पिछले उप गवर्नरों की सूची - आरबीआई - Reserve Bank of India
पिछले उप गवर्नरों की सूची

डॉ. एम. डी. पात्र
14 जनवरी 2020 की भारत सरकार की अधिसूचना के अनुपालन में डॉ माइकल देवव्रत पात्र ने आज तीन साल या अगले आदेश, जो भी पहले हो, तक की अवधि के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के उप-गवर्नर के रूप में पदभार संभाला।
उप गवर्नर के पद पर पदोन्नति से पहले डॉ. पात्र रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक के रूप में कार्यरत थे।
उप गवर्नर के रूप में डॉ. पात्र पूर्वानुमान और मॉडलिंग इकाई सहित मौद्रिक नीति विभाग (एमपीडी / एमयू), वित्तीय बाजार परिचालन विभाग (एफ़एमओडी), बाजार आसूचना सहित वित्तीय बाजार विनियमन विभाग (एफ़एमआरडी/एमआई), अंतर्राष्ट्रीय विभाग (आईएनटीएल डी), आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (डीईपीआर), सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (आंकड़े और सूचना प्रबंध इकाई सहित) (डीएसआईएम/ डीआईएमयू), कॉर्पोरेट कार्यनीति और बजट विभाग (सीएसबीडी), वित्तीय स्थिरता विभाग का कार्यभार संभालेंगे।
1985 से एक करियर केन्द्रित बैंकर डॉ. पात्र ने भारतीय रिजर्व बैंक में विभिन्न पदों पर काम किया है। कार्यपालक निदेशक के रूप में वे भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य रहे हैं, जिन्हें भारत में मौद्रिक नीति निर्णयन का दायित्व सौंपा जाता है। उप गवर्नर के रूप में वे एमपीसी के पदेन सदस्य बने रहेंगे।
इससे पहले, वे जुलाई 2012 और अक्टूबर 2014 के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक के मौद्रिक नीति विभाग के प्रधान परामर्शदाता रहें। उन्होंने दिसंबर 2008 से जून 2012 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में कार्यपालक निदेशक (भारत) के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में काम किया है और वैश्विक वित्तीय संकट तथा यूरो क्षेत्र में सॉवरेन ऋण संकट की अवधि के दौरान आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड के काम में उन्होंने सक्रिय रूप से कार्य किया है। उनकी किताब "द ग्लोबल इकोनॉमिक क्राइसिस फ्रॉम ए इंडियन लुकिंग ग्लास" इस अनुभव को बखूबी चित्रित करती है। उन्होंने विनिमय दरों और भुगतान संतुलन सहित, मुद्रास्फीति, मौद्रिक नीति, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त जैसे कार्यक्षेत्रों में शोधपत्र भी प्रकाशित किए हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सदस्य के रूप में उन्होंने वित्तीय स्थिरता क्षेत्र में पोस्ट-डॉक्टरल स्तरीय अनुसंधान किया है, उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे से अर्थशास्त्र में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है।
केंद्र सरकार ने डॉ. माइकल देवब्रत पात्र को 15 जनवरी 2023 से एक वर्ष की अवधि के लिए अथवा अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुनः नियुक्त किया है।
केंद्र सरकार ने डॉ. माइकल देबब्रत पात्र को 15 जनवरी 2024 से एक वर्ष की अवधि के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुनः नियुक्त किया है।

श्री एम.के. जैन
श्री महेश कुमार जैन ने आज भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। भारत सरकार ने उन्हें 4 जून 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर के रूप में पदभार ग्रहण करने की तारीख से तीन साल की अवधि या अगला आदेश जो भी पहले हो, तक नियुक्त किया है।
श्री जैन उप गवर्नर के रूप में नियुक्ती से पहले आईडीबीआई बैंक के एमडी और सीईओ थे।
