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Banker To Banks Overview About Us

परिचय परिचय

परिचय

वैयक्तिक ग्राहकों, कारोबारों और सभी प्रकार के संगठनों की भांति बैंकों को भी निधि अंतरण और अन्‍य बैंकों से उधार लेने या देने तथा ग्राहक के लेनदेनों को पूरा करने के लिए अपनी एक व्‍यवस्‍था ज़रूरी होती है। बैंकों के बैंकर के रूप में रिज़र्व बैंक यह भूमिका अदा करता है।

आरंभ से ही, भारतीय रिज़र्व बैंक ने सरकार के बैंकिंग लेन-देनों के प्रबंध से संबन्धित परंपरागत केंद्रीय बैंकिंग का कार्य संभाला हुआ है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में यह अपेक्षित है कि केंद्र सरकार भारत में अपनी समस्त धनराशि, विप्रेषण, विनिमय और बैंकिंग लेन-देन के प्रबंध का कार्य भारतीय रिज़र्व बैंक को सौंपे। सरकार अपनी नकदी शेष राशियों को भी रिज़र्व बैंक में जमा करती है। रिज़र्व बैंक, करार के द्वारा, राज्य सरकारों के बैंकर के रूप में भी कार्य कर सकता है।

रिज़र्व बैंक ने दायित्वों को सुस्पष्ट तरीके से परिभाषित किया है और सरकारों को विभिन्न सेवाएँ प्रदान करता है। सरकार के बैंकर के रूप में, रिज़र्व बैंक विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से राशि प्राप्त करता है और भुगतान करता है। वह सरकारों को उनकी प्राप्तियों और भुगतानों में अस्थायी असंतुलनों को दूर करने के लिए सरकारों को अर्थोपाय अग्रिम-अल्पावधि ब्याजयुक्त अग्रिम भी प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, संविभाग प्रबन्धकर्ता की भांति वह सरकार की अधिशेष नकदी राशि के निवेश की व्यवस्था भी करता है। जब भी ऐसा करने के लिए कहा जाता है तो रिज़र्व बैंक मौद्रिक तथा बैंकिंग संबंधी मामलों के विषय में सरकार के सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है। केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें समेकित निधि, आकस्मिकता निधि और लोक खाते से धनराशि की प्राप्ति, अभिरक्षा और संवितरण के लिए नियम बना सकती है। ये नियम कानूनी तौर पर रिज़र्व बैंक के इन निधियों के खातों पर बाध्यकारी हैं।

सरकारों के लिए बैंकिंग कार्य रिज़र्व बैंक के कार्यालय/शाखा कार्यालयों में सरकारी बैंकिंग विभागों द्वारा किए जाते हैं। चूंकि केवल 34 स्थानों पर रिज़र्व बैंक कार्यालय स्थित हैं, अतः रिज़र्व बैंक सरकारी बैंकिंग कार्य करने के संबंध में अन्य बैंकों को अपने एजेंटों के रूप में नियुक्त करता है। रिज़र्व बैंक यह कार्य करने के लिए बैंकों को एजेंसी कमीशन का भुगतान करता है। केंद्र तथा राज्य, दोनों सरकारी लेखों के अंतिम संकलन का कार्य रिज़र्व बैंक के नागपुर कार्यालय में केंद्रीय लेखा अनुभाग में किया जाता है।

बैंकों से अपेक्षित है कि वे अपनी मांग और मीयादी देयताओं का एक भाग नकदी आरक्षित निधि के रूप में रिज़र्व बैंक के पास रखें। इस प्रयोजन के लिए उन्हें रिज़र्व बैंक में चालू खाता रखने की आवश्यकता है। बैंकों के चालू खाते भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों के बैंकिंग विभागों द्वारा खोले जाते है। सरकारी और बैंक लेखा विभाग चालू खातों को खोलने के लिए सामान्‍य दिशा-निर्देश जारी करता है।

