भारतीय रिज़र्व बैंक ने कॉर्पोरेशन बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने कॉर्पोरेशन बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया
29 नवंबर 2019 भारतीय रिज़र्व बैंक ने कॉर्पोरेशन बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी “आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिम से संबंधित प्रावधानीकरण- एनपीए खातों में विचलन संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड”, “आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिम से संबंधित प्रावधानीकरण संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड”, “बैंकों द्वारा निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन के लिए विवेकपूर्ण मानदंड”, “अर्थव्यवस्था में संकटग्रस्त आस्तियों को पुनर्जीवित करने की रूपरेखा - सुधार और पुनर्गठन”, “निधियों का अंतिम उपयोग- निगरानी”, बैंक द्वारा बिलों को भुनाना/पुनर्भुनाना” और “भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों और एफ़आई द्वारा धोखाधड़ी का वर्गीकरण और रिपोर्टिंग) दिशानिर्देश 2016” संबंधी निदेशों कुछ प्रावधानों के गैर अनुपालन के लिए कॉर्पोरेशन बैंक (बैंक) पर 29 नवंबर 2019 के आदेश द्वारा ₹1.50 करोड़ का मौद्रिक दंड लगाया। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और 51 (1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2017 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित सांविधिक निरीक्षण और इसके अलावा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट (आरएआर) से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों अनुपालन नहीं किया जा रहा है। बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया था कि वह यह बताएं कि उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन न करने हेतु बैंक पर मौद्रिक दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण तथा अतिरिक्त प्रस्तुति के परीक्षण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के गैर अनुपालन संबंधी आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1310 |