भारतीय रिज़र्व बैंक ने फॉर्च्यून इंटीग्रेटेड एसेट्स फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने फॉर्च्यून इंटीग्रेटेड एसेट्स फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
31 जनवरी 2020 भारतीय रिज़र्व बैंक ने फॉर्च्यून इंटीग्रेटेड एसेट्स फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘एनबीएफ़सी (रिज़र्व बैंक) में धोखाधड़ी की निगरानी निदेश, 2016’ संबंधी निदेशों के गैर अनुपालन के लिए फॉर्च्यून इंटीग्रेटेड एसेट्स फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई पर 31 जनवरी 2020 के आदेश द्वारा ₹ 2 लाख का मौद्रिक दंड लगाया। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2018 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित सांविधिक निरीक्षण से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- प्रणालीगत रूप से गैर- महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी तथा जमा राशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016’ और ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां - कॉर्पोरेट प्रणाली (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015', ‘एनबीएफ़सी (रिज़र्व बैंक) में धोखाधड़ी की निगरानी निदेश, 2016 संबंधी निदेशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। इसी संबंध में आगे बढ़ते हुए कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया था कि वह यह बताएं कि उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन न करने हेतु बैंक पर मौद्रिक दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण तथा अतिरिक्त प्रस्तुति के परीक्षण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘एनबीएफ़सी (रिज़र्व बैंक) में धोखाधड़ी की निगरानी निदेश, 2016 संबंधी निदेशों के गैर अनुपालन संबंधी आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1853 |