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भारतीय रिज़र्व बैंक लोकसेवा सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र का बैंकिंग लाइसेंस निरस्त करता है

18 सितंबर 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक लोकसेवा सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र का बैंकिंग लाइसेंस निरस्त करता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 14 सितंबर 2017 के आदेश द्वारा लोकसेवा सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र को 18 सितम्बर 2017 के कारोबार अवधि की समाप्ति से बैंकिंग कारोबार संचालित करने के लिए दिए गए लाइसेंस को रद्द किया है। निबंधक सहकारी समितियां (आरसीएस), महाराष्ट्र से बैंक के कारोबार को समाप्‍त करने और बैंक के लिए परिसमापक नियुक्‍त करने हेतु अनुरोध किया गया है।

भारतीय रि़ज़र्व बैंक ने इस बैंक के लाइसेंस को रद्द किया है क्‍योंकि :

  1. बैंक के पास पर्याप्त पूंजी संरचना और आय की संभावना नहीं है। अत: यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।

  2. बैंक अपने वर्तमान और भावी जमाकर्ताओं को, उनके द्वारा जब और जैसे दावे किए जाने पर, पूर्ण रूप से भुगतान करने की स्थिति में नहीं है, अत: बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 धारा के साथ पठित 22 (3)(ए) में उल्लिखित शर्तों का अनुपालन नहीं करता है।

  3. बैंक द्वारा की जाने वाली गतिविधियां वर्तमान और भावी जमाकर्ताओं के हित के प्रतिकूल है अत: बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22 (3) (बी) में उल्लिखित शर्तों का अनुपालन नहीं करता है।

  4. बैंक की वित्तीय स्थिति में पुनरुद्धार की कोई संभावना नहीं है जबकि बैंक को अपनी स्थिति सुधारने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया था।

  5. बैंक द्वारा पूंजी वृद्धि और वित्तीय पुनर्गठन के लिए कोई सकारात्मक उपाय नहीं किया गया तथा पुनरुद्धार के लिए कोई ठोस / व्यवहार्य योजना नहीं तैयार की गई है। बैंक ने किसी अन्य मजबूत बैंक के साथ विलय के लिए कोई ठोस प्रस्ताव भी प्रस्तुत नहीं किया। इस प्रकार, पर्याप्त समय एवं अवसर देने के बावजूद भी बैंक ने वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जिसके कारण बैंक की स्थिति में लगातार गिरावट आई जैसा कि मार्च 31, 2013, मार्च 31, 2014 एवं मार्च 31, 2015 की बैंक की वित्तीय स्थिति के निरीक्षण रिपोर्टों में पाया गया है। अत: बैंक के प्रबंधन का सामान्य व्यवहार सार्वजनिक हित या इसके जमाकर्ताओं के हित के प्रति प्रतिकूल है।

  6. बैंक को जारी/चालू रहने देने से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित 22(3)(इ) में निहित उद्देश्य सिद्ध नहीं होगा। अपितु, यदि बैंक को अपना बैंकिंग कारोबार जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो यह सार्वजनिक हित के प्रतिकूल होगा।

2. लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्‍वरूप, लोकसेवा सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र को तत्‍काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (बी) में यथापरिभाषित “बैंकिंग” कारोबार, जिसमें जमाराशि स्‍वीकार करना और अदा करना भी शामिल है, करने की अनुमति तत्‍काल प्रभाव से समाप्‍त / रद्द की जाती है।

3. लाइसेंस रद्द करने के बाद और परिसमापन के कार्य शुरू होने के अनुक्रम में लोकसेवा सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार राशि अदा की जाने वाली प्रक्रिया शुरू की जाएगी। परिसमापन के दौरान प्रत्‍येक जमाकर्ता सामान्‍य नियम व शर्तों के अधीन निक्षेप बीमा और प्रत्‍यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से रु.1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) तक की जमा राशि प्राप्‍त करने के लिए हकदार होंगे।

अनिरुद्ध डी. जाधव
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/766

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