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पिछले उप गवर्नरों की सूची

श्री एम.के. जैन

श्री महेश कुमार जैन ने आज भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। भारत सरकार ने उन्हें 4 जून 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर के रूप में पदभार ग्रहण करने की तारीख से तीन साल की अवधि या अगला आदेश जो भी पहले हो, तक नियुक्त किया है।

श्री जैन उप गवर्नर के रूप में नियुक्ती से पहले आईडीबीआई बैंक के एमडी और सीईओ थे।

श्री जैन, उप गवर्नर के रूप में बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, सहकारी बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग,गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग,केंद्रीय सुरक्षा कक्ष,दस्तावेज़ प्रबंधन प्रणाली सहित कॉर्पोरेट सेवा विभाग,राजभाषा विभाग,उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग,वित्तीय समावेशन और विकास विभाग और परिसर विभाग का कार्यभार संभालेगें।

श्री जैन एक पेशेवर बैंकर हैं जिनके पास 32 साल से अधिक सेवा का अनुभव है। आईडीबीआई बैंक में अपने कार्यकाल से पहले, वह इंडियन बैंक का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और सिंडिकेट बैंक में विभिन्न पदों पर कई क्षेत्रों में कार्य किया है जिसमें कॉरपोरेट और रिटेल क्रेडिट, जोखिम प्रबंधन, कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन सहित क्रेडिट मॉनिटरिंग, बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग, ट्रेजरी और इंटरनेशनल बैंकिंग शामिल है।

05 मई 1961 को जन्में श्री जैन ने वाणिज्य और व्यापार प्रशासन में स्नातकोत्तर उपाधि के साथ एफएआईआईबी, सीएफए और एफआरएम भी किया है। वे आईआईबीएफ के फैलो सदस्य भी हैं।

श्री बी.पी. कानूनगो

श्री बी.पी. कानुनगो ने आज, भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर के रूप में पदभार संभाला। भारत सरकार ने उन्हें 11 मार्च, 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में 3 अप्रैल 2017 को या उसके बाद उनके द्वारा पदभार ग्रहण किये जाने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि अथवा अगला आदेश, जो भी पहले हो तक के लिए नियुक्त किया है।

उप-गवर्नर के पद पर पदोन्‍नति के पहले श्री कानुनगो, रिजर्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे।

उप-गवर्नर के रूप में, श्री कानुनगो, मुद्रा प्रबंध विभाग (डीसीएम), बाह्य निवेश एवं परिचालन विभाग (डीईआईओ), सरकारी और बैंक लेखा विभाग (डीजीबीए), सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी), भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस), विदेशी मुद्रा विभाग (एफईडी), आंतरिक ऋण प्रबंधन विभाग (आईडीएमडी), विधि विभाग (एलडी) और परिसर विभाग (पीडी) का कामकाज देखेंगे।

श्री कानुनगो, व्‍यवसायी केंद्रीय बैंकर सितंबर 1982 में भारतीय रिजर्व बैंक में शामिल हुए। उन्होंने बैंकों के विदेशी मुद्रा प्रबंध, बैंकिंग और गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण, मुद्रा प्रबंध, सरकारी और बैंक लेखा और लोक ऋण जैसे कई कार्यात्मक क्षेत्रों में काम किया है। उन्होंने जयपुर और कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रमुख के रूप में बैंक में सेवा की है और इसके अलावा वे मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के बैंकिंग लोकपाल भी रह चुके हैं। कार्यपालक निदेशक के रूप में, उन्होंने विदेशी मुद्रा प्रबंध, आंतरिक ऋण प्रबंध और सरकारी और बैंक लेखों का कार्य सम्‍भाला है।

5 मई 1959 को जन्‍मे श्री कानुनगो, ने विधि क्षेत्र में स्‍नातक डिग्री के अलावा उत्कल विश्वविद्यालय से मानविकी में मास्टर डिग्री प्राप्‍त की हैं।

श्री एन.एस. विश्वनाथन

श्री एन.एस. विश्वनाथन ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। भारत सरकार ने उन्हें 29 जून 2016 को उक्त पद पर 4 जुलाई 2016 को या इसके बाद उनके द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि या अगले आदेश आने तक, जो भी पहले हो, भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के पद पर नियुक्त किया है।

श्री विश्वनाथन उप गवर्नर के पद पर जाने से पहले रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे।

उप गवर्नर के रूप में श्री विश्वनाथन बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर), सहकारी बैंकिंग विनियमन विभाग (डीसीबीआर), गैर-बैंकिंग विनियमन विभाग (डीएनबीआर), निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी), वित्तीय स्थिरता इकाई (एफएसयू), निरीक्षण विभाग, जोखिम निगरानी विभाग (आरएमडी) तथा सचिव विभाग का कार्य देखेंगे।

श्री विश्वनाथन, करियर केंद्रीय बैंकर ने 1981 में भारतीय रिज़र्व बैंक में कार्यभार संभाला था। उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सहकारी बैंकों का विनियमन और पर्यवेक्षण, मुद्रा प्रबंध, विदेशी मुद्रा और मानव संसाधन प्रबंध शामिल हैं। वे बैंक ऑफ मॉरिशस में निदेशक, पर्यवेक्षण के रूप में तीन वर्ष के लिए विशेष अन्यत्र नियुक्ति पर रहे। वे रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नै के प्रमुख भी रहे हैं।

