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वास्तविक समय सकल भुगतान प्रणाली (आर.टी.जी.एस) प्रणाली

उत्तर. आरटीजीएस प्रणाली मुख्य रूप से बड़े मूल्य के लेनदेन के लिए है। आरटीजीएस के माध्यम से प्रेषित की जाने वाली न्यूनतम राशि ₹ 2,00,000/- है जिसमें कोई ऊपरी या अधिकतम सीमा नहीं है।

उत्तर. पीपीआई जारीकर्ताओं की सूची आरबीआई की वेबसाइट पर https://www.rbi.org.in/Scripts/bs_viewcontent.aspx?Id=2491 (बैंक-पीपीआई जारीकर्ता) और https://www.rbi.org.in/Scripts/PublicationsView.aspx?id=12043 (गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ता) लिंक के तहत उपलब्ध है।

  • अंतिम मासिक डबल्यूपीआई को कैलेंडर माह के पहली तारीख के लिए संदर्भित डबल्यूपीआई के रूप में प्रयोग किया जाएगा। आंतरायिक दिनों के लिए संदर्भ डब्ल्यूपीआई यानी लगातार दो महीनों के पहले दिनों के बीच 1 तारीखों के बीच की तारीखों की गणना प्रक्षेप के माध्यम से की जाएगी।

  • अंतर्वेशन के लिए, दो माह के अंतिम डबल्यूपीआई पूरे माह में उपलब्ध होने चाहिए। जैसा कि अंतिम डबल्यूपीआई ढाई माह का उपलब्ध है (उदाहरण: फरवरी 2013 का अंतिम डबल्यूपीआई मध्य मई 2013 में जारी होगा), अंतिम दो माह का डबल्यूपीआई चार माह के लिए केवल उपलब्ध होगा।

  • ऊपर को देखते हुए, चार माह के समय को अंतिम डबल्यूपीआई के लिए चुना गया जिससे कैलेंडर माह के पहले दिन के लिए संदर्भित डबल्यूपीआई के रूप में विचार किया जाए। उदाहरण के लिए दिसंबर 2012 का अंतिम डबल्यूपीआई को 1 मई 2013 के लिए संदर्भित डबल्यूपीआई के रूप में लिया जाएगा और जनवरी 2013 अंतिम डबल्यूपीआई को 1 जून 2013 के लिए सदर्भ डबल्यूपीआई के रूप में लिए जाएगा।

Yes. The applicant will immediately receive a mail conveying details of the original office / department where the application was submitted and the details of the office / department / section to which it has been transferred. The information can also be ascertained through ATS by the applicant under ’My Application’. The entire history will be shown.
उ : नहीं। फैक्टरिंग अधिनियम 2011 की धारा 3 के अनुसार, कोई भी फैक्टर फैक्टरिंग व्यवसाय बिना ए) रिजर्व बैंक से एक सीओआर प्राप्त, बी) प्रमुख व्यवसाय मानदंड को पूरा किए बिना, शुरू नहीं कर सकता है या चला नहीं सकता है।

उत्तर: आईडीएफ-एनबीएफसी को प्रायोजित करने के लिए एनबीएफसी-आईएफसी को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा:

  • प्रायोजक आईएफसी को आईडीएफ-एनबीएफसी की इक्विटी में अधिकतम 49 प्रतिशत योगदान करने की अनुमति होगी, जिसमें आईडीएफ-एनबीएफसी की इक्विटी का 30 प्रतिशत न्यूनतम इक्विटी होल्डिंग होगा:

  • आईडीएफ-एनबीएफसी में निवेश के बाद, प्रायोजक एनबीएफसी-आईएफसी को आईएफसी के लिए निर्धारित न्यूनतम सीआरएआर और एनओएफ बनाए रखना चाहिए

