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भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईडीबीआई बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

8 अप्रैल 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईडीबीआई बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 7 अप्रैल 2022 के आदेश द्वारा आईडीबीआई बैंक लिमिटेड (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी “धोखाधड़ी - वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा एफ़आई द्वारा वर्गीकरण और रिपोर्टिंग”, कॉर्पोरेट ग्राहक के रूप में प्रायोजक बैंकों और एससीबी/यूसीबी के बीच भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के नियंत्रण को सुदृढ़ बनाना” तथा “बैंकों में साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क” संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 90 लाख (नब्बे लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949(अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2017, 31 मार्च 2018 और 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए आरबीआई द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी संबंधित पत्राचारों, और दो कॉर्पोरेट नेट बैंकिंग ग्राहकों (सहकारी बैंक) के खातों में 8 और 9 जून 2019 को दो दिनों में कई धोखाधड़ी लेनदेन की रिपोर्ट की गई घटना और इस संबंध में संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला है कि बैंक ने निम्नलिखित सीमा तक उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया है (i) आरबीआई को विलंब से धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग (ii) 5 करोड़ और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ी के संबंध में आरबीआई को विलंब से फ्लैश रिपोर्ट प्रस्तुत करना और (iii) कॉरपोरेट नेट बैंकिंग से निधि अंतरण करने के लिए छुट्टियों के दिन और डेटा एक्सेस कंट्रोल पर समय प्रतिबंध लागू करने में विफल रहना जिसके परिणामस्वरूप दो सहकारी बैंकों के खाते में अनधिकृत डेबिट लेनदेन हुआ। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और उनके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और इस निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/48

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