श्री विश्वनाथन तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशक बोर्ड में भिन्न-भिन्न समय पर रिज़र्व बैंक के नामिती थे। वे मुख्य सतर्कता अधिकारी और आंतरिक लेखापरीक्षा, आईएफसीआई के प्रमुख भी थे। वे विभिन्न समितियों, कार्य समूहों और कार्यदलों के साथ भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समितियों में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व किया है। इनमें शामिल हैं – नीति विकास समूह, बीआईएस, बासेल के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट यूनियन विनियामक नेटवर्क के कार्यपालक समिति सदस्य।

27 जून 1958 को जन्मे श्री विश्वनाथन ने बेंगलूरु विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है।

केंद्र सरकार ने श्री एन.एस. विश्वनाथन को 3 जुलाई 2019 को समाप्त होने वाली उनकी वर्तमान नियुक्ति की तीन वर्ष की अधिसूचित अवधि से आगे एक और वर्ष अर्थात् 3 जुलाई 2020 अथवा अगले आदेश, जो भी पहले हो तक, के लिए उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक के रूप में पुनः नियुक्त किया है।

डॉ. विरल वी. आचार्य

केंद्रीय सरकार ने 28 दिसंबर 2016 की अधिसूचना एफ सं. 7/1/2012-बीओ-I (पीटी.) के माध्यम से डॉ. विरल वी. आचार्य जो वर्तमान में सी.वी. स्टार प्रोफेसर ऑफ इकॉनोमिक्स, वित्त विभाग, न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी – स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनस के रूप में कार्यरत हैं, को उनके कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है। डॉ. आचार्य 20 जनवरी 2017 को कार्यभार ग्रहण करेंगे।

उप गवर्नर के रूप में डॉ. आचार्य मौद्रिक नीति और अनुसंधान क्लस्टर का कार्य देखेंगे।

श्री एस.एस. मूंदड़ा

श्री एस.एस. मूंदड़ा ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। भारत सरकार ने 30 जुलाई 2014 की अपनी अधिसूचना के अनुसार श्री मूंदड़ा द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तारीख अर्थात 31 जुलाई 2014 से या अगले आदेश आने तक, जो भी पहले हो, उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है। रिज़र्व बैंक में कार्यभार ग्रहण करने से पहले श्री मूंदड़ा देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे।

उप गवर्नर के रूप में श्री मूंदड़ा बैंकिंग पर्यवेक्षण, मुद्रा प्रबंध, वित्तीय स्थिरता, ग्रामीण ऋण, ग्राहक सेवा और इसके साथ-साथ रिज़र्व बैंक के मानव संसाधन और सुरक्षा को देखेंगे।

18 जुलाई 1954 को जन्मे श्री मूंदड़ा ने वर्ष 1977 में बैंक ऑफ बड़ौदा में परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया था। 37 वर्ष के बैंकिंग कॅरियर के दौरान उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण पद धारित किए जिनमें सितंबर 2010 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यपालक निदेशक बनने और जनवरी 2013 में बैंक ऑफ बड़ौदा के अध्यक्ष बनने से पहले बैंक ऑफ बड़ौदा के यूरोपीय परिचालन का प्रधान बनना शामिल है।   

श्री मूंदड़ा ने कई बहु-आयामी कंपनियों जैसे भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल), केंद्रीय निक्षेपागार सेवाएं (भारत) लिमिटेड (सीडीएसएल), बैंक ऑफ बड़ौदा आस्ति प्रबंधन कंपनी, इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनान्स कॉर्पोरेशन (यूके) लिमिटेड (आईआईएफसीएल), स्टार यूनियन डाई-इची जीवन बीमा निगम कंपनी लिमिटेड, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड के बोर्डों पर सेवा की है। इन संस्थाओं को मार्गदर्शन देने में प्राप्त हुए अनुभव ने उन्हें व्यापक नेतृत्व कौशल और कंपनी अभिशासन में सर्वोत्तम पद्धतियों में गहन परिज्ञान प्रदान किया है।             

उन्होंने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा गठित वित्तीय समावेशन समिति के अध्यक्ष के रूप में सेवा की है और उन्होंने लघु कारोबार और कम आय परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा (सीसीएफएस) पर नचिकेत मोर समिति सहित आईबीए और आरबीआई द्वारा गठित बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र से संबंधित कई अन्य महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य के रूप में भी सेवा की है।

 उन्होंने वाणिज्य में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है और वे भारतीय बैंकिंग संस्थान के प्रमाणपत्रित एसोसिएट (सीएआईआईबी) हैं ।    

श्री आर. गांधी

श्री आर गांधी को आज भारतीय रिज़र्व बैंक का उप गवर्नर नियुक्त किया गया है। भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार श्री गांधी को वीरवार, 03 अप्रैल 2014 के अपराह्न से तीन वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर नियुक्त किया गया है। श्री गांधी उप गवर्नर के पद पर पदोन्नत होने से पहले रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे।

श्री गांधी निम्नलिखित पोर्टफोलियो देखेंगेः बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, शहरी बैंक विभाग, व्यय और बजट नियंत्रण विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, विधि विभाग, परिसर विभाग और जोखिम निगरानी विभाग शामिल हैं।

वर्ष 1980 में भारतीय रिज़र्व बैंक में नियुक्त होने के बाद श्री गांधी ने इन तैंतीस वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता और अनुभव प्राप्त किया है जिनमें भुगतान प्रणाली और सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय बाजार (मुद्रा, प्रतिभूति, फोरेक्स और पूंजी बाजार) परिचालन और विनियमन, मुद्रा परिचालन और प्रबंध, कार्मिक और मानव संसाधन प्रबंध, औद्योगिक ऋण तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग शामिल हैं। उन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में तीन वर्षों के लिए विशेष नियुक्ति दी गई थी। वे रिज़र्व बैंक के दो क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रमुख भी रहे हैं तथा उन्होंने बैंकिंग प्रौद्योगिकी विकास और अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक का कार्यभार भी संभाला है। वे तीन वर्षों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के कार्यपालक सहायक भी रहे। वे पांच वर्षों तक चार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (भिन्न-भिन्न समयावधि में) के निदेशक मंडल में रिज़र्व बैंक द्वारा नामित निदेशक भी रहे। वे विभिन्न समितियों, कार्य समूहों और कार्य दलों से संबद्ध भी रहे हैं।

