RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

पृष्ठ
भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

FAQ DetailPage Breadcrumb

RbiFaqsSearchFilter

सामग्री प्रकार:

श्रेणी पहलू

केटेगरी

कस्टम पहलू

ddm__keyword__26256231__FaqDetailPage2Title_en_US

खोज परिणाम

आस्तियों का विप्रेषण

उत्तर: निवासी अर्थात वह व्यक्ति जिसकी परिभाषा फेमा, 1999 की धारा (v)2 में की गई है। साथ ही यदि कियाई प्राधिकरण द्वारा उसकी आवासीय स्थिति पर सवाल उठाया जाता है तो अपनी आवासीय स्थिति को साबित करने का दायित्व उस व्यक्ति का है।

सरकारी खाते में जमा करने संबंधी सभी राशि‍याँ जैसे कर और अन्य विप्रेषण की राशियाँ, संबंधि‍त सरकार/वि‍भाग के निर्धारित चालान भरकर जमा की जाती हैं। करदाताओं को संबंधित सरकारी पोर्टल में लाग इन करके इलेक्ट्रानिक रूप में सरकारी देय राशियों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तथापि यदि वे देय राशियों का नकद, चेक, मांग ड्राफ्ट से भुगतान करने के इच्छुक हैं, तो इस संबंध में निर्धारित चालान के साथ इन्हें प्राधिकृत एजेंसी बैंक की शाखाओं में प्रस्तुत करना अपेक्षित है।
भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों और ट्रज़री बिलों की निर्दिष्ट नीलामियों में, अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत तक गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों को अधिसूचित राशि के भीतर अनुमति होगी। अर्थात, अधिसूचित राशि यदि ₹ 1,000 करोड़ है, तो गैर-प्रतियोगी बोलीदाताओं के लिए आरक्षित राशि ₹ 50 करोड़ होगी और शेष ₹ 950 करोड़ प्रतिस्पर्धी नीलामियों के लिए लगाए जाएंगे।

सीटीएस के माध्यम से समाशोधन के लिए केवल सीटीएस-2010 मानकों के अनुरूप लिखतों (चेकों) को प्रस्तुत किया जा सकता है।

सीटीएस-2010 मानकों में देश भर के बैंकों द्वारा जारी किए गए चेकों के मानकीकरण को प्राप्त करने के लिए कुछ मानक शामिल हैं। इनमें कागज की गुणवत्ता, वॉटरमार्क, अदृश्य स्याही में बैंक का लोगो, शून्य पेंटोग्राफ आदि जैसे चेक फॉर्म पर अनिवार्य न्यूनतम-सुरक्षा सुविधाओं का प्रावधान और चेक पर फील्ड प्लेसमेंट का मानकीकरण शामिल है। यह न्यूनतम-सुरक्षा सुविधाएँ और मानकीकरण, छवि-आधारित प्रसंस्करण परिदृश्य में, अदाकर्ता बैंकों के चेक की जांच / पहचान करने में प्रस्तुतकर्ता बैंकों की मदद करते हैं।

