अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक सौदों का भारतीय रुपये (आईएनआर) में निपटान
अपडेट हो गया है: अगस्त 05, 2025
अस्वीकरण: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का यह संकलन केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से उपलब्ध कराया गया है। इस एफएक्यू और फेमा, 1999 और उसके तहत जारी किए गए नियमों/ विनियमों/ निदेशों / अनुमतियों के बीच यदि किसी प्रकार की विसंगति का मामला सामने आता है, तो जो भी अनुदेश बाद में जारी हुए हैं, वे मान्य होंगे।
उत्तर: अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक लेनदेनों के भारतीय रुपए (आईएनआर) के माध्यम से निपटान की व्यवस्था मौजूदा प्रणाली में की गई एक अतिरिक्त व्यवस्था है।
उत्तर: राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) एक राष्ट्रव्यापी केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली है जिसका स्वामित्व और संचालन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किया जाता है। सिस्टम में भाग लेने वाले विभिन्न हितधारकों द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रियाओं संबंधी सूची निम्नलिखित लिंक के तहत आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है: https://rbi.org.in/documents/87730/39711381/NEFTPROCEDURALJANUARY2024DBA95372B2454F9F8B767824B0B6E86F.pdf.
उत्तर. केवाईसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक विनियमित संस्था (आरई), जिसमें बैंक भी शामिल है, ग्राहक की पहचान और पता, व्यवसाय की प्रकृति और वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करती हैं और उसका सत्यापन करती है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि एक विनियमित संस्था को उस ग्राहक के बारे में पता हो जिसके साथ वह व्यवहार कर रही है और विनियमित संस्था द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का दुरुपयोग काले धन को वैध बनाना/आतंकवादी वित्तपोषण/प्रसार वित्तपोषण (एमएल/टीएफ/पीएफ) उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता हो।
उत्तर : नहीं। हालांकि, बैंकों को संग्रहण और शुद्धता परीक्षण केन्द्रों (सीपीटीसी) के नाम और रिफाइनरीज़ जिनके साथ उन्होंने त्रिपक्षीय करार किया है और इस योजना का संचालन करनेवाली शाखाएँ सहित कार्यान्वयन संबंधी ब्योरा आरबीआई को प्रस्तुत करना चाहिए। बैंकों को इस योजना के तहत सभी शाखाओं द्वारा समाहरित स्वर्ण की मात्रा संबंधी समेकित आंकड़ा मासिक आधार पर निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट करनी चाहिए।
“अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नों’ का यह खण्ड इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा आम तौर पर पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का एक प्रयास है। तथापि किसी प्रकार का लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लिया जाए। इससे संबंधित मूल विनियमावली 21 जनवरी 2016 की अधिसूचना सं.फेमा 10(आर)/2015-आरबी के तहत जारी की गई विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते) विनियमावली, 2015 है। इस संबंध में जारी किए गए विभिन्न निदेश ‘जमा राशियां और खाते’ विषय पर जारी मास्टर निदेश सं.14 के भाग-I में समेकित किए गए हैं। मूल विनियमावली में किए गए संशोधन, यदि कोई हों, को परिशिष्ठ में जोड़ा गया है ।
उत्तर : विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) की धारा-2(वी) में ‘भारत में निवासी व्यक्ति’ को परिभाषित किया गया है; जो निम्नानुसार है:
(i) ऐसा कोई व्यक्ति जो पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान एक सौ बयासी दिन से अधिक समयावधि तक भारत में निवास कर रहा था किन्तु इसके अंतर्गत :-
(ए) ऐसा व्यक्ति शामिल नहीं है जो –
(क) भारत से बाहर रोजगार हेतु नियोजित होने के लिए या नियोजित हो जाने पर; या
(ख) भारत के बाहर कोई कारोबार करने या भारत के बाहर कोई व्यवसाय करने के लिए; अथवा
(ग) ऐसी परिस्थितियों में, किसी अन्य प्रयोजन के लिए जिनसे उसका भारत से बाहर अनिश्चित अवधि तक ठहरने का आशय उपदर्शित होता हो,
भारत से बाहर चला गया है या भारत से बाहर ठहरता है,
(बी) ऐसा व्यक्ति भी नहीं जो-
(क) भारत में रोजगार पर नियोजित होने के लिए या नियोजित होने पर, या