वर्ष 1956 में जन्म लेने वाले श्री गांधी ने अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिल नाडु से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने प्रबंध सूचना प्रणाली में दि अमेरिकन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डीसी, यूएसए और पूंजी बाजार में सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू यॉर्क, यूएसए से स्नातकोत्तर स्तरीय प्रमाण-पत्र भी प्राप्त किए हैं। उन्होंने गणितीय अर्थशास्त्र, इकॉनोमेट्रिक्स, विकास बैंकिंग और अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र पर दि अमेरिकन यूनिवर्सिटी और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डीसी, यूएसए से विशेष पाठ्यक्रम भी किए हैं। उनकी तकनीकी शिक्षा में आईबीएम एजुकेशन, सिडनी, आस्ट्रेलिया से सिस्टम प्रोग्रेमिंग में प्रमाण-पत्र पाठयक्रम और ओआरएसीएलई, एसेंबली लैंगवेज, नेटवर्किंग आदि शामिल हैं। उन्होंने गांधीवादी विचारधारा पर मदुरै विश्वविद्यालय, तमिल नाडु, भारत से प्रमाण-पत्र प्राप्त किया है।

डॉ. ऊर्जित पटेल

भारत सरकार ने आज डॉ. उर्जित आर.पटेल को भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में 11 जनवरी 2016 को अथवा उसके बाद पद भार ग्रहण करने की तारीख से अगले 3 वर्षों की अवधि के लिए अथवा अगले आदेशों की तारीख जो भी पहले हो तक पुन:नियुक्‍त किया ।

डॉ. उर्जित आर.पटेल को इससे पहले 11 जनवरी 2013 से 3 वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर के रूप में नियुक्‍त किया गया था।

श्री एच.आर. खान

श्री हारून रशीद खान ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। उप गवर्नर के रूप में उनकी नियुक्ति तीन वर्षों की अवधि के लिए की गई है। वे केंद्रीय सुरक्षा कक्ष, बाह्य निवेश और परिचालन विभाग, सरकारी और बैंक लेखा विभाग, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग और निरीक्षण विभाग का कार्य देखेंगे।

उप गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति के पूर्व श्री खान अक्‍टूबर 2007 से भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे तथा बाह्य निवेश और परिचालन विभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग तथा सरकारी और बैंक लेखा विभाग का कार्य देखते थे। पूर्व में वह बैंक के नई दिल्‍ली कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक थे तथा इसके पहले पुणे में कृषि बैंकिंग महाविद्यालय के प्रधानाचार्य थे। श्री खान के केंद्रीय बैंकिंग का कैरियर 32 वर्षों का रहा है जिसके दौरान उन्‍होंने ग्रामीण ऋण, मुद्रा प्रबंध, बैंकिंग पर्यवेक्षण और विनियमन, ऋण प्रबंध, प्रारक्षित निधि प्रबंध, विदेशी मुद्रा नियंत्रण, कार्मिक प्रशासन और बैंक के आंतरिक खाते के क्षेत्र में भारतीय रिज़र्व बैंक में विविधतापूर्ण दायित्‍वों का निर्वाह किया है। श्री खान कई आंतरिक और बाह्य समितियों जैसेकि प्रौद्योगिकी निर्यात समिति, राज्‍य सरकारों के लिए अर्थोपाय अग्र्रिमों पर समिति (सदस्‍य सचिव के रूप में), लिखतों की निष्‍क्रीयता पर समिति (संयोजक के रूप में), केंद्रीय काउंटर पार्टियों (सीसीपी) पर कार्यदल, राज्‍यों के लिए आदर्श राजकोषीय दायित्‍व और बजट प्रबंध बिल पर कार्यदल (संयोजक के रूप में) से जुड़े रहे हैं।

वे ग्रामीण ऋण और माइक्रो वित्‍त (जिसे खान समिति कहा जाता है) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के आंतरिक कार्यदल के अध्‍यक्ष के रूप में भी निकट से शामिल रहे हैं। खान समिति की अनुशंसाओं के आधार पर रिज़र्व बैंक ने कारोबारी सुविधा प्रदाताओं और कारोबारी संवाददाताओं के माध्‍यम से देश में वित्तीय समावेशन की अग्रणी भूमिका के लिए आइसीटी सहायता के साथ बैंकिंग पहुँच के विस्‍तार के लिए दिशानिर्देश जारी किया।

कार्यपालक निदेशक के रूप में श्री खान ने ''अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग और बाजार समेकन'' पर   जी-20 पर कार्यदल और अंतर्राष्‍ट्रीय निपटान बैंक (बीआइएस) की वैश्विक वित्तीय प्रणालियों पर समिति (सीजीएफएस) में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्‍व किया।

श्री खान देना बैंक, बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र, पंजाब और सिंध बैंक, बैंक ऑफ राजस्‍थान तथा ओडि़सा राज्‍य वित्‍त निगम (ओएसएफसी) के बोर्ड में भारतीय रिज़र्व बैंक के नामित निदेशक भी थे।

