22 जून 2010 रिज़र्व बैंक ने दि रामकृष्णपुर को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) का लाइसेंस का आवेदन रद्द किया इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दृख़् रामकृष्णपुर को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, हावड़ा(पश्चिम बंगाल) अर्थक्षम नहीं रह गया है और पश्चिम बंगाल सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 17 जून 2010 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक के लाईसेंस के आवेदन को खारिज करने का आदेश जारी किया । निबंधक, सहकारी समितियां, पश्चिम बंगाल से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से रुपये 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। दि रामकृष्णपुर को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, हावड़ा (इसके बाद ‘बैंक’ कहा जाएगा) को 30 जनवरी 1965 को को-ओपरेटिव सोसाईटी के रूप में पंजीकृत किया गया था तथा उसने बैंकिंग कारोबार का प्रारंभ 14 फरवरी 1965 को किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) (आगे इसे ‘अधिनियम’ कहा जाएगा) की धारा 22 के अंतर्गत बैंकिंग कारोबार करने के लिए बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। 31 मार्च 2007 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण से कुछ गंभीर कमियों का पता चला है। आगे 31 मार्च 2009 की स्थिति के अनुसार की गई सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि बैंक की स्थिति और खराब तथा अनिश्चित हो गई है। वित्तीय स्थिति और नकदी की कमी के कारण बैंक को 20 अगस्त 2009 को कारोबार की समाप्ति के बाद से लागू रूप में निदेशाधीन रखा गया तथा अन्य बातों के साथ प्रति जमाकर्ता 1000 रुपए से अधिक की राशि के जमा खातों से आहरण पर प्रतिबंध लगाया गया। 04 सितंबर 2009 के हमारे पत्र सं शबैंवि.केंका.एनएसबी 2/ एससीएन.17/12.29.038/ 2009-10 के माध्यम से बैंक को यह सूचित किया था कि अधिनियम की धारा 22 के अधीन बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाईसेंस जारी करने हेतु बैंक के 30 अप्रैल 1983 के आवेदन को क्यों खारिज न किया जाय तथा बैंक का परिसमापन क्यों न किया जाय इसका कारण बताएं । बैंक ने 08 अक्तूबर 2009 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया था। कारण बताओ नोटिस के जवाब की जाँच की गई और उसे असंतोषजनक नहीं पाया गया। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक को यह लगता है कि बैंक को बैंकिंग कारोबार आगे जारी रखने देने से वर्तमान भावी जमाकर्ताओं के लिए हानिकारक होगा। इसलिए बैंकिंग कारोबार करने हेतु लाइसेंस जारी करने का आवेदन खारिज करना योग्य हैं। तदनुसार, अधिनियम की धारा 22 के तहत भारत में बैंकिंग कारोबार करने के लिए दि रामकृष्ण्पुर को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, हावड़ा के 30 अप्रैल, 1983 के आवेदन को एतद्वारा खारिज किया जाता है। इस आदेश से बैंक को यह अनिवार्य बनता है कि अधिनियम के अनुच्छेद 5 (ख) के अर्थ के अनुसार "बैंकिंग कारोबार"को जमा और भुगतान की स्वीकृति समेत तत्काल प्रभाव से समाप्त करें। लाईसेंस के ज्रद्द होने के परिणामस्वरूप एवं परिसमापन प्रक्रिया के प्रारंभ होने से जमा बीमा योजना के नियमों और शर्तों के अनुसार दि रामकृष्णपुर को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, हावड़ा(पश्चिम बंगाल)के जमाकर्ताओं को भुगतान करने की प्रणाली प्रारंभ होती है। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरुप दि रामकृष्णपुर को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथा परिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित किया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है। किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री सी पटनायक, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, कोलकाता से संपर्क कर सकते हैं। उनका पता निम्न प्रकार है::
पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय, 15 नेताजी सुभाष मार्ग, कोलकाता - 700 001. कोलकाता - 700 001. टेलीफोन नंबर : (033)22308331, फैक्स: (033) 22439290, ईमेल पता:
cpatnaik@rbi.org.in
अजीत प्रसाद प्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1744 |