रिज़र्व बैंक ने दि कोटागिरी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोटागिरी, तमिलनाडु का लाइसेन्स रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने दि कोटागिरी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोटागिरी, तमिलनाडु का लाइसेन्स रद्द किया
18 नवम्बर 2005
रिज़र्व बैंक ने दि कोटागिरी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोटागिरी, तमिलनाडु का लाइसेन्स रद्द किया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कोटागिरी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोटागिरी, तमिलनाडु का लाइसेंस हेतु आवेदन इस तथ्य के चलते 17 नवम्बर 2005 को अस्वीकृत कर दिया क्योंकि यह शोधक्षम नहीं रह गया था। इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल रहे और सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, चेन्नै से बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का अनुरोध भी किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 1,00,000/- रुपये की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने जमाकर्ताओं के हित की सुरक्षा के लिए बैंक के पुनरुज्जीवन हेतु सभी विकल्पों की जांच करने के बाद अंतिम कदम के रूप में दि कोटागिरी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु का लाइसेन्स रद्द करने का निर्णय लिया। दिनांक 7 फरवरी 1996 को बैंक को कमजोर बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया था। 2001-2002 से बैंक की वित्तीय स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती चली गई और 26 अक्तूबर 2002 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को सूचित किया कि वह बैंककारी विनियमन अधिनियम ए 1949 (सहकारी समितियों के लिए यथा प्रयोज्य) के क्षेत्राधिकार से बाहर निकले। तथापि, बैंक ने इस दिशा में काई प्रगति नहीं की। 31 मार्च 2004 की इसकी स्थिति के संदर्भ में किये गये सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि इसकी वित्तीय स्थिति और भी खराब हो गई है तथा इसकी जमाराशियों का क्षरण हो रहा है क्योंकि इसकी चुकता पूँजी और प्रारक्षित का नगदीकरण मूल्य नकारात्मक था। बैंक की दयनीय वित्तीय स्थिति को देखते हुये तथा इस पर विचार करते हुये कि यह जमाराशियों को लौटाने की स्थिति में नहीं है, इस अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत 4 नवम्बर 2004 को बैंक को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया कि बैंक इस बात का कारण बताये कि उसे 31 अक्तूबर 1976 का बैंकिंग लाइसेंस हेतु आवेदन क्यों न रद्द कर दिया जाए और बैंक का वित्तीय समापन कर दिया जाए। इस कारण बताओ नोटिस के प्रत्युत्तर में बैंक ने प्रस्तुत किये गये अपने उत्तर में कहा कि वह अपने निवल अनर्जक आस्तियों को घटाने की कोशिश कर रहा है और 31 मार्च 2005 तक अपनी शेयर पूँजी बढाएगा। 31 मार्च 2005 की स्थिति को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गयी बैंक की खाता बहियों की जांच से पता चला कि बैंक 31 मार्च 2005 को समाप्त वर्ष के लिए निर्धारित किये गये अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रहा और इसकी वित्तीय स्थिति दयनीय थी। मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने की दृष्टि से भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त अधिनियम की धारा 35 क के अंतर्गत 21 सितम्बर 2005 को जारी किये गये अपने निर्देशों से उसके परिचालनों को प्रतिबंधित कर दिया। चूंकि पुनरुज्जीवन के लिए बैंक के पास कोई व्यवहार्य कार्य योजना नहीं थी और उसके पुनरुज्जीवन की संभावनाएं दूर-दूर तक दिखायी नहीं दे रही थीं, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में बैंक का लाइसेन्स रद्द करने का यह आख़िरी उपाय अपनाया। लाइसेंस हेतु इसके आवेदन को रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने, के साथ-साथ निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम, अधिनियम के अनुसार बीमाकृत राशि, कोटागिरी सहकारी शहरी बैंक लिमिटेड, कोटागिरी के जमाकर्ताओं को अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।
लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में दि कोटागिरी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोटागिरी, तमिलनाडु को बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी बैंकों के लिए यथा प्रयोज्य) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार बैंकिंग कारोबार करने से प्रतिबंधित किये जाने के साथ-साथ जमाराशियों की स्वीकृति और चुकौती करने के लिए प्रतिबंधित किया गया है।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री के.एम.अब्राहम, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, चेन्नै-600001 से संपर्क कर सकते हैं।
उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:
डाक पता : शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, फोर्ट ग्लासिस,
16, राजाजी सालै, पोस्ट बॉक्स सं.40, चेन्नै-600001
टेलीफोन नंबर : (044) 25360042
फैक्स नंबर : (044) 25368045
ई-मेल पता : ubdchennai@rbi.org.in
जी. रघुराज
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/610