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रिज़र्व बैंक ने वीरशैव को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

6 जनवरी 2012

रिज़र्व बैंक ने वीरशैव को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वीरशैव को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई, (महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 30 दिसंबर 2011 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। निबंधक, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से रुपये 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 26 मार्च 1974 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर बैंक को 18 जून 2007 को पर्यवेक्षी अनुदेश जारी किए गए थे तथा आगे की निरीक्षण रिपोर्टो के आधार पर समय-समय पर इन पर्यवेक्षी अनुदेशों में संशोधन किया गया था।

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण में देखा गया की बैंक की मूल्यांकित निवल संपत्ति ऋणात्मक है तथा बैंक की जमाराशि का 13.0% तक मूल्यह्रास हुआ है। बैंक का सीआरएआर (-) 35.4% था जबकि सांविधिक अपेक्षा 9%  है। कुल और निवल एनपीए कुल और निवल अग्रिम के क्रमश: 57.6% और 44.4% था। मूल्यांकित ह्रास रु 3350.95 लाख हुआ। 31 मार्च 2009 की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर बैंक को 29 अक्तूबर 2009 को सूचित किया गया कि नये उधार न ले, जमाराशि के अवधिपूर्व आहरण की अनुमति न दे, नए ऋण न दिए जाए तथा सुदृढ शहरी सहकारी बैंकों के साथ विलयन की संभावना देखे।

31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक ने ऑटो डिलर मेसर्स सदगुरु ऑटो, के साथ टाई अप व्यवस्था के माध्यम से अपनी कांदिवली शाखा से 192 वैयक्तिक ऋण दिए जिसकी राशि रु 210.00 लाख थी। इनमें से 145 मामलों में आरटीओ से प्राप्त लीयन एंडोर्समेंट असली नहीं थे अत: बैंक द्वारा इसे धोखाधड़ी लेनदेन माना गया। आरसीएस ने महाराष्ट्र सहकारी समितियां अधिनियम 1960( एमसीएस अधिनियम, 1960) की धारा 83 के अंतर्गत बैंक की धोखाधडी के लिए जांच की। आरसी एस द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार एमसीएस अधिनियम, 1960 की की धारा 83 के अंतर्गत जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट 8 फरवरी 2010 को प्रस्तुत की जिससे कांदिवली शाखा के ऑटो लोन में धोखाधडी और राशि के दुर्विनियोजन तथा अंधेरी शाखा द्वारा मंजूर ऋण में अनियमितताओं का पता चला । रिपोर्ट के अनुसार उक्त ऑटो लोन के अलावा बैंक ने अन्य ऐसे ऋण  वितरित किए थे जहां बेंक को हानि हो सकती थी जिसमें से 76 मामला में अपर्याप्त बंधक प्रतिभूति रखी थी तथा उधारकर्ताओं की उधार चूकाने की क्षमता न होते हुए भी ऋण दिया गया था जिसकी बकाया राशि रु 6253.44 लाख थी।

31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक के वित्तीय संकेतक की स्थिति और अधिक खराब हुई है तथा उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-) रु 3383.32 लाख हुई तथा सीआरएआर (-) 53.2% हो गया। जमाराशि का मूल्यह्रास भी 15.9% से बढ़ गया। कुल और निवल एनपीए कुल और निवल अग्रिम केक्रमश: 69.8% तथा 58.4% हुआ। कमियों में सुधार तथा अनुपालन के लिए बेंक को 24 जून 2010 को निरीक्षण रिपोर्ट प्रेषित की गयी। तथापि 23 अगस्त 2010 के पत्र के माध्यम से बेंक द्वारा प्रस्तुत अनुपालन संतोषजनक नहीं पाया गया। 31 मार्च 2010 के निरीक्षण निष्कर्षो के आधार पर बैंक को 27 अगस्त 2010 को सूचित किया गया कि विद्यमान पर्यवेक्षी कार्रवाई तथा परिचालन अनुदेश जारी रहेंगे।

31 मार्च  2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला की  बैंक वित्तीय स्थिति अत्यधिक खराब हुई है। 31 मार्च 2011 की स्थिति के लिए उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-) रु 5231.01 लाख हुई तथा मूल्यांकित सीआरएआर (-) 139.6% हो गया। जमाराशि का  33.4%तक मूल्यह्रास हुआ। कुल एनपीए  कुल  अग्रिम के 79.1% हुआ, निवल एनपीए निवल अग्रिम के 63.0% हुआ तथा वर्ष 2010-11 की मूल्यांकित हानि रु 3659.32 लाख हुई। 31 मार्च 2009 से किए गए क्रमिक निरीक्षणों द्वारा ज्ञात वर्ष 2008-09 से बैंक की वित्तीय स्थिति में आई तीव्र गिरावट को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 35क के अंतर्गत निर्देश शबैंवि. केंका. बीएसडी-1/डी-46/12.22.293/2011-12 के माध्यम से 3 अगस्त 20011 को कारोबार समाप्ति से 6 सर्व समावेशक निर्देश जारी किए गए थे।

बैंक के प्रबंधन की गुणवत्ता तथा गवर्नंन्स का स्तर खराब था। प्रमुख आस्ति फोलिओं के प्रबंधन के लिए नीतियां बनाने में निदेशक मंडल प्रभावी नहीं रहा तथा बनायी गयी नीतियों का भी अनुपालन नहीं कर सका। बैंक की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए गए। बैंक प्रबंधन प्रकाशित वित्तीय विवरणों में कई वर्षो से सदस्यों, जमाकर्ताओं तथा आम जनता को बैंक के कारोबार का सही चित्र देने में असफल रहा। बैंक की स्थिति में आई तीव्र गिरावट तथा विनियामकीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन इस बात का प्रमाण है की निदेशक मंडल का कार्यनिष्पादन संतोषजनक नहीं था। अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार स्टाफ के विरुद्ध प्रबंधन ने कोई सख्ती नहीं की तथा एनपीए की वसूली में गंभीरता नहीं दिखाई। निदेशक मंडल प्रभावी नहीं रहा तथा बैंक की वित्तीय स्थिति खराब होने के लिए जिम्मेदार था जामाकर्ताओं के हित के विपरित बेंक का कारोबार कर रहा था। टैफकब ने भी बेंक को कारण बताओ सूचना जारी करने की सिफारिश की थी। 17 अगस्त 2011 को बेंक को कारण बताओं सूचना जारी की जिसमें यह कहा गया था कि उन्हें  अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत 26 मार्च 1974 को बैंकिंग कारोबार करने के लिए जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए तथा बैंक का परिसमापन क्यों न किया जाए।

कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी लेकिन उसे संतोष जनक नहीं पाया गया। इसके अलावा बैंक ने कोई विलयन प्रस्ताव या पुनरुज्जीवन/पुनर्गठन की योजना प्रस्तुत नहीं की।

अत: भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से वीरशैव को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाईसेंस रद्द किए जाने के परिणाम स्वरूप अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है।

इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती के.एस.ज्योत्सना, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क का विवरण नीचे दिया गया है:

डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली,  मुंबई - 400018, टेलीफोन सं.: (022) 24920225, फैक्स सं.:(022) 24935495, ई-मेल.

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1079

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