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भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-जून 2008

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30 सितंबर 2008

भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-जून 2008

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआइ) ने अपने आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग (डीईएपी) द्वारा अप्रैल-नवंबर 2002 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत पर किये गये अध्ययन के निष्कर्ष पर 31 जनवरी 2003 को एक प्रेस नोट जारी किया था। इसके पश्चात, भारतीय रिज़र्व बैंक "विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत" पर जानकारी को नियमित रूप से अद्यतन करके प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी करता रहा है जोकि भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है।

अब 2008-09 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2008) के लिए भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़े उपलब्ध हैं। ये आंकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर 30 सितंबर 2008 को डाल दिये गये हैं। इन आंकड़ों के आधार पर, विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोतों को संकलित किया गया है।

विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-जून 2008

2008-09 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में हुई अभिवृद्धि के मुख्य घटक निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं :

सारणी 1 : विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

मदें

अप्रैल-जून 2008

अप्रैल-जून 2007

I.

 

चालू खाता शेष राशियाँ

-10.7

-6.3

II.

 

पूंजी खाता (निवल) (क से च तक)

12.9

17.5

 

क.

विदेशी निवेश (i + ii)

5.9

10.1

   

i) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

10.1

2.6

   

ii) संविभाग निवेश

-4.2

7.5

 

ख.

बैंकिंग पूंजी

2.7

-0.9

   

जिसमें से अनिवासी भारतीय जमा

0.8

-0.4

 

ग.

अल्पावधि ऋण

2.2

1.8

 

.

बाह्य सहायता

0.3

0.2

  बाह्य वणिज्यिक उधार 1.6 7.0
 

च.

पूंजी खाते में अन्य मदें*

0.2

-0.7

III.

 

मूल्यन परिवर्तन

0.2

3.0

   

कुल (I+II+III)

2.4

14.2

* ‘अन्य मदों’ में, भूल-चूक के अलावा, निर्यात प्राप्तियों में कमी-बेशी, विदेश में रखी निधियां, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत शेयर जारी किए जाने तक प्राप्त अग्रिम राशि तथा अन्यत्र शामिल न किए गए पूँजीगत लेन-देन संबंधी मदें भी शमिल हैं।

2008-09 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा-भंडार में अभिवृद्धि के मुख्य स्रोत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश,बैंकिंग पूंजी, अल्पावधि ऋण और बाह्य वणिज्यिक उधार (ईसीबी)रहे हैं। 2008-09 की पहली तिमाही के दौरान भुगतान संतुलन आधार पर (मूल्यन प्रभाव को छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। 2008-09 की पहली तिमाही के दौरान मूल्यन लाभ के कारण कुल विदेशी मुद्रा भंडारों में 0.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो अमरीकी डॉलर की तुलना में प्रमुख मुद्राओं में मूल्य वृद्धि को दर्शाती है, जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के दौरान मूल्यन लाभ 3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था। 2007-08 की पहली तिमाही के दौरान 14.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि के मुकाबले मूल्यन प्रभावों सहित 2008-09 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में 2.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई है।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/415

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