भारतीय रिजर्व बैंक ने आवर्ती ऑनलाइन लेनदेन के प्रोसेसींग के लिए समय-सीमा का विस्तार किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिजर्व बैंक ने आवर्ती ऑनलाइन लेनदेन के प्रोसेसींग के लिए समय-सीमा का विस्तार किया
31 मार्च 2021 भारतीय रिजर्व बैंक ने आवर्ती ऑनलाइन लेनदेन के प्रोसेसींग के लिए समय-सीमा का विस्तार किया अगस्त 2019 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आवर्ती ऑनलाइन लेनदेन पर ई-जनादेश के प्रोसेसींग के लिए एक रूपरेखा जारी की थी। प्रारंभ में कार्ड और वैलट के लिए लागू रूपरेखा को जनवरी 2020 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेनों को शामिल करने के लिए बढ़ाया गया था। एडीशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (एएफए) की आवश्यकता ने भारत में डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बना दिया है। आवर्ती ऑनलाइन भुगतानों के उपयोग में ग्राहक सुविधा और सुरक्षा के हित में, पंजीकरण के दौरान और प्रथम लेनदेन (बाद के लेनदेन के लिए ₹2,000, तक की छूट जिसे ₹5,000 तक बढ़ाया गया), साथ ही पूर्व लेन-देन अधिसूचना, अधिदेश वापस लेने की सुविधा आदि में उक्त रूपरेखा ने एएफ़ए का उपयोग अनिवार्य किया था। रूपरेखा का प्राथमिक उद्देश्य ग्राहकों को धोखाधड़ी के लेनदेन से बचाना और ग्राहक सुविधा को बढ़ाना था। 31 मार्च 2021 तक समय बढ़ाने के लिए भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के एक अनुरोध के आधार पर, बैंकों को माइग्रेशन पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए, रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2020 में हितधारकों को 31 मार्च तक रूपरेखा में माइग्रेट करने के लिए सूचित किया था। इस प्रकार, हितधारकों को रूपरेखा के अनुपालन के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। हालांकि, यह नोट किया गया है कि विस्तारित समय-सीमा के बाद भी रूपरेखा पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हुई है। इस अननुपालन को गंभीरता के साथ नोट किया गया है और इसे अलग से निपटा जाएगा। कुछ हितधारकों द्वारा कार्यान्वयन में देरी ने बड़े पैमाने पर संभावित ग्राहक असुविधा और चूक (डिफ़ॉल्ट) की स्थिति को उत्पन्न कर दिया है। ग्राहकों को किसी भी असुविधा को रोकने के लिए, रिज़र्व बैंक ने हितधारकों के लिए समय-सीमा को छह महीने अर्थात् 30 सितंबर 2021 तक विस्तारित करने का निर्णय लिया है। विस्तारित समय-सीमा से परे रूपरेखा के पूर्ण पालन को सुनिश्चित करने में अतिरिक्त देरी, कड़े पर्यवेक्षी कार्रवाई को आकर्षित करेगी। रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त सूचना देते हुए आज एक परिपत्र जारी किया जा रहा है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी : 2020-2021/1326 |