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भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुथूट फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

19 नवंबर 2020

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुथूट फाइनेंस लिमिटेड
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 19 नवंबर 2020 के आदेश द्वारा मुथूट फाइनेंस लिमिटेड, एर्नाकुलम (दि कंपनी) पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा लेने वाली कंपनी और जमा लेने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 में निहित गोल्ड लोन में मूल्य अनुपात की तुलना में लोन का अनुरक्षण और 5.00 लाख से अधिक के गोल्ड लोन देते समय उधारकर्ता के पैन कार्ड की प्रति प्राप्त करने पर, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के लिए 10.00 लाख (दस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।

यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में कंपनी की विफलता को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी के उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी के उप-खंड (1) के उपबंधों (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर प्रश्न उठाना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2018 और 31 मार्च 2019 को वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए मुथूट फाइनेंस लिमिटेड के सांविधिक निरीक्षण, से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे पूछा गया कि वह कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के जवाब, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण तथा कंपनी द्वारा प्रस्तुत अतिरिक्त दस्तावेजों की जांच पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाना अनिवार्य है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/661

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