RBI Overview Banker to Banks Simple Content

कुछ पहलें

सरकारों का बैंकर होना रिज़र्व बैंक के प्रमुख कार्यों में से एक है। सरकार के बैंकिंग लेन-देनों के प्रबंध से संबन्धित परंपरागत केंद्रीय बैंकिंग का कार्य रिज़र्व बैंक ने संभाला हुआ है। सरकारों और बैंकों के बैंकर की भूमिका में रिज़र्व बैंक निम्नलिखित कार्यों पर ध्यान केंद्रित करता है:

  • देश भर से सरकारी खातों में समय पर प्राप्तियों और सही समय पर सरकारी भुगतान की सुविधा प्रदान करना
  • सरकारी लेन-देन को ऑनलाइन मोड में स्थानांतरित करने के लिए सरकारों के साथ काम करना, जिसमें सभी हितधारकों का लाभ होा
  • सरकारों के बीच, लेन-देन की सुविधा को सहज बनानाा
  • विभिन्न बैंकों द्वारा किए गए सरकारी खातों में लेन-देन का समेकन और सरकारों को एमआईएस रिपोर्ट प्रदान करनाा
  • अंतर-बैंक का सहज, तीव्र और निर्बाध समाशोधन और निपटान
  • बैंकों के लिए निधि अंतरण का एक सक्षम साधन उपलब्ध कराना
  • सांविधिक आरक्षित निधि अपेक्षाओं और लेनदेन संतुलन को बनाए रखनेण के लिए रिज़र्व बैंक के पास अपने खाते रखने के लिए बैंकों को समर्थ बनाना
  • अंतिम ऋणदाता के रूप में कार्य करना

Banker To Banks Overview Accordion

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 20 और 21 के अंतर्गत, रिज़र्व बैंक का क्रमशः यह दायित्व एवं अधिकार होता है कि वह केंद्र सरकार के खाते में राशि स्वीकार करे और सरकारी खातों में (क्रेडिट) जमा राशि का भुगतान करे। रिज़र्व बैंक सरकार के विनिमय, प्रेषण और अन्य बैंकिंग जरूरतों को भी पूरा करता है।

प्रशासनिक व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार को रिज़र्व बैंक के पास एक न्यूनतम शेष राशि रखना होता है। केंद्र सरकार के निम्नलिखित खाते भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में हैं और इन खातों का मुख्य खाता केन्द्रीय लेखा अनुभाग (सीएएस), भारतीय रिज़र्व बैंक, नागपुर में है। यह खाते कुछ इस प्रकार के होते है: -i. केंद्र सरकार – सिविल; ii. रेलवे फंड; iii. पोस्ट फंड; iv. दूरसंचार फंड; v. रक्षा फंड; और vi. विभागीय मंत्रालय। सभी प्राप्तियां, भुगतान/संवितरण, समाशोधन/विप्रेषण लेन-देन इन खातों के माध्यम से होते हैं। रिज़र्व बैंक उन भुगतानों को संसाधित करने के लिए सरकार के लिए और अधिक खाते खोलने की प्रक्रिया में है जो अब तक एजेंसी बैंकों द्वारा संभाले जाते थे।

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 21ए के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक किसी भी राज्य सरकार के साथ करार द्वारा, उनकी बैंकिंग जरूरतों जैसे विप्रेषण, विनिमय और बैंकिंग लेन-देन को पूरा कर सकता है। राज्य सरकार अपनी जमा पूंजी भी भारतीय रिज़र्व बैंक में बिना किसी ब्याज-प्राप्ति के रख सकते है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, सिक्किम राज्य को छोड़कर, देश के सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों का बैंकर है। सभी राज्य सरकारों को रिज़र्व बैंक में एक न्यूनतम शेष राशि रखना आवश्यक है जो अलग-अलग राज्य के लिए राज्य बजट और आर्थिक गतिविधि के सापेक्ष आकार के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। प्राप्तियों और भुगतानों के नकदी प्रवाह में अस्थायी असंतुलन को दूर करने के लिए रिज़र्व बैंक राज्य सरकारों को विशेष आहरण सुविधा (एसडीएफ)/अर्थोपाय अग्रिम/ओवरड्राफ्ट उपलब्ध करता है।

