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प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ञ) पीएसएलसी

उत्तर: 'निर्यात ऋण' पीएसएलसी - सामान्य के प्रति अंतर्निहित आस्तियों का एक भाग बन सकता है। हालाँकि, 'निर्यात ऋण' के बदले पीएसएलसी-सामान्य जारी करने वाला कोई भी बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अंतर्निहित 'निर्यात ऋण' पोर्टफोलियो घरेलू बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए भी पात्र है।
उत्तर: 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को निर्यात के अलावा अन्य क्षेत्रों को उधार देने के अपने 8% लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएसएलसी सामान्य को खरीदने की अनुमति नहीं है। हालांकि, ऐसे बैंकों को उक्त हेतु पीएसएलसी कृषि, पीएसएलसी सूक्ष्म उद्यम और पीएसएलसी लघु और सीमांत किसान को खरीदने की अनुमति है।

ट) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ऑन-लेंडिंग

उत्तर: बैंक द्वारा एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी को ऑन-लेंडिंग के लिए उधार देने के मामले में, पोर्टफोलियो के केवल उस हिस्से को पीएसएल वर्गीकरण के लिए गिना जाना चाहिए जिसे एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी द्वारा रिपोर्टिंग तिथि के अनुसार अंतिम उधारकर्ता/ओं को संवितरित किया गया हो। शेष पोर्टफोलियो की गणना, यदि कोई हो, पात्र ऋणों के संवितरण और एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी द्वारा बैंक को रिपोर्ट किए जाने के आधार पर, बाद की रिपोर्टिंग तिथियों में की जा सकती है।

उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 21, 22, 23 के तहत बैंकों को उन एचएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटियों, ट्रस्ट आदि) सहित एनबीएफसी को दिए गए अपने ऋणों को पीएसएल के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति देता है, जो पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए क्षेत्र हेतु आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं। बैंक निम्न प्रकार से आगे उधार देने के लिए एक समान कार्यप्रणाली अपना सकते हैं:

क) पीएसएल के तहत वर्गीकरण:

  • बैंक पीएसएल की संबंधित श्रेणियों में एनबीएफसी को आगे उधार को वर्गीकृत कर सकते हैं। वर्गीकरण की अनुमति तभी दी जाएगी जब एनबीएफसी ने बैंक से राशि प्राप्त करने के बाद अंतिम लाभार्थी को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋण संवितरित किए हों।

  • एनबीएफसी को बैंकों को एक सीए प्रमाणपत्र प्रदान करना होगा जिसमें कहा गया हो कि पोर्टफोलियो के व्यक्तिगत ऋण, जिसके लिए ऑन-लेंडिंग लाभ का दावा किया जा रहा है, का उपयोग किसी अन्य बैंक (बैंकों) से लाभ का दावा करने के लिए नहीं किया जा रहा है। साथ ही, एनबीएफसी को अपने आंतरिक/सांविधिक लेखा परीक्षकों के साथ-साथ आरबीआई पर्यवेक्षकों को इसे सत्यापित करने हेतु सक्षम करने के लिए अपनी प्रणाली में ऐसे ऋण (ऋणों) को चिह्नित करने के लिए एक उपयुक्त प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिए।

ख) सूचना साझा करना:

  • बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक नियंत्रण प्रणाली निर्मित कर सकते हैं कि आगे उधार देने के तहत पोर्टफोलियो पीएसएल के अनुरूप है और को-टर्मिनस क्लॉज का पालन करता है। इसे आवश्यकतानुसार आरबीआई पर्यवेक्षकों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बैंक द्वारा ईआई से निम्नलिखित जानकारी/रिकॉर्ड एकत्र किया जाना चाहिए:

  1. लाभार्थी का नाम, स्वीकृत राशि, बकाया ऋण राशि, ऋण अवधि, संवितरण तिथि, पीएसएल की श्रेणी।

  2. इस आशय का एक विवरण कि पोर्टफोलियो पीएसएल के अनुरूप है, किसी सीए द्वारा अवश्य प्रमाणित होना चाहिए और बैंक द्वारा आरबीआई को पीएसएल रिपोर्टिंग के अनुरूप तिमाही आधार पर बैंक के साथ ईआई द्वारा साझा किया जाना चाहिए। को-टर्मिनस क्लॉज के पालन के संबंध में, बैंक को प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को इसे सुनिश्चित करना चाहिए।

ग) को-टर्मिनस शर्त का पालन:

  • पीएस आस्तियों के लिए आगे उधार का लाभ लेने वाले बैंकों को इस शर्त का पालन करना चाहिए कि ईआई को आगे उधार के तहत ऋण की अवधि मोटे तौर पर ईआई द्वारा बनाई गई पीएस आस्तियों की अवधि के साथ को-टर्मिनस है।

  • को-टर्मिनस अवधि के सटीक मिलान की परिचालन संबंधी कठिनाइयों को देखते हुए, बैंकों को पोर्टफोलियो अवधि से 3 महीने के अंतर की अनुमति है। को-टर्मिनस अवधि के पालन की गणना के लिए एक उदाहरण निम्नानुसार प्रस्तुत है:

क्रम सं. बकाया ऋण
(क)
चालू वित्त वर्ष के 31 मार्च
(ख)
ऋण समाप्ति की तिथि
(ग)
ऋण अवधि
(दिन) (घ= ग-ख)
भारित औसत बकाया ऋण
दिन (ड़=क*घ)
1 50000 31-03-21 01-02-23 672 33600000
2 80000 31-03-21 01-05-24 1127 90160000
3 100000 31-03-21 11-08-23 863 86300000
4 300000 31-03-21 16-10-22 564 169200000
5 400000 31-03-21 23-11-22 602 240800000
कुल 930000       620060000
  दिनों में पोर्टफोलियो की भारित परिपक्वता (च=(ड़ का योग)/(क का योग) 666.73
  महीनों में (च/30) 22.22
  वर्षों में (च/365) 1.83

उपरोक्त उदाहरण में, एनबीएफसी को बैंक ऋण की शेष परिपक्वता लगभग 22.22 महीने होनी चाहिए। बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे 31 मार्च को हर साल पोर्टफोलियो की भारित औसत अवशिष्ट परिपक्वता की गणना करें और यह सुनिश्चित करें कि एनबीएफसी को बैंक ऋण की अवशिष्ट परिपक्वता +-3 महीने की सहनशीलता सीमा के भीतर ऑन-लेंडिंग पोर्टफोलियो की भारित औसत अवशिष्ट परिपक्वता के साथ मेल खाती है।

घ) पूर्व भुगतान, पुरोबंध ऋणों का व्यवहार:

  • इकाई द्वारा बनाई गई पीएस आस्तियाँ पूर्व-भुगतान या पुरोबंध से गुजर सकती हैं जिससे पोर्टफोलियो की 'भारित परिपक्वता' बदल जाती है।

  • चूंकि बैंकों को वित्त वर्ष के अंत में 'भारित परिपक्वता' की गणना करने की आवश्यकता होती है, अतः पूर्व भुगतान/ पुरोबंध की स्थिति में बकाया ऋण भी तदनुसार बदल जाएगा।

  • एनबीएफसी पीएस आस्तियों को ऑन-लेंडिंग पोर्टफोलियो में जोड़ सकता है। हालांकि, इसे ऊपर उल्लिखित शर्तों को पूरा करना होगा जैसे कि पात्र इकाई द्वारा पीएस आस्तियों के लिए संवितरण बैंक से धन प्राप्त होने पर/बाद में होना चाहिए। को-टर्मिनस क्लॉज का पालन सुनिश्चित करने के लिए समूह में अन्य पीएस आस्तियों के पूर्व भुगतान/पुरोबंध के मामले में पोर्टफोलियो समूह में पीएस आस्तियों को जोड़ा जा सकता है।

उत्तर: एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) और एचएफसी को बैंक ऋण पिछले वित्तीय वर्ष की चार तिमाहियों की औसत पीएसएल उपलब्धि के 5% की सीमा के अधीन हैं। नए बैंक के मामले में यह सीमा उसके परिचालन के पहले वर्ष के दौरान निरंतर आधार पर लागू होगी। पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटियां, ट्रस्ट, आदि), जो आरबीआई द्वारा इस क्षेत्र के मान्यता प्राप्त 'स्व-विनियामक संगठन' के सदस्य हैं, को बैंक ऋण देने के लिए निर्धारित सीमा लागू नहीं है। ऐसे एमएफआई को दिए गए बैंक ऋण को हमारे दिनांक 04 सितंबर 2020 और समय-समय पर अद्यतन किये गए मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.5/04.09.01/2020-21 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार पीएसएल की विभिन्न श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।

ठ) बैंकों और एनबीएफसी द्वारा सह-उधार

उत्तर: चूंकि दिशानिर्देश संबंधित व्यावसायिक उद्देश्यों के उचित संरेखण को सुनिश्चित करने के लिए बैंक और एनबीएफसी के बीच जोखिमों और प्रतिफलों को साझा करने की अनुमति देते हैं, अतः बैंक की बहियों में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की आस्तियां हर समय एनबीएफसी की सहायता के बिना होनी चाहिए।

उत्तर: केवल यदि बैंक समझौते के अनुसार एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न ऋणों को अपनी बहियों में लेने के संबंध में अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है, तो यह व्यवस्था प्रत्यक्ष समनुदेशन लेनदेन के समान होगी। यदि करार में एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न व्यक्तिगत ऋणों के अपने हिस्से को अपनी बहियों में लेने के लिए बैंक की ओर से एक पूर्व, अपरिवर्तनीय प्रतिबद्धता शामिल है, तो यह प्रत्यक्ष समनुदेशन लेनदेन के समान नहीं होगा।
उत्तर: दोनों संस्थाएं अर्थात बैंक और एनबीएफसी, सह-उधार मॉडल (सीएलएम) को लागू करने के लिए अपने द्वारा निष्पादित द्विपक्षीय मास्टर करार द्वारा निर्देशित हो सकते हैं। करार, सह-उधार मॉडल के तहत एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न किए जा सकने वाले ऋणों की संख्या और राशि पर कोई सीमा निर्धारित कर सकता है।
उत्तर : यदि करार में बैंक की ओर से पूर्व, अपरिवर्तनीय प्रतिबद्धता शामिल है, तो यह सूचित किया गया है कि साझेदार बैंक और एनबीएफसी को बैंक द्वारा पूर्व प्रत्याशित समुचित सावधानी के लिए उपयुक्त तंत्र स्थापित करना होगा। इस तरह की समुचित सावधानी, एनबीएफसी द्वारा ऋणों के संवितरण से पहले केवाईसी और गतिविधियों की आउटसोर्सिंग पर आरबीआई के विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे।
उत्तर : बैक-टू-बैक आधार का तात्पर्य यह है कि ऋण पहले एनबीएफसी द्वारा खोले जाएंगे और फिर बाद में बैंक ऋण खाते खोलेगा।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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