श्री खान ने उत्‍कल विश्‍वविद्यालय, भुवनेश्‍वर से राजनीति विज्ञान में स्‍नातकोत्‍तर डिग्री तथा अंतर्राष्‍ट्रीय अध्‍ययन विद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय, नई दिल्‍ली से दर्शनशास्‍त्र में स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त करने के बाद वर्ष 1978 में बैंक में योगदान किया। श्री खान भारतीय बैंकिंग और वित्‍त संस्‍थान (सीएआइआइबी) के प्रमाणित एसोसिएट हैं तथा व्‍यापार प्रबंधन में डिप्‍लोमा (डीबीएम) भी धारण करते हैं। उनका विवाह रोजी से हुआ है और उन्‍हें सारा नाम की एक पुत्री है।

उप गवर्नरों के पोर्टफोलियों निम्‍न प्रकार हैं -

डॉ. के.सी.चक्रवर्ती

:

  1. ग्राहक सेवा विभाग
  2. प्रशासन और कार्मिक प्रबंध विभाग
  3. बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
  4. मुद्रा प्रबंध विभाग
  5. वित्तीय स्थिरता इकाई
  6. मानव संसाधन विकास विभाग
  7. ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग  
  8. सचिव विभाग
  9. समन्‍वय कार्य

डॉ. सुबीर गोकर्ण

:

  1. संचार विभाग
  2. आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग
  3. निक्षेप बीमा और प्रत्‍यय गारंटी निगम
  4. सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग
  5. वित्तीय बाज़ार विभाग
  6. मौद्रिक नीति विभाग
  7. राजभाषा विभाग
  8. सूचना का अधिकार अधिनियम (आरआइए)

श्री आनंद सिन्‍हा  

:

  1. बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग
  2. व्‍यय और बज़ट नियंत्रण विभाग
  3. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग
  4. गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
  5. विधि विभाग
  6. परिसर विभाग
  7. शहरी बैंक विभाग

श्री एच.आर.खान

:

  1. केंद्रीय सुरक्षा कक्ष
  2. बाह्य निवेश और परिचालन विभाग
  3. सरकारी और बैंक लेखा विभाग
  4. भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग
  5. विदेशी मुद्रा विभाग
  6. आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग
  7. निरीक्षण विभाग

श्री आनंद सिन्हा

श्री आनंद सिन्‍हा ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यग्रहण किया। श्री सिन्‍हा को उप गवर्नर के रूप में 28 फरवरी 2013 तक की अवधि के लिए नियुक्‍त किया गया है। वे दो विनियामक विभागों अर्थात् बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग और शहरी बैंक विभाग का कार्यभार संभालेंगे। वे सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, व्‍यय और बज़ट नियंत्रण विभाग, निरीक्षण विभाग, विधि विभाग और परिसर विभाग का भी कार्यभार संभालेंगे।

उप गवर्नर के रूप में नियुक्‍त होने के पूर्व श्री सिन्‍हा भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक थे और बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, वित्तीय स्थिरता इकाई तथा व्‍यय और बज़ट नियंत्रण विभाग का कार्यभार संभाल रहे थे।

श्री सिन्‍हा का केंद्रीय बैंक का करियर 34 वर्ष का है। उन्‍होंने वाणिज्यिक बैंकों के लिए कई प्रमुख विनियामक और पर्यवेक्षी नीतियॉं तैयार करने में  योगदान दिया है। वे कई आंतरिक समितियों में भी रहे हैं। उन्‍होंने अपने करियर के दौरान अन्‍य कार्य के साथ-साथ विदेशी मुद्रा, निक्षेप बीमा और क्षेत्रीय कार्यालय का कार्यभार संभाला है।

कार्यपालक निदेशक के रूप में उन्‍होंने कई अंतर्राष्‍ट्रीय समितियों में भारत तथा रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्‍व किया है। वे बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासेल समिति (बीसीबीएस), अंतर्राष्‍ट्रीय निपटान बैंक (बीआइएस), बासेल, स्विटज़लैण्‍ड में भारतीय रिज़र्व बैंक के वैकल्पिक प्रतिनिधि थे। उन्‍होंने बीसीबीएस की तीन उप समितियों/कार्यक्षेत्रों अर्थात् नीति विकास समूहों (पीडीजी), समष्टि विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण समूह (एमपीजी) तथा समष्टि वेरिएबल कार्यदल (एमवीटीएफ) में भी रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्‍व किया। उन्‍होंने दिसंबर 2005 से वैश्विक वित्तीय प्रणाली (सीजीएफएस), बीआइएस की समिति में रिज़र्व बैंक का हाल तक प्रतिनिधित्‍व किया। वे उभरती बाज़ार अर्थव्‍यवस्‍थाओं को पूँजी प्रवाह पर सीजीएफएस कार्यदल के सदस्‍य भी थे। वे संकट के बाद गठित 'सुगम नियंत्रण को बढ़ावा देना तथा पारदर्शिता को मज़बूत बनाना' पर जी-20 कार्यदल में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्‍व किया। श्री सिन्‍हा अपने करियर के विभिन्‍न समय में देना बैंक, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसिज़ बैंक, निक्षेप बीमा और प्रत्‍यक गारंटी निगम तथा निर्यात ऋण और गारंटी निगम के निदेशक बोर्ड पर रिज़र्व बैंक के नामित निदेशक भी रहे।

श्री सिन्‍हा दिल्‍ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान से भौतिक विज्ञान में मास्‍टर की डिग्री के बाद 1976 में भारतीय रिज़र्व बैंक से जुड़े। उनकी पत्‍नी श्रीमती शीला है और उनके दो सुपुत्र हैं।

