आरटीजीएस ने 10000 से अधिक बैंक शाखाओं को सम्मिलित किया
16 सितंबर 2005
आरटीजीएस ने 10000 से अधिक बैंक शाखाओं को सम्मिलित किया
साथ-साथ सकल भुगतान (रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) प्रणाली देश में दस हजार से अधिक बैंक शाखाओं को सम्मिलित करते हुए अपने लक्ष्य से आगे बढ़ गयी है। सहभागी बैंकों की आक्रामक रणनीतियों को धन्यवाद, यह लक्ष्य छह महीने पहले प्राप्त किया गया है, जिससे निधि अंतरण सेवा की लोकप्रियता निर्दिष्ट होती है। आपको याद होगा कि मार्च 2004 में चार बैंक शाखाओं को प्रायोगिक आधार पर शामिल करते हुए अंतर-बैंक लेनदेनों के लिए आरटीजीएस प्रणाली शुरू की गयी थी। उसके बाद ग्राहक लेनदेनों को भी शामिल किया गया। अब आरटीजीएस की सदस्यता में 94 बैंक, रिज़र्व बैंक और 14 प्राथमिक व्यापारियों का समावेश किया गया है।
यह प्रणाली बैंकों की पहचानी गयी शाखाओं के बीच साथ-साथ आधार पर अर्थात् तात्कालिक रूप से निधि अंतरण सुकर बनाती है। बैंकों को केवल उन्हीं शाखाओं को शामिल करना चाहिए जो नेटवर्क के माध्यम से जुड़ी हुई हैं और साथ-साथ आधार पर संदेश प्राप्त करने के लिए सक्षम हैं। इस प्रणाली की एक आवश्यकता यह है कि प्राप्तकर्ता बैंकों को चाहिए कि वे यदि किसी कारण से निधियों का विनियोग न कर पायें तो लेनदेनों की प्राप्ति के बाद दो घंटों के भीतर लेनदेन लौटा दें। इस तरह यदि कोई ग्राहक आरटीजीएस प्रणाली के माध्यम से सुबह 11.00 बजे निधि प्रेषित करता है तो वह दोपहर 1.00 बजे हिताधिकारी के खाते में निश्चित रूप से निधि जमा होने की अपेक्षा कर सकता है। यह देखा गया है कि अधिकांश बैंक जमा राशि का तत्काल खाता धारकों के खाते में विनियोग करते हैं।
देश में दस हजार शाखाओं को सम्मिलित किया जाना, देश में कार्यक्षम और स्थिर बुनियादी भुगतान प्रणाली बनाने में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। ये दस हजार शाखाएं देश भर में 450 केंद्रों में पैभ्ली हुई हैं। यद्यपि शाखाओं का संकेद्रण सर्वोच्च 25 प्रमुख केंद्रों पर किया गया है, सभी राज्यों के अत्यंत छोटे शहरों को भी आरटीजीएस के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है। यह सही मायने में राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली बन गया है।
हालांकि हर दिन आरटीजीएस सुविधा की व्याप्ति बढ़ रही है, अब यातायात (ट्रैपिभ्क) बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस समय 50,000/- करोड़ रुपये के कुल मूल्य के लिए हर रोज छह हजार लेनदेन संसाधित किये जा रहे हैं। आरटीजीएस निधि अंतरण सेवा के लिए बैंकों द्वारा लगाये जाने वाले सेवा प्रभारों से संबद्ध जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखी गयी है।
जी.रघुराज
उप महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/342