रिज़र्व बैंक ने बैंकों में ग्राहक सेवा पर समिति गठित की - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने बैंकों में ग्राहक सेवा पर समिति गठित की
3 जून 2010 रिज़र्व बैंक ने बैंकों में ग्राहक सेवा पर समिति गठित की भारतीय रिज़र्व बैंक ने पेंशनभोगियों सहित खुदरा और छोटे ग्राहकों को दी जा रही बैंकिंग सेवाओं की जाँच करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री एम.दामोदरन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। यह समिति बैंकों में मौजूदा शिकायत निवारण व्यवस्था की प्रणाली, उसका ढाँचा और क्षमता के बारे में भी जाँच करेगी और शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए उपायों का सुझाव देगी। श्रीमती पी.राजलक्ष्मी राव, भूतपूर्व सदस्य, राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयुक्त, नई दिल्ली, श्री अशोक रावल, माननीय सचिव, अखिल भारतीय बैंक निक्षेप संगठन, मुंबई, श्री एम.वी.नायर, अध्यक्ष, भारतीय बैंक संघ और अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक, युनियन बैंक ऑफ इंडिया, मुंबई, श्री बी.एम.मित्तल, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड, मुंबई, श्री एम.एस.सुंदर राजन, इंडियन बैंक के भूतपूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, चेन्नै, श्री एस.गोपालकृष्णन, भूतपूर्व बैंकिंग ओम्बड्समैन, चेन्नै और विजया बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, चेन्नै समिति के अन्य सदस्य है और श्री कज़ा सुधाकर, मुख्य महाप्रबंधक, ग्राहक सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई इसके सदस्य सचिव होंगे। समिति निम्नलिखत कार्य करेगी: 1. खुदरा, छोटे और पेंशनभोगी खण्ड का ग्राहकों की ओर दृष्टिकोण, व्यवहार और उचित सुविधा के संबंध में बैंकों में ग्राहक सेवा की वर्तमान प्रणाली की समीक्षा। 2. बैंकों में मौजूद शिकायत निवारण व्यवस्था की मौजूदा प्रणाली, उसका ढाँचा और क्षमता का मूल्यांकन करना और शिकायतों के त्वरित निपटान के लिए उपायों का सुझाव देना। समिति शिकायतों का निपटान करने के लिए अंतिम निपटान बिंदु की समय सीमा सहित उचित समय सीमा भी निर्धारित करेगी। 3. बैंकिंग ओम्बड्समैन योजना की कार्यपद्धति, उसके ढाँचे, विधिक ढाँचे की जाँच और उसे अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाने के लिए उपायों का सुझाव देना। 4. बैंक उत्पादों और सेवाओं के लिए इंटरनेट और सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग को ध्यान में रखते हुए विधि पहलुओं सहित उचित सुरक्षा के साथ बेहतर ग्राहक सेवा के लिए प्रौद्योगिकी की सहायता के संभव तरीको की जाँच करना और उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ाने के लिए उपायों का सुझाव देना। 5. ग्राहक सेवा के मामलों में बैंकों के निदेशक बोर्ड की भूमिका और नियंत्रकों की भूमिका की समीक्षा करना। समिति द्वारा अपनी पहली बैठक से चार महीने की अवधि के भीतर अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है। आपको यह ज्ञात होगा कि समिति के गठन की घोषणा वर्ष 2010-11 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य में की गई थी। जी. रघुराज प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1633 |