भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मेहसाणा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मेहसाणा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मेहसाणा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मेहसाणा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया
05 नवंबर 2019 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मेहसाणा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशक, रिश्तेदार तथा फर्म/ प्रतिष्ठानों जिसमें उनकी रुचि हो, को ऋण अग्रिम संबंधी दिशानिर्देश और ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी मास्टर निदेशों के गैर अनुपालन के लिए दि मेहसाणा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मेहसाणा, गुजरात (बैंक) पर 4 नवंबर 2019 के आदेश द्वारा ₹ 5 करोड़ का मौद्रिक दंड लगाया। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2018 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित सांविधिक निरीक्षण से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशक, रिश्तेदार तथा फर्म/ प्रतिष्ठानों जिसमें उनकी रुचि हो को ऋण अग्रिम’, ‘एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध- यूसीबी’, ‘निदेशकों आदि को ऋण एवं अग्रिम- प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक- स्पष्टीकरण- यूसीबी’, ‘ऋण एक्सपोजर मानदंड तथा ऋण एवं अग्रिम संबंधी सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध’, ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014- बैंकिंग विनियमन अधिनियम, ‘1949 की धारा 26 ए- परिचालनात्मक दिशानिर्देश, प्राथमिक (अर्बन) को-ऑपरेटिव बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशियों को रखना’ और ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी मास्टर निदेशों पर विभिन्न परिपत्रों में शामिल रिज़र्व बैंक निदेशों का बैंक द्वारा अनुपालन नहीं किया जा रहा है। बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया था कि वह कारण बताएं कि उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन न करने पर उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ‘निदेशक, रिश्तेदार तथा फर्म/ प्रतिष्ठानों जिसमें उनकी रुचि हो, को ऋण अग्रिम संबंधी दिशानिर्देश और ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) संबंधी आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1112 |