भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सिटीज़न्स को-ऑपरेटिव बैंक लि., राजकोट (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सिटीज़न्स को-ऑपरेटिव बैंक लि., राजकोट (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया
31 मार्च 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सिटीज़न्स को-ऑपरेटिव बैंक लि., राजकोट (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 26 मार्च 2021 के आदेश द्वारा दि सिटीज़न्स को-ऑपरेटिव बैंक लि., राजकोट (गुजरात) (बैंक) पर, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों, रिश्तेदारों तथा फर्मों/ प्रतिष्ठानों जिनमें उनकी रुचि हो को ऋण एवं अग्रिम’ संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹1.00 लाख (रुपये एक लाख केवल) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि बैंक की 31 मार्च 2018 की वित्तीय स्थिति पर आधारित सांविधिक निरीक्षण से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी (i) ‘शहरी सहकारी बैंकों के निदेशक मंडल – व्यावसायिकता व उनकी भूमिका - क्या करें और क्या न करें ’, (ii) ‘निदेशकों, रिश्तेदारों तथा फर्मों/ प्रतिष्ठानों जिनमें उनकी रुचि हो को ऋण एवं अग्रिम’ व (iii) ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को दिए गए अग्रिमों’ की सूचना देना संबंधी निदेशों का बैंक द्वारा उल्लंघन/अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन नहीं करने पर, उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। बैंक के उत्तर और वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों, रिश्तेदारों तथा फर्मों/ प्रतिष्ठानों जिनमें उनकी रुचि हो को ऋण एवं अग्रिम’ संबंधी निदेशों का अनुपालन नहीं करने के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/1334 |