श्री जैन, उप गवर्नर के रूप में बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, सहकारी बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग,गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग,केंद्रीय सुरक्षा कक्ष,दस्तावेज़ प्रबंधन प्रणाली सहित कॉर्पोरेट सेवा विभाग,राजभाषा विभाग,उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग,वित्तीय समावेशन और विकास विभाग और परिसर विभाग का कार्यभार संभालेगें।
श्री जैन एक पेशेवर बैंकर हैं जिनके पास 32 साल से अधिक सेवा का अनुभव है। आईडीबीआई बैंक में अपने कार्यकाल से पहले, वह इंडियन बैंक का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और सिंडिकेट बैंक में विभिन्न पदों पर कई क्षेत्रों में कार्य किया है जिसमें कॉरपोरेट और रिटेल क्रेडिट, जोखिम प्रबंधन, कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन सहित क्रेडिट मॉनिटरिंग, बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग, ट्रेजरी और इंटरनेशनल बैंकिंग शामिल है।
05 मई 1961 को जन्में श्री जैन ने वाणिज्य और व्यापार प्रशासन में स्नातकोत्तर उपाधि के साथ एफएआईआईबी, सीएफए और एफआरएम भी किया है। वे आईआईबीएफ के फैलो सदस्य भी हैं।

श्री बी.पी. कानूनगो
श्री बी.पी. कानुनगो ने आज, भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर के रूप में पदभार संभाला। भारत सरकार ने उन्हें 11 मार्च, 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में 3 अप्रैल 2017 को या उसके बाद उनके द्वारा पदभार ग्रहण किये जाने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि अथवा अगला आदेश, जो भी पहले हो तक के लिए नियुक्त किया है।
उप-गवर्नर के पद पर पदोन्नति के पहले श्री कानुनगो, रिजर्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे।
उप-गवर्नर के रूप में, श्री कानुनगो, मुद्रा प्रबंध विभाग (डीसीएम), बाह्य निवेश एवं परिचालन विभाग (डीईआईओ), सरकारी और बैंक लेखा विभाग (डीजीबीए), सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी), भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस), विदेशी मुद्रा विभाग (एफईडी), आंतरिक ऋण प्रबंधन विभाग (आईडीएमडी), विधि विभाग (एलडी) और परिसर विभाग (पीडी) का कामकाज देखेंगे।
श्री कानुनगो, व्यवसायी केंद्रीय बैंकर सितंबर 1982 में भारतीय रिजर्व बैंक में शामिल हुए। उन्होंने बैंकों के विदेशी मुद्रा प्रबंध, बैंकिंग और गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण, मुद्रा प्रबंध, सरकारी और बैंक लेखा और लोक ऋण जैसे कई कार्यात्मक क्षेत्रों में काम किया है। उन्होंने जयपुर और कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रमुख के रूप में बैंक में सेवा की है और इसके अलावा वे मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के बैंकिंग लोकपाल भी रह चुके हैं। कार्यपालक निदेशक के रूप में, उन्होंने विदेशी मुद्रा प्रबंध, आंतरिक ऋण प्रबंध और सरकारी और बैंक लेखों का कार्य सम्भाला है।
5 मई 1959 को जन्मे श्री कानुनगो, ने विधि क्षेत्र में स्नातक डिग्री के अलावा उत्कल विश्वविद्यालय से मानविकी में मास्टर डिग्री प्राप्त की हैं।

श्री एन.एस. विश्वनाथन
श्री एन.एस. विश्वनाथन ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। भारत सरकार ने उन्हें 29 जून 2016 को उक्त पद पर 4 जुलाई 2016 को या इसके बाद उनके द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि या अगले आदेश आने तक, जो भी पहले हो, भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के पद पर नियुक्त किया है।
श्री विश्वनाथन उप गवर्नर के पद पर जाने से पहले रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे।
उप गवर्नर के रूप में श्री विश्वनाथन बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर), सहकारी बैंकिंग विनियमन विभाग (डीसीबीआर), गैर-बैंकिंग विनियमन विभाग (डीएनबीआर), निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी), वित्तीय स्थिरता इकाई (एफएसयू), निरीक्षण विभाग, जोखिम निगरानी विभाग (आरएमडी) तथा सचिव विभाग का कार्य देखेंगे।
