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FAQs on Overseas Direct Investment

Yes, requests for direct investment outside India in a JV/WOS by way of share swap arrangement are considered under the Normal Route.
उत्तर. पीएसएस अधिनियम, 2007 सिस्टम प्रदाता के कर्तव्यों को निर्धारित करता है। सिस्टम प्रदाता को अधिनियम के प्रावधानों और विनियमों, प्राधिकरण के नियमों और शर्तों और रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों के अनुसार भुगतान प्रणाली को संचालित करना आवश्यक है। सिस्टम प्रदाता को सिस्टम प्रतिभागियों के बीच संबंधों को नियंत्रित करने वाले अनुबंध और भुगतान प्रणाली के संचालन से संबंधित नियमों और विनियमों के अनुसार कार्य करना भी आवश्यक है। अधिनियम में सिस्टम प्रदाता को भुगतान प्रणाली के तहत शुल्कों, देयता की सीमाओं आदि सहित नियमों और शर्तों को सिस्टम प्रतिभागियों को प्रकट करने की आवश्यकता है। अधिनियम में सिस्टम प्रदाता को भुगतान प्रणाली के संचालन को नियंत्रित करने वाले सभी नियमों और विनियमों और सिस्टम प्रतिभागियों को अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों की प्रतियां प्रदान करने की भी आवश्यकता है। सिस्टम प्रदाता को सिस्टम प्रतिभागियों द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेजों और इसकी सामग्री को गोपनीय रखना आवश्यक है और कानून के प्रावधानों के अलावा, इसका खुलासा करने से प्रतिबंधित है। (अधिनियम की धारा 20 से 22)
This is a new facility extended to all resident individuals under which they may freely remit upto USD 25,000 per calendar year for any permissible current or capital account transaction or a combination of both.
RBI will issue the securities to the bank or PD that has bid on behalf of non-competitive bidder against payment made by the bank or PD on the date of issue itself.The non-competitive bidder will make payment to the bank or the PD through which he has put the bid and receive his securities from them.In other words, the RBI will issue securities to the bank or the PD against payment received from the bank or the PD on the date of issue irrespective of whether the bank or the PD has received payment from their clients.
बैंकों को यह स्वतंत्रता है कि वे सभी ऋण निर्धारित अथवा अस्थायी दरों पर दें बशर्ते वे परिसंपत्ति देयता प्रबंधन (एएलएम) दिशानिर्देशों के अनुरूप हों।
जीएएच को एनडीएस-ओएम वेब माड्यूल पर ऐसे रियल टाइम क्‍वोट ऐक्‍सस कर सकता है जैसा कि मेन एनडीएस-ओएम सिस्‍टम पर उपलब्‍ध है। जीएएच विभिन्‍न सेक्‍यूरिटियों से संबंधित सर्वोच्‍च बिड/आफर (मार्केट वाट्च) तथा सर्वोच्‍च दस बिड और आफर (मार्केट बाई प्राइज़/मार्केट बाई आर्डर) को देख सकता है। साथ ही, जीएएच कुल ट्रेड की जानकारी (ट्रेड वाट्च) और प्रत्‍येक सेक्‍यूरिटी के मूल्‍य में आधे घंटे के अंतराल पर होने वाले उतार-चढ़ाव (मार्केट मूव्‍मेंट) को देख सकता है। इसके संबंध में और जानकारी यूज़र मैनुअल में उपलब्‍ध्‍ा है।

उत्तर. पीपीआई जारीकर्ता लिखतों को जारी करते समय धारकों को सभी महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों को स्पष्ट और सरल भाषा में प्रकट करेंगे। इन प्रकटीकरण में निम्नलिखित शामिल होंगे:

ए. लिखत के उपयोग से जुड़े सभी प्रभार और शुल्क; तथा

बी. वैधता अवधि की समाप्ति और लिखत की वैधता समाप्ति से संबंधित नियम और शर्तें।

हां । सरकार की प्रति‍भूति‍यों की ब्याज राशि देय होने की ति‍थि से 6 वर्षों पश्चात भुगतान का दायि‍त्व समाप्त हो जाता है, नि‍वेशक को भुगतान देय होने की ति‍थि से 6 वर्षो के अंदर अपना ब्याज भुगतान का दावा प्रस्तुत कर देना चाहि‍ए और सरकार 6 वर्षो के बाद किए ऐसे दावे को निरस्त कर सकती है । हालांकि सरकार एक प्रामाणि‍क ब्याज भुगतान दावें को 6 वर्ष की सीमा अवधि के बाद भी स्वीकार कर सकती है ।
At the time of making applications, the Promoters/Promoter Group will have to furnish a road map and methodologies they would adopt to comply with all the requirements of the corporate structure indicated in para 2 (C)(ii) and (iii) of the guidelines and realign the business between the entities to be held under the NOFHC [para 2(C)(iv) of the guidelines] within a period of 18 months. After the ‘in-principle approval’ is accorded by RBI for setting up of the bank, the actual setting up of NOFHC and the bank, re-organization of the Promoter Group entities to bring the regulated financial services entities under the NOFHC as well as realignment of business among the entities under the NOFHC have to be completed within a period of 18 months from the date of in-principle approval or before commencement of banking business, whichever is earlier.
जारीकर्ता बैंक/ एचएससीआईएल कार्यालय/ डाकघर/ एजेंट जिसके माध्‍यम से प्रतिभूति खरीदी गई है, वह अन्‍य ग्राहक सेवाएं जैसे कि पते में परिवर्तन, समय से पूर्व भुनाना, नामांकन आदि सुविधाएं प्रदान करेगा।
प्रथम दृष्टया समान दिखने वाले मामले तथ्यों और परिस्थितियों के संदर्भ में भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, निर्णयों में अधिक एकरूपता लाने के लिए ओम्बड्समैन के बीच नियमित रूप से विचार-विमर्श किया जाता है।