डॉ. सुब्बीर गोकर्ण

डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। डॉ. गोकर्ण को कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। वे चौथे उप गवर्नर होंगे, अन्य तीन उप गवर्नर श्रीमती श्यामला गोपीनाथ, श्रीमती उषा थोरात और डॉ. के.सी.चक्रवर्ती हैं। उप गवर्नर के रूप में डॉ. गोकर्ण मौद्रिक नीति विभाग, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, संचार विभाग और निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम का कार्य देखेंगे। डॉ. गोकर्ण जी-20 उप गवर्नरों के फोरम में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व भी करेंगे।

रिज़र्व बैंक में कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व डॉ. गोकर्ण नई दिल्ली स्थित स्टेण्डर्ड एण्ड पुअर्स एशिया-पेसिफिक के मुख्य अर्थशास्ञी थे। भारतीय साख निर्धारण सूचना सेवा लिमिटेड (सीआरआइएसआइएल) के कार्यपालक निदेशक और मुख्य अर्थशास्ञी रहने के बाद उन्होंने अगस्त 2007 में यह पदभार संभाला था जिसमें स्टेण्डर्ड एण्ड पुअर्स में वर्ष 2005 में एक प्रमुख स्टेक अर्जित किया था। मुख्य अर्थशास्ञी के रूप में अपनी भूमिका के अतिरिक्त भारतीय साख निर्धारण सूचना सेवा लिमिटेड (सीआरआइएसआइएल) में अपने पाँच वर्षों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न भूमिकाएं अदा की जिसमें सीआरआइएसआइएल तथा उसकी कई सहायक कंपनियों के अनुसंधान समूह की अध्यक्षता और सीआरआइएसआइएल के बोर्ड की सदस्यता शामिल है।

वर्ष 2002 में सीआरआइएसआइएल में कार्य ग्रहण करने से पूर्व वे राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएइआर), नई दिल्ली (2000-2002) में औद्योगिक विकास भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आइएफसीआइ) में प्रमुख अर्थशास्ञी तथा अध्यक्ष रहे। साथ ही, इंदीरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (आइजीआइडीआर), मुंबई (वर्ष 1991-2000) के सहायक प्रोफेसर भी रहे।

डॉ. गोकर्ण ने अर्थशास्ञ में (1979) बी.ए.(आनर्स) के साथ सेंट झेवियर्स महाविद्यालय, मुंबई से स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा अर्थशास्ञ में (1981) एम.ए. दिल्ली स्कूल ऑफ इकानॉमिक्स से स्नातोक्तर उपाधि प्राप्त की। औद्योगिक लागत तथा मूल्य ब्यूरो में दो वर्ष तक कार्य करने के बाद वे अमरीका में केस वेस्टर्न रिज़र्व विश्वविद्यालय में अर्थशास्ञ में पी.एचडी करने के लिए गये जो उन्हें वर्ष 1989 में प्राप्त हुई। उनके कार्य का मुख्य विषय दक्षिण कोरिया में औद्योगिक कार्यनिष्पादन पर पूँजी बाज़ार उदारीकरण का प्रभाव था। वर्ष 1997 में उन्हें फूल ब्राईट अनुसंधान सदस्यता प्राप्त हुई जहाँ उन्होंने अमरीका के ऐल विश्वविद्यालय में आर्थिक विकास केंद्र में एक शैक्षणिक वर्ष बिताया।

डॉ. गोकर्ण को औद्योगिक अर्थशास्ञ, मौद्रिक अर्थशास्ञ, कंपनी वित्त में महारथ हासिल है। उनकी शैक्षणिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्र हैं जिनमें व्यष्टि अर्थव्यवस्था के अलावा पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के उद्योग, मूलभूत सुविधाएं और तुलनात्मक अध्ययन शामिल हैं। उनके द्वारा लिखित कई कार्य तथा परियोजना रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं जिनमें पूर्व एशिआई विकास प्रक्रिया पर सह-लिखित दो पुस्तकें तथा भारतीय उद्योग के ढाँचे पर सह-संपादित खण्ड शामिल हैं।

उन्होंने 13 वर्ष तक बिजनेस सैन्डर्ड के वर्तमान आर्थिक विषयों पर एक पाक्षिक स्तंभ में अपना योगदान दिया है। वे वर्ष 2002 से 2009 के दौरान बोर्ड ऑफ इंडिया टूडे इकानॉमिक्स के सदस्य भी रह चूके हैं। वे उद्योग संगठनों, शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों और सिविल नागरिक संस्थाओं द्वारा आयोजित समितियों और अन्य गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेते रहे हैं।

डॉ. गोकर्ण का जन्म 3 अक्टूबर 1959 में हुआ। उनका विवाह डॉ. ज्योत्सना बापट, एक स्वतंत्र अनुसंधान और सलाहकार से हुआ है। उनकी एक बेटी है जिसका नाम कनक है।

भारत सरकार ने आज डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण को 31 दिसंबर 2012 तक की आगामी अवधि अथवा नियमित नियुक्ति होने तक अथवा अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुन: नियुक्‍त किया।

डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण नवंबर 2009 में कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से अथवा अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तीन वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर नियुक्‍त किए गए थे। डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण ने 24 नवंबर 2009 को भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था।

डॉ. के.सी. चक्रवर्ती

डॉ. कमलेश चंद्र चक्रवर्ती ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यग्रहण किया। भारत सरकार ने 5 जून 2009 के अपने आदेश द्वारा उनकी नियुक्ति को अधिसूचित किया है। उनकी नियुक्ति कार्यग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि अथवा आगे सूचना मिलने तक, जो भी पहले हो के लिए होगी।