  • आईएफसी के संबंध में कोई पर्यवेक्षी चिंता नहीं है।

ग्राहक को कोई भी लेन-देन करने से पहले बैंक के सीसीपी को जानने का अधिकार है।

बैंक उसके व्यापक नोटिस बोर्ड में उस राशि का खुलासा करने के लिए बाध्य है, जिस तक बाहरी चेक का तत्काल क्रेडिट पेश किया जाता है, जिसे बैंक की प्रत्येक शाखा में प्रदर्शित किया जाना है। बैंक को स्थानीय/बाहरी लिखतों की वसूली के लिए समय-सीमा और विलंबित वसूली के लिए देय मुआवजे के लिए नीति का खुलासा करना भी आवश्यक है। यह सूचना पुस्तिकाओं में उपलब्ध होगा जो सभी बैंक शाखाओं में उपलब्ध होनी चाहिए। यदि ग्राहक चाहे तो बैंक के सीसीपी की एक प्रति प्राप्त करने का भी हकदार है। बैंकों को भी अपनी वेबसाइट पर अपना सीसीपी प्रदर्शित करना होता है।

  • शोधन पर, निवेशक मूलधन एवं चक्रवृद्धि ब्याज अर्जित करेगा।

उत्तर : भारत में निवासी व्यक्ति भारत के बाहर उन मामलों में कोई विदेशी मुद्रा खाता रख सकता है, यदि उसने वह खाता अपने भारत के बाहर निवासी होने की स्थिति में खोला हो, या भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति से इसे विरासत में पाया हो।

उत्तर. आरई की बोर्ड-अनुमोदित नीतियों में ऐसे परिचालन पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए। ऋण चुकौती के लिए परिवार के मासिक भुगतान का अनुमान लगाने हेतु वार्षिक चुकौती दायित्वों को बारह महीनों में बांटा जाना एक संभावित तरीका हो सकता है।
Ans There is no value limit for individual transactions.

उत्तर: एनईएफटी प्रणाली में भाग लेने वाले किसी भी सदस्य बैंक के साथ खाते रखने वाले व्यक्ति, फर्म और कॉरपोरेट, एनईएफटी प्रणाली में भाग लेने वाले देश के किसी भी अन्य बैंक के खाते वाले किसी भी व्यक्ति, फर्म या कॉर्पोरेट को इलेक्ट्रॉनिक रूप से धन हस्तांतरित कर सकते हैं।

एनईएफटी में भाग लेने वाली बैंक-वार शाखाओं की सूची आरबीआई की वेबसाइट /en/web/rbi/-/list-of-neft-enabled-bank-branches-bank-wise-indian-financial-system-code-updated-as-on-june-30-2023-2009-1 पर उपलब्ध है।

डीआईसीजीसी मूलधन और ब्याज का अधिकतम पांच लाख रु. तक बीमा करता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति के खाते में 4,95,000 रु. मूलधन और उस पर उपचित ब्याज 4,000 रु है तो डीआईसीजीसी द्वारा बीमाकृत राशि 4,99,000 रु. है। यदि उस खाते में मूलधन पांच लाख है तो उस पर उपचित ब्याज का बीमा नहीं किया जाएगा, इसलिए नहीं कि यह राशि ब्याज है बल्कि इसलिए कि यह राशि बीमा सीमा से अधिक है।
Students going abroad for studies are treated as Non-Resident Indians (NRIs) and are eligible for all the facilities available to NRIs under FEMA. In addition, they can receive remittances upto USD 100,000 from close relatives from India on self-declaration, towards maintenance, which could include remittances towards their studies also. Educational and other loans availed of by students as resident in India can be allowed to continue. There is no dilution in the existing remittance facilities to students in regard to their academic pursuits.

