बैंक ऋण का क्षेत्रवार नियोजन - अप्रैल 2012
31 मई 2012 बैंक ऋण का क्षेत्रवार नियोजन - अप्रैल 2012 चयनित 47 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से मासिक आधार पर संग्रह किए गए अप्रैल 2012 महीने के लिए सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा नियोजित कुल गैर-खाद्य ऋण के लगभग 95 प्रतिशत की गणना वाले ऋण के क्षेत्रवार नियोजन पर ऑंकड़े विवरण I और II में दिए गए हैं। ये ऑंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था पर सांख्यिकी की तत्काल पुस्तिका (http://dbie.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध हैं। इन ऑंकड़ों की मुख्य-मुख्य बातें नीचे प्रस्तुत हैं : -
वर्ष-दर-वर्ष अधार पर, गैर-खाद्य बैंक ऋण में अप्रैल 2011 में के 22.1 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल 2012 में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। -
कृषि के लिए ऋण में अप्रैल 2011 में 12.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो अप्रैल 2012 में वृद्धि से 14.6 प्रतिशत अधिक है। -
उद्योग के लिए ऋण में अप्रैल 2011 में 25.6 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल 2012 में 19.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल 2012 में उद्योग में ऋण वृद्धि मूलभूत सुविधा, धातुओं और धातु उत्पादों, अभियंत्रण, खाद्य संसाधन, जवाहरात और आभूषण, वाहन और वाहन कल-पूर्जे, यातायात उपकरण, खनन और उत्खनन उद्योग के कारण हुई। -
सेवा क्षेत्र के लिए ऋण में अप्रैल 2011 में 24.1 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल 2012 में 15.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। -
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए ऋण में अप्रैल 2011 में 55.7 प्रतिशत से कम होते हुए अप्रैल 2012 में 36.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। -
वाणिज्यिक भूसंपदा (सीआरइ) क्षेत्र ऋण में अप्रैल 2011 में 21.9 प्रतिशत से कम होते हुए अप्रैल 2012 के दौरान 5.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। -
वैयक्तिक ऋणों में अप्रैल 2011 में 18.4 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल 2012 में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर.आर.सिन्हा उप महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1910 |