श्री विश्वनाथन, करियर केंद्रीय बैंकर ने 1981 में भारतीय रिज़र्व बैंक में कार्यभार संभाला था। उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सहकारी बैंकों का विनियमन और पर्यवेक्षण, मुद्रा प्रबंध, विदेशी मुद्रा और मानव संसाधन प्रबंध शामिल हैं। वे बैंक ऑफ मॉरिशस में निदेशक, पर्यवेक्षण के रूप में तीन वर्ष के लिए विशेष अन्यत्र नियुक्ति पर रहे। वे रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नै के प्रमुख भी रहे हैं।
श्री विश्वनाथन तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशक बोर्ड में भिन्न-भिन्न समय पर रिज़र्व बैंक के नामिती थे। वे मुख्य सतर्कता अधिकारी और आंतरिक लेखापरीक्षा, आईएफसीआई के प्रमुख भी थे। वे विभिन्न समितियों, कार्य समूहों और कार्यदलों के साथ भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समितियों में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व किया है। इनमें शामिल हैं – नीति विकास समूह, बीआईएस, बासेल के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट यूनियन विनियामक नेटवर्क के कार्यपालक समिति सदस्य।
27 जून 1958 को जन्मे श्री विश्वनाथन ने बेंगलूरु विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है।
केंद्र सरकार ने श्री एन.एस. विश्वनाथन को 3 जुलाई 2019 को समाप्त होने वाली उनकी वर्तमान नियुक्ति की तीन वर्ष की अधिसूचित अवधि से आगे एक और वर्ष अर्थात् 3 जुलाई 2020 अथवा अगले आदेश, जो भी पहले हो तक, के लिए उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक के रूप में पुनः नियुक्त किया है।

डॉ. विरल वी. आचार्य
केंद्रीय सरकार ने 28 दिसंबर 2016 की अधिसूचना एफ सं. 7/1/2012-बीओ-I (पीटी.) के माध्यम से डॉ. विरल वी. आचार्य जो वर्तमान में सी.वी. स्टार प्रोफेसर ऑफ इकॉनोमिक्स, वित्त विभाग, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी – स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनस के रूप में कार्यरत हैं, को उनके कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है। डॉ. आचार्य 20 जनवरी 2017 को कार्यभार ग्रहण करेंगे।
उप गवर्नर के रूप में डॉ. आचार्य मौद्रिक नीति और अनुसंधान क्लस्टर का कार्य देखेंगे।

श्री एस.एस. मूंदड़ा
श्री एस.एस. मूंदड़ा ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। भारत सरकार ने 30 जुलाई 2014 की अपनी अधिसूचना के अनुसार श्री मूंदड़ा द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तारीख अर्थात 31 जुलाई 2014 से या अगले आदेश आने तक, जो भी पहले हो, उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है। रिज़र्व बैंक में कार्यभार ग्रहण करने से पहले श्री मूंदड़ा देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे।
उप गवर्नर के रूप में श्री मूंदड़ा बैंकिंग पर्यवेक्षण, मुद्रा प्रबंध, वित्तीय स्थिरता, ग्रामीण ऋण, ग्राहक सेवा और इसके साथ-साथ रिज़र्व बैंक के मानव संसाधन और सुरक्षा को देखेंगे।
18 जुलाई 1954 को जन्मे श्री मूंदड़ा ने वर्ष 1977 में बैंक ऑफ बड़ौदा में परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया था। 37 वर्ष के बैंकिंग कॅरियर के दौरान उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण पद धारित किए जिनमें सितंबर 2010 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यपालक निदेशक बनने और जनवरी 2013 में बैंक ऑफ बड़ौदा के अध्यक्ष बनने से पहले बैंक ऑफ बड़ौदा के यूरोपीय परिचालन का प्रधान बनना शामिल है।
