, निबंधक, सहकारी समितियों ने बैंक के निदेशक बोर्ड को 13 जनवरी 2005 से अधिक्रमित कर दिया और एक प्रशासक नियुक्त किया।
खराब होती हुई वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए अन्य बातों के साथ-साथ प्रति जमाकर्ता 500/- रुपए की जमाराशि की चुकौती पर प्रतिबंध लगाते हुए 10 नवंबर 2006 को बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत बैंक को संशोधित निर्देश जारी किए गए। 5 दिसंबर 2006 को यह पूछते हुए बैंक को नोटिस जारी किया गया कि कारण बताएं कि आपको दिया गया लाइसेंस क्यों नहीं रद्द कर दिया जाए।
बैंक ने 3 और 15 जनवरी 2007 के अपने पत्र के अनुसार इस कारण बताओं नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया। बैंक ने दावा किया कि अनर्जक आस्तियों की वसूली में कुछ प्रगति हुई है और उसने कुछ और समय के लिए अपील किया। तथापि, 31 मार्च 2007 के परवर्ती निरीक्षण से यह पता चला कि की इसकी वित्तीय स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
चूंकि बैंक के पास इसे पुनरुज्जीवित करने के लिए कोई कार्य योजना नहीं थी और इसे पुनरुज्जीवित किए जाने की कोई आशा नहीं थी, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द किए जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिद्दपुर, जिला-उत्तर कन्नडा (कर्नाटक) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।
लाइसेंस रद्द किए जाने के फलस्परुप दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिद्दपुर, जिला-उत्तर कन्नडा (कर्नाटक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत जमाराशियाँ स्वीकार करने और जमाराशियों की चुकौती करने सहित "बैंकिंग कारोबार" करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री एस. नीलकंटन, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, बंगलूर से संपर्क कर सकते है। उनका संपर्क ब्यौरा नीचे दिया गया है:
डाक पता : शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बंगलूर क्षेत्रीय कार्यालय, 10/3/8, नृपतुंगा रोड, बंगलूर-560001. टेलीफोन नंबर : (080)22291696; फैक्स नंबर : (080) 22293668 / 22210185.
अजीत प्रसाद
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/593