आवेदक कंपनियों को अपनी निवल स्वामित्व निधि (एनओएफ) की गणना निम्नानुसार करनी चाहिए:-

ए. स्वामित्व वाली निधि - (प्रदत्त पूंजी + निर्बाध आरक्षित निधियां + लाभ एवं हानि खाते में क्रेडिट शेष) में से घटाएं (उपचित हानि शेष, आस्थगित राजस्व व्यय एवं अन्य अमूर्त आस्तियां)

बी. निवल स्वामित्व निधि - स्वामित्व वाली निधियों में से घटाई गई वह राशियाँ जिसमें इसकी सहायक कंपनियों के शेयरों में निवेश की राशि शामिल है, इसके अलावा एक ही समूह की कंपनियों, सभी (अन्य) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा डिबेंचरों, बांडों, बकाया ऋण एवं अग्रिम, जो उनकी सहायक कंपनियों और उसी समूह के कंपनियों में स्वामित्व निधि के 10% से अधिक जमा किए गए हो, शामिल है।

उत्तर: विदेश यात्रा करने के लिए विदेशी मुद्रा किसी प्राधिकृत व्यक्ति से रु. 50,000 से कम राशि का रुपये में नकद भुगतान कर खरीद सकते हैं। तथापि यदि विदेशी मुद्रा की बिक्री रु. 50,000 के समतुल्य अथवा उससे अधिक राशि के लिए है तो समग्र भुगतान रेखांकित चेक/ बैंकर्स चेक/ पे ऑर्डर/ डिमांड ड्राफ्ट/ क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड/ प्रीपैड कार्ड के माध्यम से किया

उत्तर: सभी विप्रेषण भारत में लागू करों के भुगतानों के अधीन होंगे। प्राधिकृत व्यापारियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे यथा लागू कर क़ानूनों की अपेक्षाओं का पालन करें।

कि‍सी भी परिस्थि‍ति‍ में चालान की दूसरी प्रति(डुप्लि‍केट) जारी नहीं की जाएगी। इसके बजाए, अपेक्षित विवरणों के साथ वि‍शेष अनुरोध करने और नि‍र्धारि‍त शुल्क का भुगतान करने पर ‘सर्टि‍फि‍केट ऑफ क्रेडि‍ट’ जारी कि‍या जाता है।
बोली लगाने के लिए न्यूनतम राशि ₹ 10,000 (अंकित मूल्य) होगी और ₹ 10,000 के गुणकों में होगी। केवल भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों की नीलामी के संदर्भ में एकल गैर-प्रतिस्पर्धी बोली के लिए अधिकतम राशि प्रत्येक नीलामी में प्रत्येक प्रतिभूति के लिए ₹ 2,00,00,000 (अंकित मूल्य) से अधिक नहीं होनी चाहिए।

सीटीएस को क्रमशः 1 फरवरी, 2008, 24 सितंबर, 2011 और 27 अप्रैल, 2013 से नई दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में लागू किया गया है। सम्पूर्ण चेकों को सीटीएस में स्थानांतरित करने के बाद, चेक समाशोधन के पारंपरिक तंत्र को देश भर में बंद कर दिया गया है। इसके अलावा, बैंकों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि सभी शाखाएं सीटीएस से जुड़ी हों।

सीटीएस के तहत, भारत में चेक प्रसंस्करण स्थानों को चेन्नई, मुंबई और नई दिल्ली में तीन ग्रिडों में समेकित किया गया है।

प्रत्येक ग्रिड अपने संबंधित क्षेत्राधिकार के तहत सभी बैंकों को प्रसंस्करण और समाशोधन सेवाएं प्रदान करता है। इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वर्तमान में चेक समाशोधन या अन्यथा के लिए कोई औपचारिक व्यवस्था मौजूद है या नहीं, ग्रिड के अधिकार क्षेत्र में आने वाले छोटे / दूरस्थ स्थानों पर स्थित बैंक, शाखाएं और ग्राहक लाभान्वित होंगे। तीन ग्रिडों का निदर्शी अधिकार क्षेत्र नीचे दर्शाया गया है:

  • चेन्नई ग्रिड : आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी।

  • मुंबई ग्रिड : महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़।

  • नई दिल्ली ग्रिड : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नई दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़।

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