श्री मूंदड़ा ने कई बहु-आयामी कंपनियों जैसे भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल), केंद्रीय निक्षेपागार सेवाएं (भारत) लिमिटेड (सीडीएसएल), बैंक ऑफ बड़ौदा आस्ति प्रबंधन कंपनी, इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनान्स कॉर्पोरेशन (यूके) लिमिटेड (आईआईएफसीएल), स्टार यूनियन डाई-इची जीवन बीमा निगम कंपनी लिमिटेड, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड के बोर्डों पर सेवा की है। इन संस्थाओं को मार्गदर्शन देने में प्राप्त हुए अनुभव ने उन्हें व्यापक नेतृत्व कौशल और कंपनी अभिशासन में सर्वोत्तम पद्धतियों में गहन परिज्ञान प्रदान किया है।
उन्होंने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा गठित वित्तीय समावेशन समिति के अध्यक्ष के रूप में सेवा की है और उन्होंने लघु कारोबार और कम आय परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा (सीसीएफएस) पर नचिकेत मोर समिति सहित आईबीए और आरबीआई द्वारा गठित बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र से संबंधित कई अन्य महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य के रूप में भी सेवा की है।
उन्होंने वाणिज्य में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है और वे भारतीय बैंकिंग संस्थान के प्रमाणपत्रित एसोसिएट (सीएआईआईबी) हैं ।

श्री आर. गांधी
श्री आर गांधी को आज भारतीय रिज़र्व बैंक का उप गवर्नर नियुक्त किया गया है। भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार श्री गांधी को वीरवार, 03 अप्रैल 2014 के अपराह्न से तीन वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर नियुक्त किया गया है। श्री गांधी उप गवर्नर के पद पर पदोन्नत होने से पहले रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे।
श्री गांधी निम्नलिखित पोर्टफोलियो देखेंगेः बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, शहरी बैंक विभाग, व्यय और बजट नियंत्रण विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, विधि विभाग, परिसर विभाग और जोखिम निगरानी विभाग शामिल हैं।
वर्ष 1980 में भारतीय रिज़र्व बैंक में नियुक्त होने के बाद श्री गांधी ने इन तैंतीस वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता और अनुभव प्राप्त किया है जिनमें भुगतान प्रणाली और सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय बाजार (मुद्रा, प्रतिभूति, फोरेक्स और पूंजी बाजार) परिचालन और विनियमन, मुद्रा परिचालन और प्रबंध, कार्मिक और मानव संसाधन प्रबंध, औद्योगिक ऋण तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग शामिल हैं। उन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में तीन वर्षों के लिए विशेष नियुक्ति दी गई थी। वे रिज़र्व बैंक के दो क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रमुख भी रहे हैं तथा उन्होंने बैंकिंग प्रौद्योगिकी विकास और अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक का कार्यभार भी संभाला है। वे तीन वर्षों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के कार्यपालक सहायक भी रहे। वे पांच वर्षों तक चार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (भिन्न-भिन्न समयावधि में) के निदेशक मंडल में रिज़र्व बैंक द्वारा नामित निदेशक भी रहे। वे विभिन्न समितियों, कार्य समूहों और कार्य दलों से संबद्ध भी रहे हैं।
वर्ष 1956 में जन्म लेने वाले श्री गांधी ने अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिल नाडु से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने प्रबंध सूचना प्रणाली में दि अमेरिकन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डीसी, यूएसए और पूंजी बाजार में सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू यॉर्क, यूएसए से स्नातकोत्तर स्तरीय प्रमाण-पत्र भी प्राप्त किए हैं। उन्होंने गणितीय अर्थशास्त्र, इकॉनोमेट्रिक्स, विकास बैंकिंग और अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र पर दि अमेरिकन यूनिवर्सिटी और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डीसी, यूएसए से विशेष पाठ्यक्रम भी किए हैं। उनकी तकनीकी शिक्षा में आईबीएम एजुकेशन, सिडनी, आस्ट्रेलिया से सिस्टम प्रोग्रेमिंग में प्रमाण-पत्र पाठयक्रम और ओआरएसीएलई, एसेंबली लैंगवेज, नेटवर्किंग आदि शामिल हैं। उन्होंने गांधीवादी विचारधारा पर मदुरै विश्वविद्यालय, तमिल नाडु, भारत से प्रमाण-पत्र प्राप्त किया है।