उत्तर: 50,000 रुपये से कम राशि के डिमांड ड्राफ्ट/भुगतान आदेश/ट्रैवलर्स चेक नकद के बदले खरीदे जा सकते हैं। तथापि, 50,000 रुपये और उससे अधिक के लिए ऐसा उपकरण केवल ग्राहक के खाते से डेबिट करके या चेक के विरुद्ध ही जारी किया जा सकता है।

उत्तर. पीपीआई जारीकर्ता, उनके एजेंटों सहित, अन्य पीपीआई/बैंक खातों में नकद-आधारित विप्रेषणों की सुविधा के लिए हर बार नए पीपीआई नहीं बनाएंगे। उस व्यक्ति द्वारा पिछले विप्रेषण के लिए बनाए गए पीपीआई का उपयोग किया जाएगा।
Yes, there is a specific scheme, which permits acquisition by an eligible entity of shares of a foreign company engaged in a similar activity in exchange of issue of its own ADR/GDRs to the latter on an automatic basis.
जीएएच उसके द्वारा दिए गए आर्डरों में से बकाया रहने वाले आर्डरों, एक्जि़क्‍यूट किए गए आर्डरों, निवल निधि की स्थिति देख सकता है। साथ ही, वह ऐसा एक्टिविटी लॉग देख सकता है जिसमें जीएएच द्वारा दिए गए प्रत्‍येक आर्डर का ऑडिट ट्रेल करने की व्‍यवस्‍था है। ट्रैंज़ेक्‍शनल यूज़र अपने आर्डरों/ट्रेडों को देख सकता है, जबकि वियू यूज़र एक ही क्‍लायंट के अंतर्गत शामिल विभिन्‍न ट्रैंज़ेक्‍शनल यूज़र द्वारा दिए गए आर्डरों/ट्रेडों को देख सकता है।
The facility is available to resident individuals only.
उत्तर. अधिनियम भुगतान प्रणाली में प्रणाली प्रतिभागियों के बीच, प्रणाली भागीदार और प्रणाली प्रदाता के बीच और प्रणाली प्रदाताओं के बीच विवादों के निपटारे के लिए एक विस्तृत तंत्र निर्धारित करता है। अधिनियम में सिस्टम प्रदाता को सिस्टम प्रतिभागियों के बीच विवादों को तय करने के लिए एक पैनल के निर्माण के लिए अपने नियमों या विनियमों में प्रावधान करने की आवश्यकता है। जहां कोई सिस्टम प्रतिभागी पैनल के निर्णय से असंतुष्ट है, या जहां सिस्टम भागीदार और सिस्टम प्रदाता के बीच या सिस्टम प्रदाताओं के बीच विवाद उत्पन्न होते हैं, ऐसे विवादों को अधिनिर्णय के लिए रिज़र्व बैंक को भेजा जाना आवश्यक है, जिसका निर्णय प्रतिभागियों पर अंतिम और बाध्यकारी होगा। ऐसे मामलों में जहां रिज़र्व बैंक, या तो एक प्रणाली भागीदार या प्रणाली प्रदाता के रूप में, स्वयं विवाद का एक भागीदार है, तो ऐसे मामलों को अधिनिर्णय के लिए केंद्र सरकार को संदर्भित करने का प्रावधान है। (अधिनियम की धारा 24)
The bank or the PD can recover upto six paise per Rs.100 as commission for rendering this service to their clients.

हां ? बैंकों से अनुरोध है कि वे मीयादी ऋणों सहित सभी अग्रिमों के मामले में संबंधित ऋण करारों में निम्नलिखित परंतुक अनिवार्यत: शामिल करें ताकि बैंक, निर्धारित दर वाले ऋणों के मामले को छो?कर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनरूप लागू ब्याज दर लगा सकें।

"बशर्ते उधारकर्ता द्वारा दिया जानेवाला ब्याज, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में समय-समय पर किए गए परिवर्तनों के अधीन होगा।"

आयकर अधि‍नि‍यम 1961 की धारा 193 प्रावधान (iv) के अनुसार 1 जून 1997 से केन्द्रीय एवं राज्य सरकार की प्रति‍भूति‍यों पर देय ब्याज से कर नही काटा जाएगा । हालांकि वि‍त्त अधि‍नि‍यम 2007 एवं भारत सरकार की अधि‍सूचना क्रं एफ 4 (10) W&M /2003 दि‍नांक 31 मई 2007 के अनुसार 1 जून 2007 से 8% बचत ( करयोग्य ) बांड, 2003 पर वि‍त्तीय वर्ष में दस हजार से ज्यादा ब्याज होने पर स्त्रोत पर कर की कटौती की जाएगी ।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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