(ख) भारत में कोई कारोबार करने या भारत में कोई व्यवसाय चलाने के लिए; या
(ग) ऐसी परिस्थितियों में, किसी अन्य प्रयोजन के लिए जिनसे उसका भारत में अनिश्चित अवधि तक ठहरने का आशय उपदर्शित होता हो,
भारत लौट आता है या भारत में ठहरता है।
(ii) कोई व्यक्ति या भारत में पंजीकृत अथवा निगमित कोई कॉर्पोरेट निकाय ;
(iii) भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन भारत में कोई कार्यालय, शाखा या एजेंसी;
(iv) भारत में निवासी किसी व्यक्ति के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन भारत में कोई कार्यालय, शाखा या एजेंसी।
उ : फैक्टरिंग अधिनियम, 2011 'फैक्टरिंग बिजनेस' को इसप्रकार परिभाषित करता है, "ऐसी प्राप्तियों या वित्तपोषण के असाइनमेंट को स्वीकार करके असाइनर के प्राप्तियों के अधिग्रहण का व्यवसाय, चाहे ऋण या अग्रिम करने के माध्यम से या किसी भी प्राप्य पर प्रतिभूति ब्याज के बदले किसी अन्य तरीके से किया गया हो"
हालांकि, बैंकों द्वारा व्यवसाय के सामान्य क्रम में प्राप्य की प्रतिभूति और कमीशन एजेंट के रूप में या अन्यथा कृषि उत्पाद या किसी भी प्रकार के सामान की बिक्री के लिए की गई किसी भी गतिविधि और संबंधित गतिविधियों के लिए प्रदान की जाने वाली क्रेडिट सुविधाएं स्पष्ट रूप से फैक्टरिंग व्यवसाय की परिभाषा से बाहर हैं। फैक्टरिंग अधिनियम ने भारत में फैक्टरिंग के लिए बुनियादी कानूनी ढांचा तैयार किया है।
उत्तर: ‘अनिवासी भारतीय’ (एनआरआई) भारत से बाहर निवास करने वाला व्यक्ति है, जो भारत का नागरिक है।
भारत सरकार के 21 मार्च 2025 के राजपत्र अधिसूचना एस.ओ.1364(अ) के अनुसार किसी उद्यम को निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर सूक्ष्म, लघु या मध्यम उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, अर्थात:
- ऐसा सूक्ष्म उद्यम जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान ₹ 2.5 करोड़ से अधिक नहीं है और आवर्तन ₹ 10 करोड़ से अधिक नहीं है;
- ऐसा लघु उद्यम जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान ₹ 25 करोड़ से अधिक नहीं है और आवर्तन ₹ 100 करोड़ से अधिक नहीं है; और
- ऐसा मध्यम उद्यम जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान ₹ 125 करोड़ से अधिक नहीं है और आवर्तन ₹ 500 करोड़ से अधिक नहीं है।
ऐसे सभी उद्यमों को उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकृत करना और ‘उद्यम पंजीकरण प्रमाण-पत्र‘ प्राप्त करना आवश्यक है। जहां तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋण (पीएसएल) प्रयोजनों का सवाल है बैंकों को उद्यम पंजीकरण प्रमाण-पत्र (यूआरसी) में रिकॉर्ड किए गए वर्गीकरण का पालन करना होगा। (24 जुलाई 2017 का मास्टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 और 28 दिसंबर 2023 का परिपत्र एफआईडीडी.एमएसएमई व एनएफएस.बीसी.सं.13/06.02.31/2023-24 को देखें)
उत्तर: उक्त निदेश के पैरा 4(1)(iv) के प्रयोजनों के लिए, 'व्यक्ति' शब्द में व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह, एचयूएफ, फर्म, समाज या कोई कृत्रिम संस्था शामिल होगी, चाहे वह निगमित हो अथवा नही।
यह प्रश्न (FAQ) इंटर-ऑपरेबल विनियामक सैंडबॉक्स (IoRS) पहल का व्यापक अवलोकन प्रदान करते हैं और संभावित प्रतिभागियों के सामान्य प्रश्नों का समाधान करते हैं:
विनियामक सैंडबॉक्स आमतौर पर नियंत्रित/परीक्षण विनियामक वातावरण में नए उत्पादों या सेवाओं के लाइव परीक्षण को संदर्भित करता है, जिसके लिए विनियामक परीक्षण के सीमित उद्देश्य के लिए कुछ विनियामक छूट की अनुमति दी जा सकती हैं।
यह ध्यान में रखते हुए कि निधियों का निपटान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पुस्तकों में होता है, भुगतान अंतिम और अपरिवर्तनीय हैं।
उत्तर: इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड (आईडीएफ) को ट्रस्ट या कंपनी के रूप में स्थापित किया जा सकता है। एक ट्रस्ट आधारित आईडीएफ आम तौर पर सेबी द्वारा विनियमित एक म्यूचुअल फंड (एमएफ) होगा, जबकि एक कंपनी आधारित आईडीएफ सामान्य रूप से रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित एक एनबीएफसी होगा।