डॉ. चक्रवर्ती, ग्राहक सेवा विभाग, प्रशासन और कार्मिक प्रबंध विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, मानव संसाधन विकास विभाग, राजभाषा विभाग, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, शहरी बैंक विभाग का कार्यभार संभालेंगे तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत वे वैकल्पिक अपील प्राधिकारी भी होंगे।

27 जून 1952 को जन्मे डॉ. चक्रवर्ती ने उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धियाँ प्राप्त की है। उन्होंने विज्ञान की बैचलर डिग्री में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था और एमएससी सांख्यिकी में प्रथम स्थान, स्वर्ण पदक प्राप्त किया था तथा उन्होंने सांख्यिकी में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की है। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाने और अनुसंधान से किया और उनका बैंक ऑफ बड़ौदा में विभिन्न क्षमता में 26 वर्ष का लंबा और उल्लेखनीय कैरियर रहा है। डॉ. चक्रवर्ती का आयोजना, प्रबंध सूचना प्रणाली और आर्थिक अनुसंधान सहित बैंकिंग परिचालन और प्रशासन, विकास बैंकिंग, अग्रणी बैंक योजना, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार, संसाधन प्रबंधन और निवेश बैंकिंग, नए उत्पादों और सेवाओं को शुरू करना, समेकित खज़ाना परिचालनों, जोखिम प्रबंधन और कंपनी खातों, अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग और वैश्विक संघ में अनुभव रहा है। वर्ष 2004 में पंजाब नैशनल बैंक के कार्यपालक निदेशक के रूप में पदोन्नत होने से पहले वे वर्ष 2001 और 2004 के बीच बैंक के यूनाइटेड किंगडम के परिचालनों के कार्य के लिए मुख्य कार्यपालक के रूप में पदस्थापित किए गए थे। भारतीय रिज़र्व बैंक में उप गवर्नर के रूप में कार्यग्रहण करने से पूर्व वे इंडियन बैंक और पंजाब नैशनल बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तथा भारतीय बैंक संघ के अध्यक्ष थे।

श्रीमती उषा थोरात

श्रीमती ऊषा थोरात ने भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला

श्रीमती ऊषा थोरात ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल लिया। उनकी यह नियुक्ति पांच वर्ष की अवधि के लिए है।

श्रीमती थोरात अप्रैल 2004 से भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक के पद पर थीं।

20 फरवरी 1950 को जन्मीं श्रीमती ऊषा थोरात ने देहली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।

श्रीमती थोरात अप्रैल 1972 में रिज़र्व बैंक की सेवा में आयीं। उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों के नकदी और ऋण प्रबंध, सरकारी प्रतिभूति बाज़ार विकास एवं विनियमन, वित्तीय बाज़ार, विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन, विदेशी मुद्रा प्रबंधन, बैंकिंग विनियमन एवं पर्यवेक्षण तथा भुगतान एवं निपटान प्रणालियों का विशद अनुभव है। वह रिज़र्व बैंक स्टाफ महाविद्यालय में संकाय सदस्य रहीं तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के गुवाहाटी कार्यालय में भी उन्होंने काम किया।

वह बैंक आफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज़ बैंक तथा सिक्यूरिटीज़ ट्रेडिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया के निदेशक मंडलों में भी रहीं।

श्रीमती थोरात भारतीय रिज़र्व बैंक की महत्त्वपूर्ण समितियों नामत: ग्रुप आन इंस्टश्मेंट्स आफ स्टरलाइजेशन, ग्रुप आफ स्टेट फाइनांस सेक्रेटरीज़ आन फिस्कल रिस्क आफ गारंटीज़, ग्रुप आन वेज़ एण्ड मीन्स एडवांसेज़ टु स्टेट गवर्नमेंट्स और कमिटी आन कैपिटल एकाउंट कनवर्टिबिलिटी में रहीं।

वर्तमान में वह अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक की ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम्स संबंधी समिति की सदस्य हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक के इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन आफ सिक्यूरिटीज़ कमीशन्स द्वारा गठित अंतर्राष्ट्रीय कार्य दल की एक सदस्य के रूप में भी काम किया।

श्रीमती ऊषा थोरात की पक्षियों को निहारने एवं योग में विशेष रुचि है।

श्रीमती श्‍यामला गोपीनाथ

श्रीमती श्यामला गोपीनाथ, उप गवर्नर को 20 जून 2011 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुन: नियुक्त किया गया है। श्रीमती गोपीनाथ को पूर्व में पाँच वर्ष की अवधि के लिए 21 सितंबर 2004 को उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था।

श्रीमती गोपीनाथ वर्तमान में आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, सरकारी और बैंक लेखा विभाग, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, बाह्य निवेश और परिचालन विभाग, वित्तीय बाज़ार विभाग, सचिव विभाग, संचार विभाग और विधि विभाग का कार्यभार संभाल रही है।

श्री वी. लीलाधर

कार्यकाल :
  • सितंबर 21, 2004 - दिसंबर 08, 2008 (पूर्वाह्न)

श्रीमती के.जे. उदेशी

श्रीमती के. जे. उदेशी को आज भारतीय रिज़र्व बैंक की उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया। भारत सरकार ने आज जारी अपनी अधिसूचना में कहा है कि वे 12 अक्तूबर 2005 तक, जब वे 62 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेंगी अथवा अगले आदेश तक उप गवर्नर के रूप में कार्य करती रहेंगी।

