भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2007 - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2007
31 दिसंबर 2007
भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2007
पृष्ठभूमि
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआइ) ने अपने अर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग (डीइएपी) द्वारा अप्रैल-नवंबर 2002 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत पर किये गये अध्ययन के निष्कर्ष पर 31 जनवरी 2003 को प्रेस नोट जारी किया था। इसके पश्चात, भारतीय रिज़र्व बैंक "विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत" पर जानकारी को नियमित रूप से अद्यतन करके प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी करता रहा है जोकि भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.obi.org.in) पर उपलब्ध है।
अब वर्ष 2007 की अप्रैल-सितंबर अवधि के भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़े उपलब्ध हैं। इन आंकड़ों को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर 31 दिसंबर 2007 को डाल दिया गया है। इन आंकड़ों के आधार पर, विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोतों को संकलित किया गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2007
अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में हुई अभिवृद्धि के मुख्य घटक निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं :
सारणी 1 : विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत
(बिलियन अमरीकी डॉलर)
मदें |
अप्रैल-सितंबर 2007 |
अप्रैल-सितंबर 2006 |
||
I. |
चालू खाता शेष राशियाँ |
-10.7 |
-10.3 |
|
II. |
पूंजी खाता (निवल) क से च तक) |
51.1 |
18.9 |
|
क. |
विदेशी निवेश |
22.2 |
6.1 |
|
ख. |
विदेशी सहायता |
0.7 |
0.4 |
|
ग. |
बाह्य वाणिज्यिक उधार |
10.6 |
5.7 |
|
घ. |
अल्पावधि ऋण |
5.7 |
3.9 |
|
V. |
बैंकिंग पूंजी |
5.3 |
3.3 |
|
जिसमें से : अनिवासी जमाराशियाँ |
-0.1 |
2.2 |
||
च. |
पूंजी खाते में अन्य मदें * |
6.6 |
-0.5 |
|
III. |
मूल्यन परिवर्तन |
8.2 |
5.1 |
|
कुल (I+II+III) |
48.6 |
13.7 |
*पूंजी खाते की अन्य मदों में, भूल-चूक के अलावा, निर्यात प्रप्तियों में कमी-बेशी, विदेश में रखी निधियां, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत शेयर जारी किए जाने तक प्राप्त अग्रिम राशि तथा अन्यत्र शामिल न किए गए पूँजीगत लेन-देन संबंधी मदें भी शमिल हैं। इन पूंजी प्राप्तियों में, मुख्य रूप से वित्तीय व्युत्पन्नियों और पण्य हेजिंग से संबंधित विदेशी लेन-देन(मार्जिन भुगतान तथा चुकौती), प्रवासियों द्वारा अंतरण तथा अन्य पूंजी अंतरण (विदेश स्थित भारतीयों द्वारा पूंजी आस्तियों का अंतरण, निवेश अनुदान, क्षतिपूर्ति भुगतान), गारंटियों की वसूली आदि शामिल हैं। |
अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के मुख्य स्रोत विदेशी निवेश, बाह्य वणिज्यिक उधार (इसीबी) और अल्पावधि ऋण रहे हैं। अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान भुगतान संतुलन आधार पर (मूल्य प्रभाव को छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि 40.4 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान मूल्यन लाभ के कारण कुल विदेशी मुद्रा भंडारों में 8.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो अमरीकी डॉलर की तुलना में प्रमुख मुद्राओं में मूल्य वृद्धि को दर्शाती है, जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि के दौरान मूल्यन लाभ 5.1 बिलियन अमरीकी डॉलर था। अप्रैल-सितंबर 2006 के दौरान 13.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि के मुकाबले मूल्यन प्रभावों सहित अप्रैल-सितंबर 2007 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में 48.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई है।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/860