बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002 - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002
बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002
14 जून 2002
बैंकिंग लोकपाल योजना, 1995 की समीक्षा करने के बाद रिज़र्व बैंक ने अब बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002 शुरू करने का निर्णय लिया है। इस योजना का फैलाव व्यापक होगा और लोकपाल को और अधिक अधिकार/कार्य उपलब्ध होंगे। नयी योजना आज अर्थात् 14 जून 2002 से प्रभावी होगी।
बैंकिंग लोकपाल योजना, 1995 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस प्रयोजन से शुरू की गयी थी कि बैंक ग्राहकों को तेजी से शिकायत निवारण के लिए एक तंत्र उपलब्ध कराया जाए। बैंकिंग लोकपाल योजना जो जून 1995 में शुरू की गयी थी, बैंकिंग सेवाओं के प्रावधानों तथा अन्य विशिष्ट मामलों से संबंधित बैंक ग्राहकों की सभी शिकायतों के लिए एक संस्थागत और कानूनी ढांचा उपलब्ध कराती थी। बैंकिंग लोकपालों का यह प्रयास रहता था कि वे करार के जरिए समझौते, समझौते के लिए सिफारिश और/अथवा पंचाट पारित करके ग्राहकों की शिकायतों को दूर करें। योजना के अंतर्गत समस्त वाणिज्य बैंक तथा अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक आते थे।
वर्तमान में पूरे देश के लिए बैंकिंग लोकपाल के 15 कार्यालय हैं। योजना को संशोधित करने और बैंकिंग लोकपाल के प्राधिकार और कार्यों की सीमा और उसका दायरा संशोधित करने और बढ़ाने की ज़रूरत के बारे में रिज़र्व बैंक में विचार चल रहा था। नयी बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002 समस्त वाणिज्य बैंकों और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंकों के अलावा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर भी लागू होगी।
बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002 में अतिरिक्त रूप से लोकपाल के पंचाट की समीक्षा के लिए "समीक्षा प्राधिकार" की संस्था की भी व्यवस्था की गयी है। कोई बैंक, जिसके खिलाफ पंचाट पारित किया गया है, अपने मुख्य कार्यपालक के अनुमोदन से पंचाट की समीक्षा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग के प्रभारी उप गवर्नर को आवेदन कर सकता है। बैंक ऐसी समीक्षा के लिए केवल उसी स्थिति में अनुरोध कर सकता है जब पंचाट बैंक के अनुदेशों और/अथवा बैंकिंग से संबंधित विधि और व्यवहार से स्पष्ट रूप से विपरीत जा रहा हो।
योजना में इस प्रयोजन से संशोधन किया गया है ताकि बैंंकिंग लोकपाल, बैंकों और उनके ग्राहकों अथवा दो बैंकों के बीच के विवादों के लिए उसके पास भेजे गये मामलों पर मध्यस्थ की भूमिका अदा कर सके। मध्यस्थता के अंतर्गत अलग-अलग विवादों में संबंधित मामले का मूल्य 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002 के अस्तित्व में आने से पहले बकाया शिकायतों का अधिनिर्णय तथा पहले से ही पारित किये गये पंचाटों का निष्पादन बैंकिंग लोकपाल योजना, 1995 के प्रावधानों के द्वारा संचालित होना जारी रहेगा।
शिव नारायण प्रसाद
उप महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2991-2002/1378