बैंकों के बैंक के रूप में रिज़र्व बैंक ‘अंतिम ऋणदाता’ के रूप में भी कार्य करता है। रिज़र्व बैंक किसी भी ऐसे बैंक के बचाव में आगे आ सकता है जो अर्थक्षम है किंतु अस्थायी चलनिधि समस्याओं का सामना कर रहा है, रिज़र्व बैंक उस बैंक को आवश्यक चलनिधि की आपूर्ति करता है जब कोई दूसरा बैंक उस बैंक को ऋण नहीं देना चाहता है। रिज़र्व बैंक यह सुविधा बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा और बैंक को संभावित रूप से असफल होने से रोकने के लिए देता है क्योंकि बैंक के असफल होने से अन्य बैंकों और संस्थाओं पर भी प्रभाव पड़ सकता है और इससे वित्तीय स्थिरता और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

एजेंसी बैंकों की सूची नीचे प्रस्तुत है।

एजेंसी बैंकों की सूची

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45(1) के अंतर्गत, भारतीय रिज़र्व बैंक, लोकहित, बैंकिंग की सुविधा, बैंकिंग विकास और ऐसे अन्य कार्यों को ध्यान में रखते हुए, जो उसकी राय में इस संबंध में प्रासंगिक हैं, किसी भी बैंक को सभी स्थानों पर या भारत में किसी भी स्थान पर ऐसे प्रयोजनों के लिए अपना एजेंट नियुक्त कर सकता है। वर्तमान में, रिज़र्व बैंक ने सरकारी बैंकिंग व्यवसाय के संचालन के लिए 12 सार्वजनिक बैंक, 20 निजी बैंक और 01 विदेशी बैंक (डब्ल्यूओएस) को अपने एजेंसी बैंकों के रूप में नियुक्त किया है। एजेंसी बैंकों को व्यवसाय आबंटन सरकारों के परामर्श से किया जाता है।

बैंकों के चालू खाते क्षेत्रीय कार्यालयों के बैंकिंग विभाग द्वारा ई-कुबेर (भारतीय रिज़र्व बैंक का सीबीएस) में खोलें जाते है। इन चालू खातों का रखरखाव केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में भागीदारी के लिए भी किया जाता है और अंतर-बैंक बाध्‍यताओं के निपटान जैसे कि लेनदेनों का समाशोधन या दो बैंकों के बीच मुद्रा बाजार लेनदेनों का समाशोधन, प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्राओं की खरीद और बिक्री के लिए किया जाता है। इसलिए रिज़र्व बैंक, सामान्‍य बैंकर की तरह कार्य करता है और बैंकों के बैंकर के कार्य रूप में जाना जाता है, जिसके लिए रिज़र्व बैंक के संबंधित केंद्रीय कार्यालय के विभागों द्वारा परिचालन अनुदेश जारी किए जाते है। अन्‍य प्रावधानों के मध्‍य रिज़र्व बैंक इन खातों में बैंकों द्वारा न्‍यूनतम शेष रखा जाना विर्निदिष्‍ट/निर्धारित करता है। रिज़र्व बैंक के पास रखरखाव किए जा रहे चालू खाते के संबंध में प्रत्‍येक बैंक की यह जवाबदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि खाता में पर्याप्‍त शेष उपलब्‍ध है ताकि भुगतानों और निपटानों में चूकों को टाला जा सके। बैंको के बैंकर के रूप में रिज़र्व बैंक चुनिंदा/चयनित बैंकों को जब आवश्‍यक हो तब किसी विशिष्‍ट प्रयोजन के लिए और विशिष्‍ट क्षेत्र को उधार मुहैया कराने के लिए अल्‍पावधि ऋण और अग्रिम प्रदान करता है।

Banker to banks Legal Framework

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: नवंबर 23, 2022

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