भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंडियन ओवरसीज़ बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंडियन ओवरसीज़ बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया
24 जून 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंडियन ओवरसीज़ बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 24 जून 2022 के आदेश द्वारा इंडियन ओवरसीज़ बैंक (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी 'भारतीय रिज़र्व बैंक (धोखाधड़ी वर्गीकरण और वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थाओं द्वारा रिपोर्टिंग) निदेश 2016', ‘बड़े ऋणों से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन' और 'दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा', और ‘बाह्य बेंचमार्क आधारित उधार' के साथ पठित 'सभी बैंकों में बड़े सामान्य एक्सपोजर के केंद्रीय भंडार का निर्माण' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹57.50 लाख (सत्तावन लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) और धारा 51(1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए आरबीआई द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचारों की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित सीमा तक आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन का पता चला कि बैंक (i) पता लगने की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर एटीएम कार्ड क्लोनिंग / स्किमिंग से संबंधित धोखाधड़ी के कतिपय मामलों को आरबीआई को रिपोर्ट करने में विफल रहा, (ii) आंकड़ों की अखंडता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में विफल रहा, जब उसने ₹5 करोड़ और उससे अधिक के कुल एक्सपोजर वाले कतिपय उधारकर्ताओं के संबंध में सीआरआईएलसी में ऋण जानकारी की रिपोर्ट नहीं की, और (iii) 1 अक्तूबर 2019 को या उसके बाद सूक्ष्म और लघु उद्यम को दिए गए अस्थिर दर वाले ऋण के लिए बैंक ने बाह्य बेंचमार्क के बजाय एमसीएलआर/ आधार दर का प्रयोग किया। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर पर विचार करने और उनके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और इन निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/424 |