यदि चेक पारगमन में या समाशोधन प्रक्रिया में या भुगतानकर्ता बैंक की शाखा में भौतिक लिखत वितरण समाशोधन के तहत गुम हो जाते हैं, तो बैंक को इसे तुरंत प्रस्तुतकर्ता ग्राहक (लाभार्थी) के नोटिस में लाना चाहिए ताकि ग्राहक आहर्ता को भुगतान रोकने के लिए सूचित कर सके और यह भी ध्यान रख सके कि खोए हुए चेक से उत्पन्न होने वाले क्रेडिट की प्रत्याशा में जारी किए गए अन्य चेक खोए हुए चेकों/लिखतों की राशि के क्रेडिट न होने के कारण अस्वीकृत न हों।
हालांकि यह ध्यान दिया जा सकता है कि सीटीएस द्वारा कवर किए गए स्थानों में अदाकर्ता बैंक के हाथ में भौतिक लिखत खोने की संभावना बहुत कम है क्योंकि समाशोधन छवियों के आधार पर किया जाता है।यदि संग्राहक बैंक के पास जमा करने के बाद लिखत खो जाता है, लेकिन छवि-आधारित समाशोधन के माध्यम से भेजने के लिए उसे ट्रंकेट करने से पहले, प्रस्तुतकर्ता बैंक को ऊपर बताई गई प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
ग्राहक डुप्लीकेट लिखत प्राप्त करने के लिए संबंधित खर्चों और इसे प्राप्त करने में उचित देरी के लिए ब्याज के लिए बैंकों द्वारा प्रतिपूर्ति का हकदार है।
उत्तर: एनईएफटी निधि अंतरण या प्राप्ति के लिए निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
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वर्ष के सभी दिनों में चौबीसों घंटे उपलब्धता।
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लाभार्थी के खाते में निकट-वास्तविक समय में धन हस्तांतरण और सुरक्षित तरीके से निपटान।
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सभी प्रकार के बैंकों की शाखाओं के वृहद नेटवर्क के माध्यम से अखिल भारतीय कवरेज।
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कागजी लिखतों को जमा करने के लिए लाभार्थी को बैंक की शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं है। यदि प्रेषक का बैंक ऐसी सेवा प्रदान करता है, तो वह इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करके अपने घर/कार्यस्थल से प्रेषण शुरू कर सकता है।
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लाभार्थी के खाते में क्रेडिट पर एसएमएस/ई-मेल द्वारा प्रेषक को सकारात्मक पुष्टि।
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क्रेडिट या लेन-देन की वापसी में देरी के लिए दंडात्मक ब्याज प्रावधान।
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आरबीआई द्वारा बैंकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
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ऑनलाइन एनईएफटी लेनदेन के लिए बचत बैंक खाता ग्राहकों के लिए कोई शुल्क नहीं।
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लेन-देन शुल्क भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया गया है।
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धन हस्तांतरण के अलावा, एनईएफटी प्रणाली का उपयोग कार्ड जारी करने वाले बैंकों को क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि के भुगतान, ऋण ईएमआई के भुगतान, आवक विदेशी मुद्रा प्रेषण आदि सहित विभिन्न प्रकार के लेनदेन के लिए किया जा सकता है।
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लेन-देन को कानूनी समर्थन प्राप्त है।
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भारत से नेपाल के लिए वन-वे फंड ट्रांसफर के लिए उपलब्ध।
उत्तर: भारत अथवा नेपाल या भूटान की मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा में धारित किया गया अथवा रखा गया खाता विदेशी मुद्रा खाता कहलाता है।
डीआईसीजीसी निम्नलिखित जमाराशियों को छोड़कर बचत, मीयादी, चालू, आवर्ती आदि जैसे सभी बैंक जमाराशियों को बीमा प्रदान करता है:-
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विदेशी सरकारों की जमाराशियां;
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केंद्र/राज्य सरकारों की जमाराशियां;
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अंतर बैंक जमाराशियां;
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राज्य सहकारी बैंकों में रखी गई राज्य भूमि विकास बैंकों की जमाराशियां;
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भारत के बाहर प्राप्त जमाराशि के कारण देय कोई राशि; और
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रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से निगम द्वारा विशेष रूप से छूट प्राप्त कोई राशि
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022