1943 में जन्मी श्रीमती उदेशी अर्थ शास्त्र में पोस्ट ग्रेज्युएट हैं। वे नैशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट से बैंक मैनेजमेंट में डिप्लोमा होल्डर और इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंकर्स की सर्टिफिकेटेड असोसिएट (सीएआइआइबी) हैं। वे 1965 में बैंक की सेवा में आयीं और पदोन्नतियां पाते हुए 2001 में कार्यपालक निदेशक नियुक्त की गयीं। उन्होंने विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग में तथा रिज़र्व बैंक के आंतरिक प्रशासन और मानव संसाधन विभागों में लंबे अरसे तक कार्य किया।

श्रीमती उदेशी भारतीय स्टेट बैंक के बोड़ में रिज़र्व बैंक की नामिती रही हैं। वे नैशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट, इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन के गवर्निंग बोड़ की सदस्य, इन्स्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एण्ड रिसर्च इन बैंकिंग टैक्नोलॉजी की गवर्निंग कौन्सिल की सदस्य, बाज़ार जागरुकता पर शीर्षस्थ समिति, सिक्युरिटीज़ एण्ड एक्सचेंज बोड़ ऑफ इंडिया की सदस्य रही हैं। वे बैंकिंग और वित्त पर उप समूह, इण्डो-रशियन इंटर गवर्नमेंटल कमीशन फॉर ट्रेड, इकॉनॉमिक, साइंटिफिक, टैक्नोलॉजिकल एण्ड कल्चरल को-ऑपरेशन की सह अध्यक्षा भी रही हैं।

श्रीमती उदेशी भारतीय रिज़र्व बैंक में नियुक्त की जानेवाली पहली महिला उप गवर्नर हैं।

श्री राकेश मोहन

डॉ. राकेश मोहन ने भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में आज कार्यभार संभाल लिया। उनकी नियुक्ति तीन वर्ष की अवधि के लिए है।

डॉ. मोहन को डॉ. वाइ. वी. रेड्डी के स्थान पर उप गवर्नर नियुक्त किया गया है जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यपालक निदेशक के रूप में नियुक्त किये गये हैं।

उप गवर्नर के रूप में डॉ. मोहन मौद्रिक नीति विभाग, बाह्य निवेश एवं परिचालन विभाग, आंतरिक ऋण प्रबंध कक्ष, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, सरकारी और बैंक लेखा विभाग तथा व्यय और बजट नियंत्रण विभाग से सम्बद्ध कामकाज देखेंगे।

14 जनवरी 1948 को जन्मे डॉ. राकेश मोहन ने अर्थशास्त्र में अपनी मास्टर डिग्री तथा डॉक्टरेट की उपाधि प्रिन्स्टन युनिवर्सिटी से प्राप्त की तथा अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि येल युनिवर्सिटी से प्राप्त की। वे इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइन्स एण्ड टैक्नोलॉजी, युनिवर्सिटी ऑफ लंदन से इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग में विज्ञान स्नातक भी हैं।

डॉ. राकेश मोहन ने आर्थिक सुधार तथा उदारीकरण, औद्योगिक अर्थशास्त्र, शहरी अर्थशास्त्र, आधारभूत अध्ययन तथा आर्थिक विनियमन के क्षेत्रों में व्यापक अनुसंधान किया है। उन्होंने शहरी अर्थशास्त्र पर तीन पुस्तकें लिखी हैं और वे भारतीय आर्थिक नीति सुधार पर एक पुस्तक के सह-लेखक हैं। उन्होंने काफी संख्या में आलेख लिखे हैं।

रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले डॉ. राकेश मोहन इंडियन कौन्सिल फॉर रिसर्च एण्ड इंटरनेशनल इकोनामिक रिलेशन्स के निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनान्स कंपनी के उपाध्यक्ष थे। वे 4 जनवरी 2001 और 15 मई 2002 के बीच वित्तमंत्री के सलाहकार और मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर भी कार्यरत रहे। वे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, टेलिकाम रेग्युलेटरी एथॉरिटी ऑफ इंडिया के सदस्य, इन्स्टिट्यूट ऑफ इकोनामिक ग्रोथ के बोड़ ऑफ गवर्नर्स के सदस्य, नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनान्स एण्ड पॉलिसी के बोड़ ऑफ गवर्नर्स के सदस्य, नेशनल कौन्सिल ऑफ एप्लाइड इकोनामिक रिसर्च की गवर्निंग बॉडी के सदस्य, मद्रास स्कूल ऑफ इकोनामिक्स के बोड़ ऑफ गवर्नर्स के सदस्य भी हैं।

वे रेलवे पर विशेषज्ञ दल (1999-2001), इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के व्यवसायीकरण पर विशेषज्ञ दल (1994-1996) तथा पेट्रो केमिकल्स पर विशेषज्ञ दल (1992-1993) के अध्यक्ष रहे।

वे उद्योग मंत्रालय में भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार (1988-1996) रहे जहां उन्होंने नयी औद्योगिक, व्यापार तथा विदेशी निवेश नीति तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। वे योजना आयोग के विकास नीति प्रभाग (1986-1988) में भी रहे। वे राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक, भारतीय औद्योगिक ऋण तथा निवेश निगम (आइसीआइसीआइ) एवं भारतीय लघु औद्योगिक विकास बैंक (सिडबी) के भी निदेशक रहे। वे प्रमुख पत्तनों के लिए टेरिफ प्राधिकरण के सदस्य (1997-2002) तथा सिक्युरिटीज़ बोड़ ऑफ इंडिया (2001-2002) के सदस्य भी रहे हैं।

श्री जी.पी. मुनियप्‍पन

कार्यकाल :
  • जुलाई 01, 2001 - मई 31, 2003

श्री वेपा कामेसम

भारत सरकार ने श्री वेपा कामेसम को पहली जुलाई 2003 से 23 सितंबर 2003 तक की अवधि के लिए, जब वे 62 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे अथवा अगले आदेश तक भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुनर्नियुक्त किया है।

