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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि नवनिर्माण को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

14 मार्च 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि नवनिर्माण को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 07 मार्च 2022 के आदेश द्वारा, दि नवनिर्माण को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) (बैंक) पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों, रिश्तेदारों तथा फर्मों / प्रतिष्ठानों जिनमें उनकी रुचि हो को ऋण एवं अग्रिम’ व ‘निदेशकों आदि को ऋण एवं अग्रिम- प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक- स्पष्टीकरण- यूसीबी’ पर निदेशों का उल्लंघन करने के लिए 1.00 लाख (रुपये एक लाख केवल) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट व सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने अपने निदेशकों में से एक के रिश्तेदार को ऋण दिया था, और बैंक ने कुछ ऋण दिए थे जिनमें उसके निदेशकों के रिश्तेदार प्रतिभू / गारंटीकर्ता थे, जिसके परिणामस्वरूप रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1854

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