वित्तीय सेवाओं के बदलते परिप्रेक्ष्य में ग्राहक सेवा में उत्कृष्टता - 28 अक्टूबर, 2022 को जोधपुर में आयोजित भारतीय रिजर्व बैंक लोकपाल वार्षिक सम्मेलन में गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक श्री शक्तिकान्त दास का उद्घाटन भाषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
वित्तीय सेवाओं के बदलते परिप्रेक्ष्य में ग्राहक सेवा में उत्कृष्टता - 28 अक्टूबर, 2022 को जोधपुर में आयोजित भारतीय रिजर्व बैंक लोकपाल वार्षिक सम्मेलन में गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक श्री शक्तिकान्त दास का उद्घाटन भाषण
श्री शक्तिकान्त दास, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक
उद्बोधन दिया अक्तूबर 28, 2022
नमस्कार, ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल कंप्लेंट्स अथॉरिटी (एएफसीए), ऑस्ट्रेलिया के सीईओ और मुख्य लोकपाल श्री डेविड लॉक, उप गवर्नर, आरबीआई श्री एम के जैन, कार्यपालक निदेशक, श्री अनिल कुमार शर्मा और श्री एस सी मुर्मू , बैंकों और एनबीएफसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री गौर गोपाल दास, प्रोफेसर एम एस श्रीराम, लोकपाल और भारतीय रिज़र्व बैंक के मेरे साथियों। 1. आरबीआई लोकपाल के इस वार्षिक सम्मेलन, जो कोविड-19 महामारी के कारण तीन वर्ष बाद आयोजित किया जा रहा है, में आप सभी को संबोधित करते हुए मुझे हर्ष का अनुभव हो रहा है। जहाँ एक ओर महामारी ने अपने पीछे कई निशान छोड़े हैं, मुझे कुछ उम्मीद की किरणें दिखाई देती हैं। विशेष रूप से, महामारी के कारण डिजिटलीकरण की दिशा में तेजी आई है और इसने वित्तीय सेवाओं के प्रौद्योगिकी संचालित परिवर्तनों को उत्प्रेरित किया है। 2. हाल के वर्षों में ग्राहकों और वित्तीय सेवा प्रदाताओं की परस्पर क्रिया में एक बड़ा बदलाव आया है। वित्तीय सेवाएं अब ओमनी-चैनल आधार पर 24x7x365 उपलब्ध हैं। उत्पादों और सेवाओं का दायरा इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, यूपीआई, आधार ई-केवाईसी, भारत बिल पेमेंट सिस्टम (बीबीपीएस), क्यूआर स्कैन एंड पे, डिजिटल प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट्स आदि में तेजी से बढ़ा है। मुझे लगता है कि हममें से बहुत से लोगों को यह याद करने के लिए बहुत सोच-विचार करना पड़ेगा कि हमें आखिरी बार चेक जारी करने की आवश्यकता कब हुई थी, बैंक शाखा में जाने की बात तो छोड़ ही दें। ऐसा कहते समय, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि पारंपरिक बैंक शाखाओं की भी विभिन्न प्रकार से उपयोगिता है। 3. इस प्रौद्योगिकी क्रांति ने निश्चित रूप से वित्तीय संस्थाओं की दक्षता में वृद्धि की है, जिसके परिणामस्वरूप व्यवसाय में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, लेकिन इसने नई चुनौतियां भी उत्पन्न की हैं। इसने वित्तीय क्षेत्र में अनियंत्रित प्रौद्योगिकी खिलाड़ियों के लिए पिछले दरवाजे खोल दिए हैं। डिजिटल लेंडिंग ऐप या डीएलए की भरमार है, जिनमें से कई किसी भी विनियम या फेयर प्रैक्टिस कोड का पालन नहीं करते हैं। इससे गलत बिक्री, ग्राहक गोपनीयता का उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, अनुचित ब्याज दरें और अनैतिक ऋण वसूली प्रथाओं सहित कई चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। ग्राहकों को शुरू में इन संस्थाओं से उधार लेने के लिए लुभाया जाता है क्योंकि इसके लिए दस्तावेज़ प्रक्रिया सरलीकृत होती है या किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती है, जिसके बाद शीघ्र ऋण वितरण होता है। बाद में ग्राहकों को इस तरह की उधारी के गंभीर नुकसान का एहसास होता है। आरबीआई द्वारा उपाय 4. आरबीआई अन्य संबंधित एजेंसियों के सहयोग से इन चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठा रहा है। पिछले महीने हमने डिजिटल ऋण पर दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ विनियमित संस्थाओं को संविदा के निष्पादन से पूर्व उधारकर्ता को “की फेक्ट स्टेटमेंट”(केएफएस) प्रदान करने की आवश्यकता होती है। 5. केएफएस में ब्याज की वार्षिक प्रतिशत दर, वसूली तंत्र, विशेष रूप से डिजिटल ऋण/फिनटेक से संबंधित मामलों से निपटने के लिए नामित शिकायत निवारण अधिकारी और लुक-अप अवधि का विवरण अनिवार्य रूप से शामिल होगा। दंडात्मक शुल्क सहित कोई भी शुल्क या चार्ज, जिसका केएफएस में उल्लेख नहीं किया गया है, विनियमित संस्था द्वारा ऋण की अवधि के दौरान किसी भी स्तर पर उधारकर्ता से नहीं लिया जा सकता है। दिशानिर्देशों में यह भी परिकल्पना की गई है कि एक उधारकर्ता को लुक-अप अवधि के दौरान बिना किसी जुर्माने के, मूलधन और आनुपातिक ब्याज का भुगतान करके डिजिटल ऋण से बाहर निकलने का एक स्पष्ट विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा। लुक-अप अवधि के बाद भी ऋण जारी रखने वाले उधारकर्ताओं के लिए, आरबीआई के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्व-भुगतान की अनुमति जारी रहेगी। 6. इस वर्ष की शुरुआत में, हमने आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर श्री बीपी कानूनगो की अध्यक्षता में "आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं में ग्राहक सेवा मानकों की समीक्षा" के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति विनियमित संस्थाओं में ग्राहक सेवा की स्थिति के साथ-साथ ग्राहक सेवा विनियमों की पर्याप्तता की जांच और समीक्षा करेगी और इन पहलुओं में सुधार के उपाय सुझाएगी। समिति के विचारार्थ विषयों में से एक विषय है ग्राहक सेवा परिदृश्य की उभरती और विकसित जरूरतों की समीक्षा करना, विशेष रूप से डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय उत्पादों को विकसित करने के संदर्भ में और उपयुक्त नियामक उपायों के संबंध में सुझाव देना। 7. जैसा कि आप सभी को विदित है, पिछले वर्ष हमने तीन पूर्ववर्ती लोकपाल योजनाओं की समीक्षा की थी तथा 'एक राष्ट्र, एक लोकपाल' के विजन के आधार पर पहले की योजनाओं के स्थान पर व्यापक रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) 2021 की शुरुआत की है। 