भारतीय रिज़र्व बैंक ने बजाज फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बजाज फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
5 जनवरी 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने बजाज फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 5 जनवरी 2021 के आदेश द्वारा बजाज फाइनेंस लिमिटेड, पुणे (दि कंपनी) को (i) एनबीएफ़सी द्वारा वित्तीय सेवाओं के आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन एवं आचार संहिता तथा उपयुक्त एनबीएफ़सी के लिए उचित व्यवहार संहिता (एफ़पीसी) संबंधी रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेश जिसमें एनबीएफ़सी शामिल है- व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 और (ii) अक्षरशः एफपीसी के पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कंपनी के लिए एक विशिष्ट निदेश का उल्लंघन करने के लिए ₹2.50 करोड़ (दो करोड़ पचास लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया। यह दंड यह सुनिश्चित करने में कि कंपनी के वसूली एजेंट अपने ऋण वसूली प्रयासों के तहत ग्राहकों के उत्पीड़न या धमकी का सहारा नहीं लेते हैं और रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में कंपनी की विफलता को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। कंपनी द्वारा अपनाई गई वसूली और उगाही(कलेक्शन) पद्धतियों के बारे में लगातार / बार-बार की जाने वाली शिकायतें भी थीं। उपर्युक्त खामियों के लिए कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे यह सूचित किया गया था कि वह कारण बताएं कि ऐसे अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों नहीं लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी द्वारा दिये गए उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दिये गए मौखिक प्रस्तुति पर विचार करने और उनके द्वारा अतिरिक्त प्रस्तुतिकरण के परीक्षण के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाना अनिवार्य है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर प्रश्न उठाना नहीं है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/891 |