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भारतीय रिज़र्व बैंक ने चौदह बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया

7 जुलाई 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने चौदह बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 6 जुलाई 2021 के आदेशों द्वारा चौदह बैंकों पर निम्नानुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को उधार', 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक वित्त', 'ऋण और अग्रिम - वैधानिक और अन्य प्रतिबंध', 'बड़े क्रेडिट पर सूचना के केंद्रीय रिपोजिटरी (सीआरआईएलसी) को रिपोर्टिंग' पर परिपत्र की विषय-वस्तु के साथ पठित 'बड़े सामान्य एक्सपोजर के केंद्रीय रिपोजिटरी का निर्माण- बैंकों के बीच', 'छोटे वित्त बैंकों के लिए परिचालन दिशा- निर्देश' पर जारी निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 19(2) और धारा 20(1) के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए मौद्रिक दंड लगाया है:

क्रम सं. बैंक का नाम दंड की राशि
( करोड़ में)
1. बंधन बैंक लिमिटेड 1.0
2. बैंक ऑफ बड़ौदा 2.0
3. बैंक ऑफ महाराष्ट्र 1.0
4. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 1.0
5. क्रेडिट सुइस एजी 1.0
6. इंडियन बैंक 1.0
7. इंडसइंड बैंक लिमिटेड 1.0
8. कर्नाटक बैंक लिमिटेड 1.0
9. करूर वैश्य बैंक लिमिटेड 1.0
10. पंजाब एंड सिंध बैंक 1.0
11. साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड 1.0
12. भारतीय स्टेट बैंक 0.50
13. जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड 1.0
14. उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड 1.0

ये दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाए गए हैं। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

रिज़र्व बैंक द्वारा एक समूह की कंपनियों के खातों की जांच की गई और यह पाया गया कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी एक या अधिक उपरोक्त निदेशों के प्रावधानों का पालन करने में बैंक विफल रहे हैं और/या बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। उक्त के आधार पर बैंकों को नोटिस जारी की गईं जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेशों का अनुपालन नहीं करने/ बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। बैंकों से प्राप्त उत्तरों, व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण, जहां कहीं बैंकों द्वारा मांग की गई, और अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच, जहां किए गए, पर विधिवत विचार किया गया, और उस सीमा तक जहां रिज़र्व बैंक के निदेशों का अननुपालन/ बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों का उल्लंघन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए, रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि ऊपर उल्लिखित चौदह बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/499

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