12 नवंबर, 2021 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा चंडीगढ़ में शिकायत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र (सीआरपीसी) सहित नई योजना का शुभारंभ किया गया। शिकायत प्रबंध प्रणाली (सीएमएस) के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के अलावा, ग्राहक समर्पित ईमेल आईडी पर या सीआरपीसी, चंडीगढ़ को भौतिक रूप में भी शिकायत भेज सकते हैं। ग्राहकों को आरबीआई से सीधे बातचीत की सुविधा प्रदान करने, शिकायतकर्ताओं को उनकी शिकायतें दर्ज करने में सहायता करने और उन्हें आरबीआई में निवारण तंत्र के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए सीआरपीसी टोल-फ्री नंबर 14448 के साथ एक संपर्क केंद्र संचालित करता है। यह संपर्क केंद्र हिंदी और अंग्रेजी के अलावा दस क्षेत्रीय भाषाओं (असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, ओडिया, पंजाबी, मलयालम, मराठी, तमिल और तेलुगु) में सुरक्षित बैंकिंग प्रथाओं से संबंधित जानकारी का प्रसार भी करता है। आने वाले समय में हम अन्य भारतीय भाषाओं को भी शामिल करेंगे। 8. चूंकि प्रौद्योगिकी एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, इसलिए न केवल डिजिटल उत्पादों के संबंध में, बल्कि डिजिटल क्षेत्र में होने वाली धोखाधड़ी के संबंध में भी जागरूकता फैलाने में वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने की दिशा में अधिक ध्यान देना महत्वपूर्ण है। 'आरबीआई कहता है' बैनर के तहत प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हम कई जागरूकता संदेश लेकर आए हैं। आरबीआई की वेबसाइट पर BE(A)WARE नामक एक पुस्तिका अपलोड की गई है, जिसमें धोखाधड़ी की घटनाओं और आरबीआई लोकपाल के कार्यालयों में प्राप्त शिकायतों से एकत्र किए गए धोखेबाजों की कार्यप्रणाली के विभिन्न तरीकों को संकलित किया गया है। 9. नई आईओएस योजना इस वर्ष नवंबर में एक साल पूरा करेगी। सितंबर 2022 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि विनियमित संस्थाओं (आरई) और आरबीआई की पहल का सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। विशेष रूप से, अस्वीकार्य शिकायतों के अनुपात में उल्लेखनीय कमी देखी गई है, शायद यह बढ़ती जागरूकता के कारण है। निपटान दर और टर्नअराउंड समय में भी सुधार हुआ है। ये सकारात्मक रुझान हैं, लेकिन मेरा मानना है कि अभी भी सुधार की गुंजाइश है। यह जरूरी है कि आरई और आरबीआई लोकपाल के बीच समन्वय और सहयोग के स्तर को और बढ़ाया जाए ताकि ग्राहकों के लिए टर्नअराउंड टाइम को कम किया जा सके। ग्राहक सेवा में निरंतर आने वाली समस्याएँ 10. ग्राहक सेवा और उपभोक्ता संरक्षण पर हमारे बढ़ते फोकस के बावजूद, मैं यह देखकर बहुत चिंतित हूं कि कुछ विशिष्ट क्षेत्रों जैसे गलत बिक्री, मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी, असंगत सेवा प्रभार, बहुत अधिक दंडात्मक दरों आदि के संबंध में अभी भी लगातार शिकायतें जारी हैं। सोशल मीडिया पर कुछ रिकवरी एजेंटों द्वारा बल प्रयोग किए जाने की खबरें विनियमित संस्थाओं (बैंक, एनबीएफसी, आदि) और रिजर्व बैंक दोनों द्वारा ग्राहक सुरक्षा के लिए किए जा रहे अच्छे काम को प्रभावित करती हैं। 11. हमारी जैसी विशाल और जीवंत वित्तीय व्यवस्था में, कुछ स्तर की शिकायतें समझ में आती हैं। किन्तु चिंता की बात यह है कि अभी भी बड़ी संख्या में शिकायतें पारंपरिक बैंकिंग से संबंधित हैं। इसके लिए विनियमित संस्थाओं में ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण तंत्र के कामकाज की गंभीर समीक्षा की आवश्यकता है। ऐसी शिकायतों के बने रहने के मूल कारणों का विश्लेषण करने और आवश्यक सुधारात्मक उपाय करने की आवश्यकता है। विनियमित संस्थाओं