भारतीय रिज़र्व बैंक ने बॉम्बे मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बॉम्बे मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 फरवरी 2024 के आदेश द्वारा बॉम्बे मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध - यूसीबी', 'स्वर्ण ऋण – एकबारगी पुनर्भुगतान - यूसीबी' तथा 'यूसीबी में अदावी जमाराशियाँ और निष्क्रिय खाते' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹63.30 लाख (तिरसठ लाख तैंतीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 और 31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्टों, निरीक्षण रिपोर्टों और उनसे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) नाममात्र के सदस्यों को ₹1.00 लाख की विनियामक सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत और संवितरित किए, (ii) ₹2.00 लाख की विनियामक सीमा से अधिक एकबारगी पुनर्भुगतान विकल्प के साथ स्वर्ण ऋण स्वीकृत और संवितरित किए, और (iii) निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए प्रभारों की वसूली की यह दावा करते हुए कि यह ऐसे सक्रियण के लिए खर्चों की प्रतिपूर्ति है। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1833 |