भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया
15 जुलाई 2019 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 15 जुलाई, 2019 के आदेश द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (बैंक) पर (i) आय निर्धारण और परिसंपत्ति वर्गीकरण (आईआरएसी) मानदंडों (ii) चालू खाते खोलने और संचालन के लिए आचार संहिता और बड़े ऋण पर केंद्रीय सूचना कोष (रिपॉजिटरी) (सीआरआईएलसी) को आंकड़ों की रिपोर्टिंग करने और (iii) धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन और धोखाधड़ियों के वर्गीकरण और रिपोर्टिंग के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन न करने पर ₹ 70 मिलियन का मौद्रिक जुर्माना लगाया। यह जुर्माना बैंककारी विनियम अधिनियम, 1949 की धारा 46(4) (i) और धारा 51 (1) के साथ पठित धारा 47ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2017 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण में, अन्य बातों के साथ-साथ, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आईआरएसी मानदंडों, अन्य बैंकों के साथ ग्राहकों से संबंधित जानकारी साझा करने, सीआरआईएलसी पर आंकड़ों की रिपोर्टिंग, धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन और धोखाधड़ियों के वर्गीकरण और रिपोर्टिंग संबंधी दिशानिर्देशों के पालन न करने का पता चला। निरीक्षण रिपोर्ट और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें यह सूचित किया गया था कि वे कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन न करने के लिए उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतिकरण पर विचार किए जाने के बाद, रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रिज़र्व बैंक के निर्देशों का पालन न करने के उपरोक्त आरोप सिद्ध हुए है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। योगेश दयाल प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/154 |