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बैंक ऋण का क्षेत्रवार नियोजन - मार्च 2011

29 अप्रैल 2011

बैंक ऋण का क्षेत्रवार नियोजन - मार्च 2011

चयनित 47 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से मासिक आधार पर संग्रह किए गए मार्च 2011 महीने के लिए सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा नियोजित कुल खाद्येतर ऋण के लगभग 95 प्रतिशत की गणना वाले ऋण के क्षेत्रवार नियोजन पर ऑंकड़े विवरण I और II में दिए गए हैं। ये ऑंकड़े भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर सांख्यिकी की तत्‍काल पुस्तिका (http://dbie.rbi.org.in). पर भी उपलब्‍ध हैं।

इन ऑंकड़ों की मुख्‍य-मुख्‍य बातें नीचे प्रस्‍तुत हैं :

  • खाद्येतर बैंक ऋण में 2009-10 के दौरान 16.8 प्रतिशत की तुलना में 2010-11 के दौरान 20.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • कृषि के लिए ऋण वृद्धि में पिछले वर्ष की 22.9 प्रतिशत की तुलना में 2010-11 के दौरान 10.6 प्रतिशत की कमी आयी।

  • उद्योग के लिए ऋण में मूलभूत सुविधा, धातुओं, खाद्य संसाधन, रबड़, प्‍लास्टिक और उनके उत्‍पादों तथा अभियंत्रण के कारण पिछले वर्ष के 24.4 प्रतिशत की तुलना में 2010-11 में 23.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • सेवा क्षेत्र के लिए ऋण में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, व्‍यवसायिक सेवाएं, परिवहन चालकों और पर्यटन, हॉटलों और रेस्‍तरांओं के कारण पिछले वर्ष के 12.5 प्रतिशत की तुलना में 2010-11 के दौरान 23.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • वैयक्तिक ऋणों में पिछले वर्ष के दौरान 4.1 प्रतिशत की तुलना में 2010-11 के दौरान 17.0 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई। क्रेडिट कार्ड बकाया को छोड़कर उसके सभी घटकों ने उच्‍च वृद्धि दर्शायी।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1572

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