भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि बारीपद शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, बारीपद (ओडिशा) का लाइसेंस रद्द किया गया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि बारीपद शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, बारीपद (ओडिशा) का लाइसेंस रद्द किया गया
30 अक्टूबर 2014
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि बारीपद शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, बारीपद (ओडिशा) अर्थक्षम नहीं रह गया है, उसे पुनरूज्जीवित करने के सभी प्रयास विफल हो गए हैं और सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 16 अक्टूबर 2014 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने के लिए आदेश दिया था। सहकारी समितियों के पंजीयक, ओडिशा से भी बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जा सकता है कि बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर ₹1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 21 अक्टूबर 2009 को लाइसेंस मंजूर किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2013 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक की चुकता पूंजी और आरक्षित निधियों का असली या विनिमय योग्य मूल्य (–)₹ 3275.18 लाख रहा जबकि जमा राशियों का 42.87% तक ह्रास हो चुका था। बैंक का सीआरएआर 9% की विनियामकीय अपेक्षा की तुलना में (-) 279.3% आकलित किया गया, दिनांक 31 मार्च 2013 को बैंक की संचित हानि ₹3785.46 लाख दर्ज की गई तथा 31 मार्च 2014 को सकल और निवल अनर्जक आस्तियां क्रमश: ₹4499.56 लाख (जोकि सकल ऋणों और अग्रिमों का 94.32% है) और ₹ 1826.56 लाख (जो निवल अग्रिमों का 87.08% है) पाई गईं। वर्ष 2012-2013 के दौरान बैंक की निवल हानि ₹ 2267.21 लाख आंकी गई़। बैंक की अनर्जक आस्तियों की बड़ी राशि, संचित हानि, बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए वसूली के कम अवसर को देखते हुए निकट भविष्य में बैंक के पुनरूज्जीवन की संभावनाएं निराशाजनक पाई गई। 31 मार्च 2011 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संबंध में बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण में बैंक द्वारा सीआरएआर और निवल संपत्ति के लिए ऋणात्मक पूंजी, उच्च सकल अनर्जक आस्तियां और वित्तीय आसूचना इकाई-इंडिया (एफआईयू-इंडिया) को नकदी लेनदेन रिपोर्ट/संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर/एसटीआर) लेनदेनों की गैर-रिपोर्टिंग जैसी कुछ गंभीर चूक/अनियमितताएं का पता चला। बैंक ने लंबे समय से एनपीए खाते पर प्राप्त नहीं किए गए ब्याज से बड़ी राशि को परिचालन आय में दिखा रहा था और अपने लाभ को अधिक बता रहा था। सेवानिवृत्त निदेशकों को दिए गए ₹ 532.54 लाख के ऋण और अग्रिमों का बकाया अनर्जक आस्ति था और बैंक ने इस राशि की वसूली नहीं की जैसाकि हमारे 29 अप्रैल 2003 के निदेश यूबीडी.बीपीडी. परि.50/13.05.00/2002-03 में परिकल्पित किया गया था। शहरी सहकारी बैंकों के लिए गठित कार्यदल (टैफकब) ने 6 जून 2012 को आयोजित अपनी 14वीं बैठक में बैंक की 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की और बैंक के विरूद्ध पर्यवेक्षी कार्रवाई करने की सिफारिश की। इसको ध्यान में रखते हुए 17 जुलाई 2012 को बैंक के विरूद्ध पर्यवेक्षी कार्रवाई शुरू की गई जिसमें बैंक को अन्य बातों के साथ-साथ निदेश दिया गया कि वह प्रशासनिक खर्चों को नियंत्रित करे, लक्षित वसूली शुरू करे और सीआरएआर को धनात्मक बनाने और सकल अनर्जक आस्तियों को कम करने आदि के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करे। 31 मार्च 2012 को इसकी वित्तीय स्थिति के संबंध में किए गए निरीक्षण में भी बैंक की संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति और इसकी कार्यपद्धति में अनियमितताएं जारी रही। 