सूक्ष्मवित्त (माइक्रोफाइनेंस) ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचे
उत्तर. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ‘गैर-लाभकारी’ कंपनियों (यानी., कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 या कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत निगमित कंपनियां) को दी गई छूट उन पर लागू है जो निदेशों में परिभाषित माइक्रोफाइनेंस ऋण प्रदान कर रही हैं और 25 अगस्त, 2016 को जारी हमारे ‘मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट’ (समय-समय पर संशोधित) के पैरा 2(i) में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन हैं। यह छूट एनबीएफआई व्यवसाय में कार्यरत अन्य ‘गैर-लाभकारी’ कंपनियों को लागू नहीं है और ऐसी कंपनियों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-आईए के तहत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है, यदि ये कंपनियां हमारी प्रेस प्रकाशनी 1998-99/1269 दिनांक 08 अप्रैल, 1999 में निर्दिष्ट मुख्य व्यवसाय मानदंड को पूरा करती है।
उत्तर. अन्य बातों के साथ-साथ ग्राहको को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
(क) सूक्ष्मवित्त ऋण के किसी भी चरण में ऋणदाता के पास कोई जमाराशि/ मार्जिन/ संपार्श्विक/ प्राथमिक प्रतिभूति रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
(ख) ऋणदाता द्वारा उधारकर्ता को उसके द्वारा समझी जानेवाली भाषा में ऋण कार्ड प्रदान करना आवश्यक है जिसमें निम्नलिखित जानकारी होनी चाहिए:
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जानकारी जो पर्याप्त रूप से उधारकर्ता की पहचान करती है;
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मूल्य निर्धारण संबंधी सरलीकृत फैक्टशीट;
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ऋण से जुड़े अन्य सभी नियम और शर्तें;
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प्राप्त किश्तों और अंतिम भुगतान सहित सभी भुगतानों के लिए ऋणदाता द्वारा पावती; तथा
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ऋणदाता के नोडल अधिकारी के नाम और संपर्क संख्या सहित शिकायत निवारण प्रणाली का विवरण।
(ग) किसी भी गैर-क्रेडिट उत्पाद की खरीद पूर्ण रूप से स्वैच्छिक है। ऐसे उत्पादों के लिए शुल्क संरचना को ऋण कार्ड में स्पष्ट रूप से सूचित किया जाएगा।
(घ) ऋणदाताओं द्वारा प्रदान किया जाने वाला प्रशिक्षण निःशुल्क है।
1 7.1.5. गैर-क्रेडिट उत्पादों को जारी करना उधारकर्ताओं की पूर्ण सहमति से होगा और ऐसे उत्पादों के लिए शुल्क संरचना को ऋण कार्ड में ही उधारकर्ता को स्पष्ट रूप से सूचित किया जाएगा।
2 उनके कार्यालयों में, उनकी वेबसाइटों पर उचित व्यवहार संहिता के भाग के रूप में और उधारकर्ता को जारी किए गए ऋण कार्ड में
3 7.1.1 इन निर्देशों के आधार पर सभी आरई अपने बोर्ड के अनुमोदन से एक उचित व्यवहार संहिता (एफपीसी) स्थापित करेंगे। आरई द्वारा एफपीसी को अपने सभी कार्यालयों और अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। एफपीसी को उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली भाषा में जारी किया जाना चाहिए।
4 2.1 इन निर्देशों के प्रावधान निम्नलिखित संस्थाओं पर लागू होंगे:
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भुगतान बैंकों को छोड़कर सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित);
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सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक / जिला केंद्रीय सहकारी बैंक; तथा
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सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (सूक्ष्म वित्त संस्थानों और आवास वित्त कंपनियों सहित)।
5 माइक्रोफाइनेंस गतिविधियों में लगी उन ‘गैर-लाभकारी' कंपनियों से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-आईए, 45-आईबी और 45-आईसी से दी गई छूट वापस ले ली गई है जिनकी संपत्ति का आकार ₹100 करोड़ और उससे अधिक है।