श्री कामेसम को भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पहली जुलाई 2001 को दो वर्ष की अवधि के लिए या 62 वर्ष की आयु पूरी करने तक, जो भी पहले हो, नियुक्त किया गया था।

श्री जगदीश कपूर

कार्यकाल :
  • जनवरी 1, 1997 - जून 30, 1999
  • जुलाई 1, 1999 - जून 30, 2001

 

 

श्री वाई.वी. रेड्डी

कार्यकाल :
  • सितंबर 14, 1996 - अगस्त 31, 2001
  • सितंबर 01, 2001 - जुलाई 31, 2002

श्री आर.वी. गुप्‍ता

कार्यकाल :
  • मई 02, 1995 - नवंबर 30, 1997

श्री एस.पी. तलवार

कार्यकाल :
  • नवंबर 07, 1994 - जून 30, 1999
  • जुलाई 01, 1999 - जून 30, 2001

श्री डी.आर. मेहता

Shri D. R .. Mehta today took over as Deputy Governor of the Reserve Bank of India. Shri Mehta's term will be upto June 30, 1995. An IAS of 1961 batch, Shri Mehta served the Government of Rajasthan as Secretary (Industries), Secretary to the Chief Minister and Secretary (Mines) between 1976 and 1989. He has also served the Government of India as Secr etary (Department of Banking), Controller of Capital Issues, Secretary of Committee of Financial Policy, Cabinet Secretariat, and Additional Secretary, Department of Banking (Department of Economic Affairs}, Ministry of Finance: Prior to coming to the RBI, Shri Mehta was Chief Controller of Imports & Exports in the Ministry of Commerce. At the RBI, Shri Mehta will look after Department of Banking . Operations & Development, Industrial & Export Credit Department, Urban Banks Department, Rural Planning and Credit Department, Department of Currency Management, Premises Department, Deposit Insurance & Credit 'Guarantee Corporation, and Financial Sector Reform Cell. Shri Mehta will also look after setting up of the proposed Board for Financial Supervision

श्री एस.एस. तारापोर

कार्यकाल :
  • जनवरी 30, 1992 - सितंबर 30, 1996

श्री आर. जानकीरामन

कार्यकाल :
  • मई 16, 1990 - मई 15, 1993

श्री पी.आर. नायक

कार्यकाल :
  • अप्रैल 01, 1987 - मार्च 31, 1992

श्री पी.डी. ओझा

कार्यकाल :
  • अप्रैल 29, 1985 - अप्रैल 28, 1990

श्री आर.के. कौल

कार्यकाल :
  • अक्‍तूबर 01, 1983 - सितंबर 30, 1986

श्री एम.वी. हाटे

कार्यकाल :
  • मार्च 12, 1982 - मार्च 11, 1985

श्री सी. रंगराजन

कार्यकाल :
  • फ़रवरी 12, 1982 - फ़रवरी 11, 1987

श्री ए. घोष

कार्यकाल :
  • जनवरी 21, 1982 - जनवरी 20, 1987

श्री एम. रामकृष्‍णय्या

कार्यकाल :
  • जनवरी 02, 1978 - जनवरी 31, 1983

श्री जे.सी. लूथर

कार्यकाल :
  • जनवरी 04, 1977 - जून 01, 1977

श्री पी.आर. नांगिया

कार्यकाल :
  • दिसंबर 29, 1975 - फ़रवरी 15, 1982

 

 

श्री के.एस. कृष्‍णस्‍वामी

कार्यकाल :
  • दिसंबर 29, 1975 - मार्च 31, 1981

श्री आर.के. शेषाद्रि

कार्यकाल :
  • जुलाई 26, 1973 - जुलाई 25, 1976

श्री एस.एस. शिरालकर

कार्यकाल :
  • दिसंबर 18, 1970 - जुलाई 25, 1976

श्री वी.वी. चारी

कार्यकाल :
  • नवंबर 17, 1970 - नवंबर 30, 1975

श्री आर.के. हज़ारी

कार्यकाल :
  • नवंबर 27, 1969 - नवंबर 26, 1977

श्री पी.एन. डमरी

कार्यकाल :
  • फ़रवरी 13, 1967 - फ़रवरी 12, 1972
  • फ़रवरी 13, 1972 - मार्च 15, 1972

प्रो. जे.जे. अंजारिया

कार्यकाल :
  • फ़रवरी 01, 1967 - फ़रवरी 28, 1970

श्री ए. बक्‍शी

कार्यकाल :
  • जनवरी 24, 1967 - सितंबर 08, 1969

श्री बी.एन. अडारकर

कार्यकाल :
  • जून 16, 1965 - मई 03, 1970

श्री बी.के. मदन

कार्यकाल :
  • जुलाई 01, 1964 - जनवरी 31, 1967

श्री एम.आर. भिडे

कार्यकाल :
  • फ़रवरी 29, 1964 - जनवरी 25, 1967

श्री सी.एस. दिवेकर

कार्यकाल :
  • नवंबर 12, 1962 - नवंबर 11, 1965

श्री डी.जी. कर्वे

कार्यकाल :
  • मार्च 01, 1962 - फ़रवरी 29, 1964

श्री एम.वी. रंगचारी

कार्यकाल :
  • मार्च 01, 1960 - फ़रवरी 28, 1965

श्री वी. वेंकटप्‍पैया

कार्यकाल :
  • जुलाई 01, 1955 - जून 30, 1960

श्री के.जी. अंबेगांवकर

कार्यकाल :
  • मार्च 01, 1955 - जनवरी 13, 1957

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