डॉ. ऊर्जित पटेल
भारत सरकार ने आज डॉ. उर्जित आर.पटेल को भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में 11 जनवरी 2016 को अथवा उसके बाद पद भार ग्रहण करने की तारीख से अगले 3 वर्षों की अवधि के लिए अथवा अगले आदेशों की तारीख जो भी पहले हो तक पुन:नियुक्त किया ।
डॉ. उर्जित आर.पटेल को इससे पहले 11 जनवरी 2013 से 3 वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था।

श्री एच.आर. खान
श्री हारून रशीद खान ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। उप गवर्नर के रूप में उनकी नियुक्ति तीन वर्षों की अवधि के लिए की गई है। वे केंद्रीय सुरक्षा कक्ष, बाह्य निवेश और परिचालन विभाग, सरकारी और बैंक लेखा विभाग, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग और निरीक्षण विभाग का कार्य देखेंगे।
उप गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति के पूर्व श्री खान अक्टूबर 2007 से भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे तथा बाह्य निवेश और परिचालन विभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग तथा सरकारी और बैंक लेखा विभाग का कार्य देखते थे। पूर्व में वह बैंक के नई दिल्ली कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक थे तथा इसके पहले पुणे में कृषि बैंकिंग महाविद्यालय के प्रधानाचार्य थे। श्री खान के केंद्रीय बैंकिंग का कैरियर 32 वर्षों का रहा है जिसके दौरान उन्होंने ग्रामीण ऋण, मुद्रा प्रबंध, बैंकिंग पर्यवेक्षण और विनियमन, ऋण प्रबंध, प्रारक्षित निधि प्रबंध, विदेशी मुद्रा नियंत्रण, कार्मिक प्रशासन और बैंक के आंतरिक खाते के क्षेत्र में भारतीय रिज़र्व बैंक में विविधतापूर्ण दायित्वों का निर्वाह किया है। श्री खान कई आंतरिक और बाह्य समितियों जैसेकि प्रौद्योगिकी निर्यात समिति, राज्य सरकारों के लिए अर्थोपाय अग्र्रिमों पर समिति (सदस्य सचिव के रूप में), लिखतों की निष्क्रीयता पर समिति (संयोजक के रूप में), केंद्रीय काउंटर पार्टियों (सीसीपी) पर कार्यदल, राज्यों के लिए आदर्श राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंध बिल पर कार्यदल (संयोजक के रूप में) से जुड़े रहे हैं।
वे ग्रामीण ऋण और माइक्रो वित्त (जिसे खान समिति कहा जाता है) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के आंतरिक कार्यदल के अध्यक्ष के रूप में भी निकट से शामिल रहे हैं। खान समिति की अनुशंसाओं के आधार पर रिज़र्व बैंक ने कारोबारी सुविधा प्रदाताओं और कारोबारी संवाददाताओं के माध्यम से देश में वित्तीय समावेशन की अग्रणी भूमिका के लिए आइसीटी सहायता के साथ बैंकिंग पहुँच के विस्तार के लिए दिशानिर्देश जारी किया।
कार्यपालक निदेशक के रूप में श्री खान ने ''अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बाजार समेकन'' पर जी-20 पर कार्यदल और अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआइएस) की वैश्विक वित्तीय प्रणालियों पर समिति (सीजीएफएस) में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व किया।
श्री खान देना बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब और सिंध बैंक, बैंक ऑफ राजस्थान तथा ओडि़सा राज्य वित्त निगम (ओएसएफसी) के बोर्ड में भारतीय रिज़र्व बैंक के नामित निदेशक भी थे।
