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पिछले गवर्नरों की सूची

श्री के.जी. आंबेगांवकर

कार्यकाल :
  • जनवरी 14, 1957 - फ़रवरी 28, 1957

भारतीय सिविल सेवा के सदस्य के जी अंबेगांवकर ने उप गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले वित्त सचिव के रूप में कार्य किया था। बी रामा राउ के इस्तीफे के बाद, एच वी आर आयंगर के पदभार संभालने तक उन्हें अंतरिम गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था।

उन्होंने कृषि उद्यम और रिजर्व बैंक के कार्यों को और घनिष्ठता से जोड़ा। के जी अम्बेगांवकर ने किसी भी बैंक नोट पर हस्ताक्षर नहीं किए।

सर बेनेगल रामाराव

कार्यकाल :
  • जुलाई 1, 1949 - जनवरी 14, 1957
भारतीय सिविल सेवा के सदस्य रहे सर बेनेगल रामा राउ, बैंक में सबसे लंबे कार्यकाल वाले गवर्नर थे। बैंक में शामिल होने से पहले उन्होंने संयुक्त राज्य (यूएस) में भारतीय राजदूत के रूप में कार्य किया।

उनके कार्यकाल ने योजना युग की शुरुआत के साथ-साथ सहकारी ऋण और औद्योगिक वित्त के क्षेत्र में अभिनव पहल देखे। उनके कार्यकाल के दौरान नियुक्त अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण समिति की सिफारिशों से इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का भारतीय स्टेट बैंक में परिवर्तन हुआ। नोट जारी करने की आनुपातिक रिजर्व प्रणाली के स्थान पर न्यूनतम रिजर्व प्रणाली आई जिससे बैंक को अधिक परिवर्तनशीलता मिली ।

वित्त मंत्री के साथ मतभेदों के कारण अपने दूसरे कार्यकाल की अवधि समाप्त होने से पहले उन्होंने जनवरी 1957 के मध्य में इस्तीफा दे दिया।

सर चिंतामण द्वारकानाथ देशमुख*

कार्यकाल :
  • अगस्त 11, 1943 - जून 30, 1949

भारतीय सिविल सेवा के श्री चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख, बैंक के पहले भारतीय गवर्नर थे। 1939 में बैंक के साथ उनके संबंध तब शुरू हुए, जब उन्हें सरकार का संपर्क अधिकारी नियुक्त किया गया। बाद में उन्होंने सचिव के रूप में और उसके बाद 1941 में बैंक के उप-गवर्नर के रूप में कार्य किया। जेम्स टेलर के निधन पर उन्होंने बैंक की कमान संभाली थी और अगस्त, 1943 में उन्हें गवर्नर नियुक्त किया गया।

गवर्नर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 1944 में ब्रेटन वुड्स वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व किया, स्वतंत्रता व देश के विभाजन के दौर देखे और भारत और पाकिस्तान के बीच रिजर्व बैंक की परिसंपत्तियों और देनदारियों के विभाजन का कार्य संभाला। 1 जनवरी 1949 को बैंक का राष्ट्रीयकरण किए जाने के बाद एक शेयरधारक की संस्था से एक राज्य के स्वामित्व वाले संगठन में बैंक के सुचारु परिवर्तन में मदद की। बाद में उन्होंने 1950-56 के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री का पद संभाला।

सर जेम्स ब्रैड टेलर

कार्यकाल :
  • जुलाई 1, 1937 - फ़रवरी 17, 1943

सर जेम्स ब्रैड टेलर भारतीय सिविल सेवा से थे और उन्होंने भारत सरकार के मुद्रा विभाग में एक दशक से अधिक समय तक सेवा दी थी, शुरुआत में उप नियंत्रक के रूप में, बाद में मुद्रा नियंत्रक के रूप में, और उसके बाद वित्त विभाग में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्य किया। वे भारतीय रिजर्व बैंक बिल की तैयारी और पुरोगंता के रूप में सघनता से जुड़े थे। गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले बैंक के उन्होंने उप गवर्नर के रूप में कार्य किया।

युद्ध के वर्षों में उन्होंने बैंक को बड़ी कुशलता से संभाला तथा इस दौरान प्रारंभ व प्रोत्साहित किए गए वित्तीय प्रयोगों में रजत मुद्रा से कागजी मुद्रा की ओर निर्णायक मोड़ भी शामिल था। उनके अकाल निधन से उनका दूसरा कार्यकाल समाप्त हो गया।

सर ओसबोर्न ए. स्मिथ

कार्यकाल :
  • अप्रैल 1, 1935 - जून 30, 1937

सर ओसबोर्न स्मिथ रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे। वे एक पेशेवर बैंकर थे। 1926 में वे इंपीरियल बैंक के प्रबंध गवर्नर के रूप में भारत आए। इससे पहले उन्होंने 1926 में बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स और 10 साल के लिए कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में अपनी सेवा दी।

इम्पीरियल बैंक के उनके नेतृत्व ने उन्हें भारत में बैंकिंग क्षेत्रों में पहचान दिलाई। तथापि, विनिमय दर और ब्याज दरों जैसे नीतिगत मुद्दों पर उनका दृष्टिकोण सरकार से अलग था। अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के पूरा होने से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वैसे, सर ओसबोर्न ने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी बैंक नोट पर हस्ताक्षर नहीं किए।

RBI Governor Notes

* सर जेम्‍स टेलर के निधन के बाद श्री सी.डी. देशमुख ने 22 फरवरी, 1943 से 10 अगस्‍त, 1943 तक भारत सरकार, विधायी विभाग, नई दिल्‍ली द्वारा जारी किये गये अध्‍यादेश के तहत, गवर्नर की शक्तियों का प्रयोग तथा कार्यों का निर्वाह किया।

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