उ. ईसीएस क्रेडिट को कोई भी संस्था शुरू कर सकती है जिसे बहुत से हिताधिकारियों को थोक एवं पुनरावृत्ति किस्म के भुगतान करने होते हों। संस्थागत प्रयोक्ताओं को पहले ईसीएस केन्द्र में पंजीकरण कराना होता है। प्रयोक्ता को ईसीएस क्रेडिट में सहभागी होने से पूर्व हिताधिकारी की सहमति और उसका बैंक खाता विवरण लेना होता है।
As on date, twenty Banking Ombudsmen have been appointed with their offices located mostly in state capitals. The addresses and contact details of the Banking Ombudsman offices have been provided under Annex I of the Scheme.
The non competitive bidding facility will encourage wider participation and retail holding of government securities.It will enable individuals , firms and other mid segment investors who do not have the expertise to bid competitively in the auctions.Such investors will have fair chance of assured allotments at the rate which emerges in the auction.Scope of the scheme
मीयादी जमाराशियों पर तिमाही या उससे लंबी अवधि के अंतराल पर ब्याज दिया जा सकता है। उपचित तिमाही ब्याज को डिस्काउंट कर बैंक मासिक ब्याज दे सकते हैं।
Authorised dealers can continue to effect remittances upto the amount approved by RBI and within the validity period, as indicated in the RBI approval, provided no changes have been made in the relevant guidelines and/or regulations, after issuance of the RBI approval.
From exchange control point of view, no monitoring is required. However, the banks are free to put in place such administrative arrangements as considered necessary for a smooth conduct of accounts, especially in cases where it is likely that a request for repatriation of funds outside India will be made.
Yes, the tourists can freely make local payments by debit to the NRO account.
Resident individuals are permitted to make overseas portfolio investments without any limit in listed overseas companies that have at least 10% share in an Indian company listed in a recognized stock exchange in India as on 1st January of the year of investment.
Release of foreign exchange for studies abroad up to the estimate given by an institution abroad or US$30,000 per academic year, whichever is higher, does not require prior permission from the Reserve Bank.
आंकड़ों में सम्पूर्ण लेनदेन संबंधी विवरण और भुगतान या निपटान लेनदेन से संबंधित जानकारी जिसे भुगतान मैसेज/अनुदेश के हिस्से के रूप में एकत्रित / प्रेषित / प्रसंस्कृत किया गया है, शामिल होना चाहिए। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ ग्राहक संबंधी आंकड़े (नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल, आधार संख्या, पैन नंबर, आदि यथा लागू); भुगतान संवेदनशील आंकड़े (ग्राहक और लाभग्राही खाता विवरण); भुगतान क्रेडेंशियल (ओटीपी, पिन, पासवर्ड, आदि); और लेनदेन संबंधी आंकड़े (उत्पन्न होने वाली और गंतव्य प्रणाली संबंधी सूचना, लेनदेन संदर्भ, टाइमस्टैम्प, राशि, आदि) शामिल हैं।

उत्तर

नहीं, एक व्यक्ति एक बैंक में केवल एक 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' रखने के लिए पात्र है।

उत्तर. पीएसएस अधिनियम, 2007 के तहत, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दो विनियम बनाए गए हैं, अर्थात् भुगतान और निपटान प्रणाली विनियम, 2008 के विनियमन और पर्यवेक्षण बोर्ड और भुगतान और निपटान प्रणाली विनियम, 2008। ये दोनों विनियम 12 अगस्त 2008 को पीएसएस अधिनियम, 2007 के साथ लागू हुए।

उत्तर: केवल बीओ/ एलओ/ पीओ खोलने के इच्छुक बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, चीन, हांगकांग, मकाऊ या पाकिस्तान के आवेदकों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होगा। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को इन देशों के "व्यक्तियों" को दिया जाने वाला अनुमोदन-पत्र गृह मंत्रालय, आंतरिक सुरक्षा प्रभाग-I, भारत सरकार, नई दिल्ली को आवश्यक कार्रवाई एवं अभिलेख हेतु भेजना होगा। अन्य सभी देशों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण करने से छूट दी गई है।

हाँ। अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित चेकों की वसूली (उगाही) के तरीके अलग-अलग हैं। बैंकों (प्रस्तुतकर्ता बैंक) द्वारा अपनायी जाने वाली वसूली प्रक्रिया उनके द्वारा स्थापित संस्थागत व्यवस्था पर निर्भर करते हुए अलग-अलग होती है। बैंकों द्वारा मूल रूप से तीन प्रकार की व्यवस्थाएं अपनायी गयी हैं -

i. नगद पत्र व्यवस्था (सीएलए): भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक चेक के घरेलू समाशोधन के लिए इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने प्रतिनिधि बैंक (सीबी) को भेजता है। प्रतिनिधि बैंक निधि की उगाही करता है और अमेरिका में रखे गए प्रस्तुतकर्ता बैंक के खाते में इसे जमा कर देता है। ऐसे खाते नोस्ट्रो खाते कहलाते हैं। प्रतिनिधि बैंक नकद पत्र व्यवस्था (सीएलए) के तहत भेजे गए चेकों पर बैंक को पूर्व-निर्धारित तारीख पर (जो प्रतिनिधि बैंक के पास चेक प्रस्तुत करने के बाद 7 से 9 दिन तक होती है) अनंतिम क्रेडिट देता है। हालांकि, अनंतिम क्रेडिट एक विराम अवधि (कूलिंग पीरियड) के अधीन होगा। विराम अवधि के बाद, ग्राहक का खाता जो भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक में होता है, में निधि डाल दी जाती है। सुरक्षित वसूली सुविधा की स्थिति में, प्रतिनिधि बैंक कुछ अतिरिक्त लागत पर गारंटीकृत क्रेडिट उपलब्ध कराता है।