श्री खान ने उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री तथा अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के बाद वर्ष 1978 में बैंक में योगदान किया। श्री खान भारतीय बैंकिंग और वित्त संस्थान (सीएआइआइबी) के प्रमाणित एसोसिएट हैं तथा व्यापार प्रबंधन में डिप्लोमा (डीबीएम) भी धारण करते हैं। उनका विवाह रोजी से हुआ है और उन्हें सारा नाम की एक पुत्री है।
उप गवर्नरों के पोर्टफोलियों निम्न प्रकार हैं -
डॉ. के.सी.चक्रवर्ती |
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डॉ. सुबीर गोकर्ण |
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श्री आनंद सिन्हा |
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श्री एच.आर.खान |
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श्री आनंद सिन्हा
श्री आनंद सिन्हा ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यग्रहण किया। श्री सिन्हा को उप गवर्नर के रूप में 28 फरवरी 2013 तक की अवधि के लिए नियुक्त किया गया है। वे दो विनियामक विभागों अर्थात् बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग और शहरी बैंक विभाग का कार्यभार संभालेंगे। वे सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, व्यय और बज़ट नियंत्रण विभाग, निरीक्षण विभाग, विधि विभाग और परिसर विभाग का भी कार्यभार संभालेंगे।
उप गवर्नर के रूप में नियुक्त होने के पूर्व श्री सिन्हा भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे और बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, वित्तीय स्थिरता इकाई तथा व्यय और बज़ट नियंत्रण विभाग का कार्यभार संभाल रहे थे।
श्री सिन्हा का केंद्रीय बैंक का करियर 34 वर्ष का है। उन्होंने वाणिज्यिक बैंकों के लिए कई प्रमुख विनियामक और पर्यवेक्षी नीतियॉं तैयार करने में योगदान दिया है। वे कई आंतरिक समितियों में भी रहे हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान अन्य कार्य के साथ-साथ विदेशी मुद्रा, निक्षेप बीमा और क्षेत्रीय कार्यालय का कार्यभार संभाला है।
कार्यपालक निदेशक के रूप में उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय समितियों में भारत तथा रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व किया है। वे बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासेल समिति (बीसीबीएस), अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआइएस), बासेल, स्विटज़लैण्ड में भारतीय रिज़र्व बैंक के वैकल्पिक प्रतिनिधि थे। उन्होंने बीसीबीएस की तीन उप समितियों/कार्यक्षेत्रों अर्थात् नीति विकास समूहों (पीडीजी), समष्टि विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण समूह (एमपीजी) तथा समष्टि वेरिएबल कार्यदल (एमवीटीएफ) में भी रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने दिसंबर 2005 से वैश्विक वित्तीय प्रणाली (सीजीएफएस), बीआइएस की समिति में रिज़र्व बैंक का हाल तक प्रतिनिधित्व किया। वे उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं को पूँजी प्रवाह पर सीजीएफएस कार्यदल के सदस्य भी थे। वे संकट के बाद गठित 'सुगम नियंत्रण को बढ़ावा देना तथा पारदर्शिता को मज़बूत बनाना' पर जी-20 कार्यदल में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व किया। श्री सिन्हा अपने करियर के विभिन्न समय में देना बैंक, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसिज़ बैंक, निक्षेप बीमा और प्रत्यक गारंटी निगम तथा निर्यात ऋण और गारंटी निगम के निदेशक बोर्ड पर रिज़र्व बैंक के नामित निदेशक भी रहे।
श्री सिन्हा दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से भौतिक विज्ञान में मास्टर की डिग्री के बाद 1976 में भारतीय रिज़र्व बैंक से जुड़े। उनकी पत्नी श्रीमती शीला है और उनके दो सुपुत्र हैं।