17 जुलाई 2012 को शुरू की गई पर्यवेक्षी कार्रवाई के साथ बैंक को निदेश दिया गया कि वह सीआरएआर को धनात्मक बनाने के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करे, सकल अनर्जक आस्तियों को कम करे और शीर्ष अनर्जक खातों में लक्षित वसूली शुरू करे। जनवरी 2013 में प्रस्तुत बैंक की वर्ष 2012-13 की कार्ययोजना में सीआरएआर को धनात्मक बनाने, सकल अनर्जक आस्तियों को उल्लेखनीय रूप से कम करने और शीर्ष एनपीएज से लक्षित वसूली करने की कोई योजना नहीं थी। बैंक द्वारा प्रस्तुत वसूली आंकड़े काफी अवास्तविक थे। 31 मार्च 2012 को इसकी वित्तीय स्थिति के संबंध में बैंक के निरीक्षण के परिणामों को 14 सितबंर 2012 को आयोजित टैफकब की 15वीं बैठक के समक्ष रखा गया और बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत बैंक पर निदेश लागू करने के मामले पर चर्चा की गई। बैंक की गिरती वित्तीय स्थिति को देखते हुए बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए 15 नवंबर 2012 को यूबीडी.सीओ.बीएसडी-III.सं./डी-21/12.29.204/2012-13 के अनुसार बैंक को समावेशी निवेश जारी किए गए। इसके बाद इन निदेशों की अवधि 18 नवंबर 2014 तक बढ़ा दी गई। टैफकब ने 22 जनवरी 2014 को आयोजित अपनी 20वीं बैठक में बैंक की 31 मार्च 2013 की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की। बैंक की वित्तीय स्थिति में लगातार गिरावट को ध्यान में रखते हुए टैफकब ने सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार/शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सहकारी समितियों के ओडिशा संघ को सूचित किया कि वे बैंक के पुनरूज्जीवन के लिए विस्तृत प्रस्ताव/कार्ययोजना को जांच के लिए दो सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करें। आरसीएस, ओडिशा ने बैंक के पुनरूज्जीवन के लिए 19 मार्च 2014 के पत्र के तहत कुछ विलम्ब के साथ एक योजना प्रस्तुत की। चूंकि पत्र में वे आवश्यक ब्योरे नहीं थे जो लगाए गए अनुमानों की उपयुक्तता और व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए अनिवार्य थे, इसलिए आरसीएस, ओडिशा से 26 मार्च 2014 के पत्र के माध्यम से कुछ स्पष्टीकरण मांगे गए। उपर्युक्त गंभीर कमियों से पता चला कि बैंक जमाकर्ताओं के हितों के विरूद्ध कार्य कर रहा था। बैंक ने उक्त अधिनियम की धारा 11(1), 18, 22(3) (ए), 22(3) (बी) और 31 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया। इसलिए बैंक को 26 मार्च 2014 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था कि उक्त अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत 21 अक्टूबर 2009 को बैंकिंग कारोबार करने के लिए दिए गए लाइसेंस को रद्द नहीं करने और बैंक का परिसमापन करने के लिए कारण बताया जाए। बैंक ने कारण बताओ नोटिस का 2 मई 2014 और 31 मई 2014 के दो पत्रों के माध्यम से उत्तर दिया जिसमें पुनरूज्जीवन योजना शामिल थी जो स्वीकार्य नहीं पाई गई। किसी भी व्यवहार्य आमेलन प्रस्ताव पर भी विचार नहीं किया जा रहा है। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक ने जर्माकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक के लाइसेंस को रद्द किया है। लाइसेन्स रद्द किये जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से दि बारीपद शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., बारीपद (ओडिशा) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम के अनुसार निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन बीमाकृत की गई जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि बारीपद शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, बारीपद (ओडिशा) को अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता, श्री पी. एस. वेंकटेसवरण, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, भुवनेश्वर से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क करने का ब्योरा निम्नानुसार है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, पंडित जवाहरलाल नेहरू मार्ग, पी.बी. नं. 16 और 17, भुवनेश्वर-751 001, टेलीफोन सं. : 0674 2394226, फैक्स सं. : 0674 2394226; ई-मेल. अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/881 |