की भूमिका 12. इस संदर्भ में, विनियमित संस्थाओं के बोर्ड और शीर्ष प्रबंधन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उत्पादों के डिजाइन, सहायक प्रक्रियाओं, उत्पादों के वितरण तंत्र और बिक्री के बाद की सेवाओं में ग्राहक केंद्रितता हो। वाणिज्यिक विचार महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उन्हें रणनीति और जोखिम प्रबंधन सहित प्रत्येक पहलू में ग्राहक अभिविन्यास के साथ आवश्यक रूप से जोड़ा जाना चाहिए। 13. मूल कारण विश्लेषण और उसके परिणाम से संगठनात्मक स्तर पर आवश्यक परिवर्तन होने चाहिए, जिसमें प्रक्रिया और प्रणाली में परिवर्तन, नीति और तकनीकी उन्नयन और संबंधित कर्मियों की कौशल वृद्धि शामिल है। शिकायतें सिस्टम, प्रक्रियाओं और समग्र अनुपालन के संबंध में डेटा का खजाना प्रदान कर सकती हैं। इन शिकायतों के निष्कर्ष आंतरिक जोखिम रजिस्टरों के अद्यतन और मध्य-मार्ग सुधार के लिए अमूल्य इनपुट प्रदान कर सकते हैं। 14. आरबीआई ने 2018 में बैंकों के लिए आंतरिक लोकपाल या आईओ की अवधारणा प्रस्तुत की, बाद में जिसका विस्तार अन्य विनियमित संस्थाओं तक किया गया। संक्षेप में, आईओ विनियमित संस्था के भीतर ही एक स्वतंत्र शीर्ष स्तर का प्राधिकरण है जो शिकायतकर्ता को अंतिम निर्णय से अवगत कराने से पहले ग्राहक शिकायतों की प्रस्तावित अस्वीकृति की समीक्षा करता है। इसके अतिरिक्त, आईओ को शिकायतों के पैटर्न का विश्लेषण करने और मूल कारणों को दूर करने के उपाय सुझाने की आवश्यकता होती है। विनियमित संस्थाओं को अपने आंतरिक लोकपाल तंत्र को मजबूत बनाना चाहिए और उसे सहयोग प्रदान करना चाहिए ताकि अधिकांश शिकायतों को विनियमित संस्था द्वारा ही हल किया जा सके, जिससे ग्राहक को आरबीआई लोकपाल से संपर्क करने की आवश्यकता ही न हो। 15. फिशिंग, विशिंग, फेक लिंक और वेबसाइट, रिमोट एक्सेस ऐप आदि के जरिए पेमेंट फ्रॉड की घटनाएं भी चिंता का कारण हैं। कई शिकायतें इसलिए उत्पन्न होती हैं क्योंकि ग्राहक या तो उत्पादों का उपयोग करने के लिए संघर्ष करते हैं या उन्हें गलत तरीके से उपयोग करते हैं या अजनबियों से मदद लेते हैं जिसके परिणामस्वरूप धोखाधड़ी और नुकसान होता है। यह ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ उन्हें डिजिटल धोखेबाजी और धोखाधड़ी से बचाने के लिए ग्राहक शिक्षण और जागरूकता को महत्वपूर्ण बनाता है। मैंने पहले आरबीआई अभियानों का उल्लेख किया था, विनियमित संस्थाएं ग्राहक अनुकूल इंटरफेस डिजाइन करके, धोखाधड़ी का पता लगाने के तंत्र में सुधार करके और साथ ही ग्राहक जागरूकता बढ़ाने के उपाय करके अपना योगदान कर सकती हैं। विनियमित संस्थाओं ने इन क्षेत्रों में पहल की है तथा उन्हें और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। 16. ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए आउटसोर्स वेंडर्स की कड़ी चौकसी और निगरानी करना भी आवश्यक है। यह उल्लेखनीय है कि विनियमित संस्था द्वारा किसी भी गतिविधि की आउटसोर्सिंग उसके अपने दायित्वों को कम नहीं करती है। विनियमित संस्थाएं प्रत्यक्ष बिक्री एजेंटों, प्रत्यक्ष विपणन एजेंटों और वसूली एजेंटों सहित अपने सेवा प्रदाताओं के कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। आरबीआई ने इस बात को कई मौकों पर दोहराया है। विनियमित संस्थाओं को हमारे विनियामक दिशानिर्देशों और देश के कानून के दायरे में अपनी बकाया राशि वसूलने का वैध अधिकार है। बलपूर्वक तरीकों का उपयोग अस्वीकार्य है। अत: आउटसोर्स किए गए कार्यों पर वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा बोर्ड स्तर की कड़ी चौकसी और करीबी निगरानी महत्वपूर्ण है। 