सार्कफाइनैंस के गवर्नरों की संगोष्ठी, 2016 - आरबीआई - Reserve Bank of India
सार्कफाइनैंस के गवर्नरों की संगोष्ठी, 2016
26 मई 2016 सार्कफाइनैंस के गवर्नरों की संगोष्ठी, 2016 आज रिज़र्व बैंक में सार्कफाइनैंस के गवर्नरों की दो दिवसीय संगोष्ठी शुरू हुई जिसका विषय है- “सार्क क्षेत्र पर चीनी मंदी का प्रभाव और नीति विकल्प”। इस संगोष्ठी में आठ सार्क देशों के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर/उप गवर्नर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और अंतरराष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस) के विशेषज्ञ तथा अनेक अन्य गणमान्य विभूतियां उपस्थित हो रही हैं। अपना उद्घाटन संबोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने अन्य बातों के साथ-साथ विशेषकर चीन की मंदी से उत्पन्न होने वाली वैश्विक अनिश्चितताओं के समय सार्क देशों के बीच अधिक सहयोग की मांग की। उन्होंने कहा कि अन्य उभरते बाजार देशों की तुलना में भारत में समष्टि आर्थिक स्थिरता ने सार्क क्षेत्र में बुनियादी सुविधा (पब्लिक गुड) का काम किया है और उन्हें उम्मीद है कि आगे इस अशांत विश्व में इस क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से अधिक स्थिरता रहेगी। श्री अर्जुन महेंद्रन, गवर्नर, सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका और सार्कफाइनैंस समूह के अध्यक्ष ने सार्कफाइनैंस डेटाबेस शुरू किया जिसे अन्य सार्क केंद्रीय बैंकों के सहयोग से रिज़र्व बैंक द्वारा विकसित किया गया है। इस डेटाबेस को विकसित करना जून 2015 में ढाका में आयोजित सार्कफाइनैंस की बैठक में सहयोग के पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक क्षेत्र के रूप में पहचाना गया था। अन्य क्षेत्र में शामिल थे – सीमापार विप्रेषणों की लेनदेन लागत कम करना, सीमापार व्यापार, क्षमता निर्माण और सहयोगात्मक अनुसंधान अध्ययन जहां भी काफी प्रगति हासिल की गई है। श्री महेंद्रन ने आशा व्यक्त की कि यह डेटाबेस मध्यावधि में सार्क क्षेत्र की सूचना के भंडारघर के रूप में उभरेगा और सदस्य केंद्रीय बैंकों तथा आम जनता के बीच अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए बहुत उपयोगी होगा। यह डेटाबेस http://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=saarcHome पर उपलब्ध कराया गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपने प्रस्तुतीकरण में डॉ. जियान मारिया मिलेसी फेरेटी, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अन्य बातों के साथ-साथ कहा कि वैश्विक वृद्धि का दृष्टिकोण मंदा है और असमान है तथा उन्होंने समन्वित नीति कार्रवाइयों और समन्वित मंदी से बचने तथा वैश्विक सुरक्षा नेट प्रदान करने के लिए क्रमवार संरचनागत सुधारों तथा वित्तीय सुधार एजेंडा की संभावित आवश्यकता पर जोर दिया। एक अन्य प्रस्तुतीकरण में अंतरराष्ट्रीय निपटान बैंक के श्री मधुसुदन मोहंती ने उभरते बाजारों में बैंकिंग प्रणालियों द्वारा सामना किए जाने वाले जोखिमों के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला और कहा कि निधियन मॉडलों से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है। जबकि कुछ जोखिम वैश्विक रूप से एकीकृत ऋण बाजार से उत्पन्न हुए हैं, इनका बड़ा हिस्सा बहुत कम या नकारात्मक ब्याज दरों से आ सकता है। संगोष्ठी में सार्क सदस्य देशों द्वारा सेमिनार के विषय पर पेपर भी प्रस्तुत किए गए। इन सभी प्रस्तुतियों का आम उद्देश्य था कि सार्क क्षेत्र में ट्रेड चैनल के माध्यम से चीनी मंदी का प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित था जो इनके कम शेयरों के कारण रहा। तथापि, कमजोर वैश्विक वृद्धि का अप्रत्यक्ष प्रभाव और वित्तीय बाजार अस्थिरता बड़ी चुनौती हो सकते हैं। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2759 |