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भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-जून 2007

28 सितंबर 2007

भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-जून 2007

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआइ) ने अपने आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग (डीइएपी) द्वारा अप्रैल-नवंबर 2002 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत पर किये गये अध्ययन के निष्कर्ष पर 31 जनवरी 2003 को प्रेस नोट जारी किया था। इसके पश्चात, भारतीय रिज़र्व बैंक "विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत" पर जानकारी को नियमित रूप से अद्यतन करके प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी करता रहा है जोकि भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.obi.org.in) पर उपलब्ध है।

अब वर्ष 2007-08 की पहली तिमाही (अर्थात अप्रैल-जून 2007) की अवधि के भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़े उपलब्ध है। इन आंकड़ों को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर 28 सितंबर 2007 को डाल दिया गया है। इन आंकड़ों के आधार पर, विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोतों को संकलित किया गया है।

विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-जून 2007

2007-08 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में हुई अभिवृद्धि के मुख्य घटक निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं :

सारणी 1 : विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

मदें

अप्रैल-जून 2007

अप्रैल-जून 2006

I.

 

चालू खाता शेष राशियाँ

-4.7

-4.6

II.

 

पूंजी खाता (निवल) (क से च)

15.9

11.0

 

क.

विदेशी निवेश

7.9

0.9

 

ख.

बैंकिंग पूंजी

-2.1

5.0

   

जिसमें से : अनिवासी जमाराशियाँ

-0.4

1.2

 

ग.

अल्पावधि ऋण

1.0

0.4

 

घ.

विदेशी सहायता

0.3

0.0

 

V.

बाह्य वाणिज्यिक उधार

7.0

4.0

 

च.

पूंजी खाते में अन्य मदें*

1.8

0.7

III.

 

मूल्यन परिवर्तन

3.0

4.9

   

कुल (I+II+III)

14.2

11.3

भूल-चूक के अलावा, ‘अन्य पूंजी में’ निर्यात प्राप्तियों में कमीवेशी, विदेशों में रखी निधियां, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भारत का योगदान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को कोटा भुगतान, शाखाओं/ सहयोगी बैंकों की हानियों की भरपाई के लिए प्रेषण और अन्य पूँजीगत लेन-देनों, जिन्हें अन्यत्र कहीं शामिल नहीं किया गया है, की शेष मदें शामिल हैं। अन्य पूँजीगत लेन-देनों, जिन्हें अन्यत्र कहीं शामिल नहीं किया गया है, में मुख्य रूप से 180 दिवस तक सप्लायर्स ऋण, विभिन्न देशों के वित्तीय व्युत्पन्न और पण्य हेजिंग लेनदेन, प्रवासियों के अंतरण (अर्थात, निवास-स्थिति में परिवर्तन से वैयक्तिक प्रभावों और वित्तीय आस्तियों के घट-बढ़ को कवर करना) और अगोचर आस्तियों जैसे पेटेन्ट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, आदि शामिल हैं।


2007-08 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के मुख्य स्रोत विदेशी निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार (इसीबी) और अल्पकालिक ऋण रहे हैं। अप्रैल-जून 2007 के दौरान भुगतान संतुलन आधार पर (मूल्य प्रभाव को छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि 11.2 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। 2007-08 की पहली तिमाही के दौरान मूल्यन लाभ के कारण कुल विदेशी मुद्रा भंडारों में 3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो अमरीकी डॉलर की तुलना में प्रमुख मुद्राओं में मूल्य वृद्धि को दर्शाती है, जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि के दौरान मूल्यन लाभ 4.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था। अप्रैल-जून 2006 के दौरान 11.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि के बदले मूल्यन प्रमाणों सहित अप्रैल-जून 2006-07 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में 14.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई है।

 

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/440

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