कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं के निर्यात (आईटीईएस) पर वार्षिक सर्वेक्षण
उत्तर: कार्यालय व्यय में वर्ष के दौरान विदेश में कार्यालय चलाने में किए गए सभी व्यय जैसे इंटरनेट भुगतान, स्टेशनरी इत्यादि शामिल हैं। यदि संदर्भ अवधि (मान लीजिए 2024-25) में भारत के बाहर कार्यालय स्थापित किया गया है तो (इस बिंदु में) उसे भी शामिल करना चाहिए।
शिकायत के सफलतापूर्वक पंजीकृत हो जाने के बाद, उसे एक शिकायत संख्या प्रदान की जाती है। शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज करते समय उपलब्ध करवाए गए मोबाइल नंबर पर एसएमएस और ईमेल आईडी पर ई-मेल के माध्यम से इस शिकायत संख्या को दर्शाने वाली एक पावती भेजी जाती है। शिकायत की स्थिति को लिंक: https://cms.rbi.org.in के माध्यम से मोबाइल नंबर और शिकायत संख्या (मोबाइल पर प्राप्त) का उपयोग करके देखा जा सकता है।
शिकायतकर्ता टोल-फ्री नंबर 14448 के माध्यम से सीआरपीसी, चंडीगढ़ के संपर्क केंद्र से भी शिकायत की स्थिति का पता लगा सकता है।
उत्तर: हां, यथालागू दिशानिर्देशों के तहत अंतर्निहित लेनदेन के आधार पर आईएनआर एक्सपोजर को हेज किया जा सकता है।
उत्तर. खाता खोलने के प्रयोजन के लिए, आरई ग्राहक से केवाईसी पहचानकर्ता माँगेगा अथवा यदि उपलब्ध हो तो सीकेवाईसीआर से उसे प्राप्त करेगा और ऐसे केवाईसी पहचानकर्ता का उपयोग करके केवाईसी रिकॉर्ड प्राप्त करना होगा। ऐसे मामलों में ग्राहक को यह केवाईसी रिकॉर्ड/ सूचना/ कोई अन्य अतिरिक्त पहचान दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि –
(ए) सीकेवाईसीआर के रिकार्ड में मौजूद ग्राहक की जानकारी में कोई परिवर्तन हुआ है; अथवा
(बी) केवाईसी रिकॉर्ड अथवा प्राप्त की गई जानकारी अधूरी है अथवा वर्तमान लागू केवाईसी मानदंडों के अनुसार नहीं है; अथवा
(सी) डाउनलोड किए गए दस्तावेज़ों की वैधता अवधि समाप्त हो गई है; अथवा
(डी) आरई ग्राहक की पहचान अथवा पता (वर्तमान पता सहित) को सत्यापित करने अथवा संवर्धित समुचित सावधानी अथवा ग्राहक की उचित जोखिम प्रोफ़ाइल बनाने के लिए इसे आवश्यक समझता है।
उत्तर: मान लीजिए कि मूल राशि 302.86 ग्राम स्वर्ण है, और ग्राहक को सोने में ही भुगतान किया जाना है, तो बैंक 302 ग्राम सोने और 0.86 ग्राम रुपये के बराबर राशि का भुगतान कर सकता है। यह ध्यान दिया जाए है कि जमा पर ब्याज की गणना जमा के समय सोने के मूल्य पर भारतीय रुपये में की जाएगी।
एफआरआर के तहत शामिल नहीं किए गए एमएसएमई अग्रिमों को ‘दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा’ से संबंधित 07 जून 2019 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.45/ 21.04.048/2018-19, जैसा कि समय-समय पर अद्यतन किया जाता है, के अंतर्गत नियंत्रित किया जाएगा।
उत्पाद/समाधान का परीक्षण पीआर के सैंडबॉक्स रूपरेखा के अनुसार, एआर के समन्वय में किया जाएगा। पीआर आपके उत्पाद का मूल्यांकन अपनी रूपरेखा के आधार पर भी करेगा, और इसकी उपयुक्तता और व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विशिष्ट पहलुओं पर एआर से प्राप्त इनपुट और मूल्यांकन को शामिल करेगा।
चूंकि पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के पास वर्तमान में अपना स्वयं का विनियामक सैंडबॉक्स नहीं है, इसलिए यह केवल आईओआरएस के तहत एआर के रूप में कार्य कर सकता है, पीआर के रूप में नहीं।
Ans : The ECS Debit User intending to collect receivables through ECS Debit has to submit details of the customers (like name, bank / branch / account number of the customer, MICR code of the destination bank branch, etc.), date on which the customer’s account is to be debited, etc., in a specified format (called the input file) through its sponsor bank to the ECS Centre.
The bank managing the ECS Centre then passes on the debits to the destination banks for onward debit to the customer’s account with the destination bank branch and credits the sponsor bank's account for onward credit to the User institution. Destination bank branches will treat the electronic instructions received from the ECS Centre on par with the physical cheques and accordingly debit the customer accounts maintained with them. All the unsuccessful debits are returned to the sponsor bank through the ECS Centre (for onward return to the User Institution) within the specified time frame.
For further details about the ECS Debit scheme, the ECS Debit Procedural Guidelines – available on the website of Reserve Bank of India at http://www.rbi.org.in/Scripts/ECSUserView.aspx?Id=25 may be referred to.
उत्तर: यदि किसी भी कारण से लाभार्थी के खाते में क्रेडिट करना संभव नहीं है, तो जिस बैच में लेनदेन संसाधित किया गया था, उसके पूरा होने के दो घंटे के भीतर गंतव्य बैंकों को लेनदेन (प्रारंभिक शाखा को) वापस करना आवश्यक है।
फ्रैंचाइजियों से यह अपेक्षित है कि वे एडी श्रेणी-I बैंक/ एडी श्रेणी-II/ एफएफएमसी के लिए लागू एएमएल/ केवाईसी/ सीएफटी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें ।
नोट:- जिन एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के विरुद्ध डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस के बड़े मामले लंबित हों, उन्हें फ्रैंचाइज़ी नियुक्त करने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे। जिन मामलों में एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को फ्रैंचाइज़ी नियुक्त करने की एक बार अनुमति मिल गई हो एवं अनुमति की तारीख के बाद उनके विरुद्ध डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस का मामला दर्ज़ हुआ हो तो, उक्त एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को और कोई फ्रैंचाइज़ी नियुक्त नहीं करने चाहिए एवं इस मामले को तुरंत रिज़र्व बैंक के संज्ञान में लाना चाहिए। उक्त एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को फ्रैंचाइज़ी नियुक्त की अनुमति देने के संबंध में रिज़र्व बैंक निर्णय लेगा।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022