17. वित्तीय सेवाओं के डिजिटलीकरण में भी ग्राहकों के प्रति मानवीय स्पर्श होना चाहिए। ग्राहकों के प्रति यंत्रवत या अवैयक्तिक दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए। वित्तीय संस्थाओं को इस संबंध में स्वयं को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। वरिष्ठ नागरिकों और कमजोर वर्गों जैसे अतिसंवेदनशील वर्गों के साथ इंटरफेस उचित संवेदनशीलता के साथ किया जाना चाहिए। 18. विश्वास वित्तीय सेवाओं के व्यवसाय की मौलिक आवश्यकता है। विश्वास की कमी के अवांछनीय परिणाम हो सकते हैं जैसे कि जमाओं का आहरण और वित्तीय अस्थिरता। विश्वास का एक वृहद वाणिज्यिक महत्व भी है। ग्राहकों की संतुष्टि, विशेष रूप से समय पर शिकायत निवारण, संस्था में विश्वास और ब्रांड वफादारी बनाने में एक लंबा रास्ता तय करती है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहक प्रतिधारण दर अधिक होती है। ग्राहक सेवा में उत्कृष्टता के लिए वास्तव में यह एक महत्वपूर्ण लाभ है। आरबीआई लोकपाल 19. लोकपाल कार्यालयों के मेरे आरबीआई सहयोगियों, मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप अपने दृष्टिकोण में संवेदनशील और विवेकपूर्ण रहें। लोकपाल की भूमिका आपको ग्राहक अनुभव को बढ़ाने में दूरगामी और सार्थक बदलाव लाने का अधिकार देती है। यह भूमिका हमारी ओर से असाधारण सतर्कता और तैयारी की मांग करती है ताकि समस्या के कारणों, धोखाधड़ी के नए तौर-तरीकों की तेजी से पहचान की जा सके और मुद्दों को हल किया जा सके। हमें अपने समाधान की गुणवत्ता से समझौता किए बिना टर्नअराउंड टाइम (टीएटी) को और कम करने के लिए कड़ी मेहनत करने की भी आवश्यकता है। निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करने के लिए किसी मामले के तथ्यों और सबूतों का उचित और गहन मूल्यांकन होना चाहिए। जब हम अपनी विनियमित संस्थाओं को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, हमें भी उनके प्रयासों से मेल खाना चाहिए और समय पर और उचित समाधान सुनिश्चित करना चाहिए। 20. मैंने जो कुछ भी कहा है, उसमें तीन प्रमुख बातें हैं। सबसे पहली, आरबीआई लोकपाल और विनियमित संस्थाओं को निरंतर प्राप्त होने वाली ग्राहक शिकायतों के मूल कारणों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें ठीक करने के लिए आवश्यक प्रणालीगत उपाय करने चाहिए। दूसरी, विनियमित संस्थाओं और आरबीआई लोकपाल द्वारा ग्राहकों की शिकायतों का निष्पक्ष और त्वरित समाधान होना चाहिए। तीसरी, यद्यपि वित्तीय परिदृश्य विकसित और रूपांतरित हो चुका है, तथापि अच्छी ग्राहक सेवा और ग्राहक संरक्षण के अंतर्निहित सिद्धांत अर्थात् पारदर्शिता, उचित मूल्य निर्धारण, ईमानदारी, जिम्मेदार व्यवसाय आचरण, उपभोक्ता डेटा और गोपनीयता की सुरक्षा, आदि प्रासंगिक बने हुए हैं। हम सभी एक साथ मिलकर ग्राहकों के लिए बदलाव ला सकते हैं। धन्यवाद, नमस्कार। |