मौद्रिक नीति के कार्यान्वयन में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लिखतों का उपयोग किया जाता है।
रेपो दर: वह ब्याज दर, जिस पर रिज़र्व बैंक सरकार और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के संपार्श्विक पर सभी एलएएफ प्रतिभागियों को चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत चलनिधि प्रदान करता है।
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर: वह दर, जिस पर रिज़र्व बैंक सभी एलएएफ प्रतिभागियों से ओवरनाइट आधार पर गैर-जमानती जमाराशियां स्वीकार करता है। चलनिधि प्रबंधन में अपनी भूमिका के अलावा एसडीएफ एक वित्तीय स्थिरता साधन भी है। एसडीएफ दर को नीतिगत रेपो दर से 25 आधार अंक नीचे रखा गया है। अप्रैल 2022 में एसडीएफ की शुरुआत के साथ, एसडीएफ दर ने एलएएफ कॉरिडोर के फ्लोर के रूप में नियत रिवर्स रेपो दर का स्थान लिया।
सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर: वह दंडात्मक दर, जिस पर बैंक एक पूर्वनिर्धारित सीमा (2 प्रतिशत) तक अपने सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो का उपयोग कर रिज़र्व बैंक से ओवरनाइट आधार पर उधार ले सकते हैं। यह बैंकिंग प्रणाली को अप्रत्याशित चलनिधि झटकों के विरुद्ध एक सुरक्षा वाल्व प्रदान करता है। एमएसएफ दर को नीतिगत रेपो दर से 25 आधार अंक ऊपर रखा गया है।
चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ): एलएएफ रिज़र्व बैंक के परिचालन को दर्शाता है जिसके माध्यम से यह बैंकिंग प्रणाली में/से चलनिधि को इंजेक्ट/अवशोषित करता है। इसमें ओवरनाइट के साथ-साथ टर्म रेपो/रिवर्स रेपो (नियत और साथ ही परिवर्तनीय दर), एसडीएफ और एमएसएफ शामिल हैं। एलएएफ के अलावा, चलनिधि प्रबंधन की लिखतों में एकमुश्त खुले बाजार परिचालन (ओएमओ), विदेशी मुद्रा स्वैप और बाजार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) शामिल हैं।
एलएएफ कॉरिडोर: एलएएफ कॉरिडोर में ऊपरी सीमा (सीलिंग) के रूप में सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और निचली सीमा (फ्लोर) के रूप में स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर है, जिसमें कॉरिडोर के बीच में नीतिगत रेपो दर है।
मुख्य चलनिधि प्रबंधन साधन: परिवर्तनीय दर पर 14-दिवसीय मीयादी रेपो/रिवर्स रेपो नीलामी परिचालन,इस प्रकार संचालित कि वह आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को बनाए रखने की अवधि के साथ मेल खाए। यह फ्रिक्शनल चलनिधि संबंधी आवश्यकताओं के प्रबंधन के लिए मुख्य चलनिधि प्रबंधन साधन है।
फाइन ट्यूनिंग ऑपरेशन्स: आरक्षित निधि को बनाए रखने की अवधि के दौरान किसी भी अप्रत्याशित चलनिधि परिवर्तन से निपटने के लिए मुख्य चलनिधि परिचालन को फाइन-ट्यूनिंग परिचालनों, ओवरनाइट एवं/या दीर्घ परिपक्वता काल, का सहारा प्राप्त है। इसके अलावा, रिज़र्व बैंक, यदि आवश्यक हो, 14 दिनों से अधिक की दीर्घावधि परिवर्तनीय दर रेपो/रिवर्स रेपो नीलामी करता है।
रिवर्स रेपो दर: वह ब्याज दर, जिस पर रिज़र्व बैंक एलएएफ के तहत पात्र सरकारी प्रतिभूतियों के संपार्श्विक पर बैंकों से चलनिधि को अवशोषित करता है। एसडीएफ की शुरुआत के बाद, नियत दर रिवर्स रेपो परिचालन समय-समय पर निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए आरबीआई के विवेक पर होगा।
बैंक दर: वह दर जिस पर रिज़र्व बैंक विनिमय बिलों या अन्य वाणिज्यिक पत्रों को खरीदने या फिर से भुनाने के लिए तैयार है। बैंक दर दंडात्मक दर के रूप में कार्य करती है जो बैंकों द्वारा उनकी आरक्षित निधि संबंधी आवश्यकताओं (आरक्षित नकदी निधि अनुपात और सांविधिक चलनिधि अनुपात) को पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में उन पर लगाई जाती है। बैंक दर आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 49 के तहत प्रकाशित की जाती है। इस दर को एमएसएफ दर के अनुरूप किया गया है और, जब एमएसएफ दर नीतिगत रेपो दर में परिवर्तन के साथ बदलती है तो वह स्वचालित रूप से बदल जाती है।
आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर): वह औसत दैनिक शेष जो बैंक को रिज़र्व बैंक के पास अपनी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के प्रतिशत के रूप में दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को बनाए रखने की आवश्यकता होती है, जिसे रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर सरकारी राजपत्र में सूचित किया जाएगा।
सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर): प्रत्येक बैंक भारत में आस्तियों को बनाए रखेगा, जिसका मूल्य दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को भारत में उसकी कुल मांग और मीयादी देयताओं के ऐसे प्रतिशत से कम नहीं होगा, जैसा कि रिज़र्व बैंक, सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, समय-समय पर निर्दिष्ट कर सकता है और ऐसी आस्तियों को बनाए रखा जाएगा जैसा कि ऐसी अधिसूचना में निर्दिष्ट किया जा सकता है (आमतौर पर भार रहित सरकारी प्रतिभूतियों, नकदी और स्वर्ण में)।
खुले बाजार के परिचालन (ओएमओ): इनमें बैंकिंग प्रणाली में टिकाऊ चलनिधि को इंजेक्ट/अवशोषित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की एकमुश्त खरीद/बिक्री शामिल है।
वर्तमान परिचालन नीतिगत दरों के लिए, कृपया होम पेज पर "वर्तमान दरें" खंड को देखें। ऐतिहासिक दरों के लिए, कृपया डीबीआईई वेबसाइट, DBIE-RBI: DATABASE OF INDIAN ECONOMY पर "प्रमुख दरें" देखें।