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भारत में विदेशी मुद्रा के भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2006 पृष्ठभूमि

29 दिसंबर 2006

भारत में विदेशी मुद्रा के भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2006 पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग द्वारा विदेशी मुद्रा के भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत के बारे में अप्रैल-नवंबर 2002 के दौरान किए गए अध्ययन के निष्कर्ष संबंधी प्रेस टिप्पणी 31 जनवरी 2003 को जारी की थी। इसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ‘विदेशी मुद्रा के भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत’ के बारे में नियमित रूप से प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से अद्यतन जानकारी जारी करता रहता है। वह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है।

अब वर्ष की छमाही (अप्रैल-सितंबर 2006) से संबंधित भुगतान संतुलन के आंकड़े उपलब्ध हैं। यह आँकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर 29 दिसंबर 2006 को जारी किये गये है।

विदेशी मुद्रा के भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2006
अप्रैल-सितंबर 2006 के दौरान विदेशी मुद्रा के भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत के प्रमुख घटकों को निम्नलिखित सारणी में दर्शाया गया हैं :

सारणी 1 : विदेशी मुद्रा के भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

मदें

अप्रैल-सितंबर
2006

अप्रैल-सितंबर
2005

I.

 

चालू खाता जमाशेष

-11.7

-7.2

II.

 

पूँजी खाता (निवल) (क से च)

20.3

13.7

 

विदेशी निवेश

5.8

7.5

 

बैंकिंग पूँजी

3.2

2.8

   

जिनमें से : अनिवासी भारतीयों के जमा

2.0

0.2

 

अल्पावधि ऋण

1.9

1.0

 

विदेशी सहायता

0.4

0.4

 

विदेशी बाह्य उधार

5.1

2.9

 

पूँजी खाते की अन्य मदें

3.9*

-0.9

III.

 

मूल्यांकन प्रभार

5.1

-5.0

   

कुल (I+II+III)

13.7

1.5

* इसमें मुख्यत: 3 बिलियन अमरीकी डालर की ‘अन्य पूंजी’ (इसमें समाविष्ट हैं अग्रिम और विलंबित निर्यात प्राप्तियाँ, विदेश में रखी गयी निधियाँ, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भारत का अभिदान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को कोटा भुगतान, शाखाओं / सहायक संस्थाओं की हानियों को पूरा करने के लिए किए गये विप्रेषण और अन्यत्र शामिल न किए गये अन्य पूंजी लेनदेन ) शामिल है।

2006-07 की पहली छमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के मुख्य स्रोत विदेशी निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) और बैंकिंग पूंजी रहे हैं। अप्रैल-सितंबर 2006 के दौरान भुगतान संतुलन आधार पर (मूल्यन प्रभाव को छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि 8.6 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। 2006-07 की पहली छमाही के दौरान मूल्यन लाभ के कारण कुल भंडारों में 5.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो अमरीकी डॉलर की तुलना में प्रमुख मुद्राओं की मूल्य वृद्धि को प्रतिबिंबित करती है, जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि के दौरान मूल्यन हानि 5.0 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। 5.1 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्यन लाभ को ध्यान में रखते हुए, अप्रैल-सितंबर 2006-07 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में 13.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई (अप्रैल-सितंबर 2005-06 के दौरान 1.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई)।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/879

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