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विपदाग्रस्त कृषकों की सहायता करने के लिए उपायों के सुझाव हेतु कार्यकारी दल का गठन

18 मई 2006

विपदाग्रस्त कृषकों की सहायता करने के लिए उपायों के सुझाव हेतु कार्यकारी दल का गठन

रिज़र्व बैंक ने आज विपदाग्रस्त कृषकों की सहायता करने के लिए उपायों के सुझाव हेतु कार्यकारी दल का गठन किया है। इसमें ऐसे कृषकों के लिए वित्तीय सलाह सेवाएं उपलब्ध कराना और ऐसे कृषकों के लिए भारत की निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) अधिनियम के अंतर्गत विशिष्ट ऋण गारंटी योजना आरंभ करना शामिल है। कार्यकारी दल के सदस्य निम्नानुसार है :

1. प्रोफेसर एस.एस.जोल, उप अध्यक्ष, पंजाब राज्य आयोजना बोर्ड - अध्यक्ष

2. डॉ. वाइ.एस.पी.थोरात, अध्यक्ष, राष्ट्रीय ग्रामीण और विकास बैंक

3. श्री एच.एन.सिनोर, मुख्य कार्यपालक, भारतीय बैंक संघ

4. श्री बी.डी.नारंग, भूतपूर्व मुख्य प्रबंधन निदेशक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स

5. प्रोफेसर एम.एस.श्रीराम, भारतीय प्रबंध संस्था, अहमदाबाद

6. श्री अशोक बंद्योपाध्याय, पश्चिम बंगाल राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड के सदस्य

7. श्री सुरेश किसनवीर, अध्यक्ष, सातारा ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक

8. डॉ. श्रीजीत मिश्रा, सहायक प्रोफेसर, इंदिरा गांधी विकास और अनुसंधान संस्थान

9. श्री सी.एस.मूर्ति, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक - सदस्य सचिव

दल के विचारार्थ विषय निम्नानुसार होंगे :

(i) विपदाग्रस्त कृषकों पर हाल ही में किये गये अध्ययन को ध्यान में रखते हुए किन परिस्थितियों में कृषक को विपदाग्रस्त कृषक माना जाए इसकी रूपरेखा तैयार करना।

(ii) विपदाग्रस्त कृषकों को वित्तीय सलाह उपलब्ध कराने तथा उनके लिए सेवा योजना तैयार करने सहित विपदाग्रस्त कृषकों की सहायता में अंतर्राष्ट्रीतय अनुभव की समीक्षा करना।

(iii) ऋण गारंटी योजना के पहले के अनुभव को ध्यान में रखते हुए विपदाग्रस्त कृषकों के लिए निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम के अंतर्गत ऋण गारंटी योजना तैयार करना।

(iv) विपदाग्रस्त कृषकों के लिए वित्तीय सलाह उपलब्ध कराने और जोखिम को कम करने के उपाय का सुझाव देना

(v) अन्य संबंधित विषय

कार्यकारी दल अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर 2006 तक प्रस्तुत करेगी।

यह आपको ज्ञात होगा कि वार्षिक नीति ब्यौरा वर्ष 2006-07 के अनुच्छेद 152 में यह देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की सुविधा फैलाने और उचित दरों पर बैंक वित्त उपलब्ध कराने के बावजूद कई क्षेत्रों में कृषक वर्ग अभी भी विपदाग्रस्त है। अत: नीति में यह प्रस्ताव किया गया कि विपदाग्रस्त कृषकों के लिए वित्तीय सलाह सेवाएं उपलब्ध कराने और उन्हें भारत की निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) अधिनियम के अंतर्गत विशिष्ट ऋण गारंटी योजना आरंभ करने के लिए उपायों के सुझाव देने हेतु कार्यकारी दल का गठन किया जाए।

अजीत प्रसाद

प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/ 1492

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