भारतीय रिज़र्व बैंक ने गायत्री को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लि., जगतियाल, तेलंगाना राज्य पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने गायत्री को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लि., जगतियाल, तेलंगाना राज्य पर मौद्रिक दंड लगाया
10 जनवरी 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने गायत्री को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लि., जगतियाल, तेलंगाना राज्य भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 4 जनवरी 2022 के आदेश द्वारा गायत्री को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लि., जगतियाल, तेलंगाना (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 9 के प्रावधानों तथा आरबीआई द्वारा जारी एक्सपोजर मानदंड एवं सांविधिक/अन्य प्रतिबंध- यूसीबी संबंधी मास्टर परिपत्र में निहित निदेशों के कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन/ अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड उपर्युक्त अपेक्षाओं का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर उसके निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ- साथ यह पता चला कि बैंक ने आरबीआई की अनुमति के बिना अनुमत समय के बाद भी गैर-बैंकिंग आस्तियों को धारित करके अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 9 का उल्लंघन तथा व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को अरक्षित अग्रिम को मंजूरी देने संबंधी सीमा को निर्धारित करने वाले आरबीआई द्वारा जारी निदेशों का अननुपालन किया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन/ आरबीआई द्वारा जारी निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। बैंक के लिखित उत्तर तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन/ आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और ऐसे उल्लंघन/अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1520 |