(विराम अवधि वह समय है जब तक बैंक ग्राहक के खाते में निधि डालने से पहले, अमेरिकी कानून के प्रावधानों के तहत चेक के संभावित प्रतिफल हेतु अपने नॉस्ट्रो खाते में अदाकर्ता बैंक द्वारा चेक की राशि के अनंतिम क्रेडिट प्राप्त होने के बाद प्रतीक्षा करता है। विस्तृत विवरण प्रश्न संख्या 9 में दिए गए हैं।)

(सुरक्षित वसूली प्रतिनिधि बैंक द्वारा दी गई एक सुविधा है। इस सुविधा के तहत, प्रतिनिधि बैंक सामान्य वसूली सेवा से भिन्न एक निश्चित समय अवधि के भीतर दायित्व रहित गारंटीकृत अंतिम क्रेडिट उपलब्ध कराता है। इस प्रकार, इस सुविधा में वसूली समय अवधि बेहतर होती है। यह सुविधा प्रदान करने वाले प्रतिनिधि बैंक, सामान्यतया, इस व्यवस्था के तहत वसूल किए गए वैयक्तिक चेकों की राशि पर एक उच्चतम सीमा तय कर देते हैं। प्रतिनिधि बैंक, अमेरिका के कानून के अनुसार अदाकर्ता बैंक द्वारा भुगतान वापस होने पर इसे स्वयं पर ले लेते हैं। ऐसी सेवाएं देने वाले बैंक दायित्व रहित क्रेडिट सुविधा प्रदान करने के लिए कुछ अतिरिक्त राशि लेते हैं।

ii. सीधी वसूली व्यवस्था (डीसीए) : भारत में स्थित बैंकों द्वारा चेक, यूएसए स्थित अदाकर्ता बैंकों को वसूली के लिए सीधे भेजे जाते हैं। आम तौर पर वसूली सेवाओं के अंतर्गत समाशोधित निधियों की प्राप्ति निश्चित रूप से हो जाती है अर्थात् इसमें वापसी का जोखिम न के बराबर है। अत: सामान्य रूप से बड़े मूल्य के चेकों को वसूली के अंतर्गत भेज दिया जाता है, यद्यपि उसमें समय अधिक लग सकता हे।

iii. अंतिम क्रेडिट सेवाएं (एफसीएस) : कुछ प्रतिनिधि बैंक ये सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। जो प्रतिनिधि बैंक यह सेवा प्रदान करता है वह लिखत पर निश्चित रूप से धन-राशि जमा किए जाने की गारंटी देता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत बैंकों को उनके अपने नोस्ट्रो खातों में बिना किसी विकल्प के अंतिम क्रेडिट मिल जाता है। साधारणतया इस सेवा में कोई कूलिंग अवधि नहीं होती है, क्योंकि इस कूलिंग अवधि को प्रतिनिधि बैंक समाशोधित राशि की विमोचन से पहले फैक्टरिडग करते हैं।

विदेशी मुद्रा के नियंत्रण के विचार से कोई अनुप्रवर्तन आवश्यक नहीं है। परंतु बैंक खातों के सुचारु रूप से परिचालन के लिए यथावश्यक प्रशासनिकव्यवस्था करने के लिए स्वतंत्र हैं, विशेष रूप से जहाँ बैंक समझते हों कि भारत से बाहर निधियों के वापिस ले जाने के लिए अनुरोध प्राप्त हो सकता है।

उत्तर: लीवरेज अनुपात एनबीएफसी-पी2पी प्लेटफॉर्म की बैलेंस शीट पर प्राप्त बाहरी देयताओं को उसके स्वाधिकृत निधियों द्वारा विभाजित करके प्राप्त होता है। प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ऋण दिये गए /लिए गए ग्राहकों की निधि को प्लेटफॉर्म के बाहरी देयता के रूप में नहीं गिना जाएगा।

Web Content Display (Global)

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

हमारा ऐप इंस्टॉल करने के लिए QR कोड स्कैन करें

RbiWasItHelpfulUtility

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

क्या यह पेज उपयोगी था?